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अब तो सिर्फ चर्चाओं में ही सुनाई दे रहा सरकारी मेडिकल कॉलेज

धरातल पर नहीं दिख रहे प्रयास
श्रीगंगानगर। चुनावों के दौरान सरकारी मेडिकल का जो मुद्दा पूरी तरह गर्म रहा। जिस मुद्दे ने नेताओं को वोट दिलवा दिए। वही सरकारी मेडिकल कॉलेज का मुद्दा अब भीषण गर्मी में भी ठण्डा पड़ा है।
अब इसके निर्माण की आवाज भी कोई ठोस तरीके से नहीं उठा रहा। अब यह मुद्दा  सोशल मीडिया पर ही चर्चा का विषय बना हुआ है। लोग सरकारी मेडिकल कॉलेज के मुद्दे को ठण्डे बस्ते में डालने के लिए इलाके के नेताओं पर व्यंग्य कस रहे हैं। कोई इसे नेताओं का चुनावी खिलौना बता रहा है तो कोई इसे नेताओं की राजनीति का मैदान। जो भी हो अब तो जनता यह मानने लगी है कि सरकारी मेडिकल कॉलेज की आवाज केवल चुनावी दौर में ही सुनाई देती है। इसके बाद तो नेताओं के लिए यह 'रात गई बात गईÓ वाली कहावत को चिरतार्थ करने से अधिक कुछ नहीं है।
सोशल मीडिया पर तो लोग भी आशंका जताने लगे हैं कि कहीं कोरोना काल में निजी मेडिकल कॉलेज खड़ा न हो जाए। कुछ साल पहले भी ऐसा ही हुआ था। तब एक ग्रुप मेडिकल कॉलेज बनाने की तैयारी कर रहा था, अब दूसरा ग्रुप पूरी तैयारी में है। तब चहुंओर से विरोध के चलते सरकार को दबाव में सरकारी मेडिकल का शिलान्यास करना पड़ा था लेकिन इससे आगे इसका काम नहीं चलाया गया। केवल घोषणाएं और बयानबाजी ही होती रही।


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