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राशन के लिए मारामारी, लोग सड़कों पर जुटने लगे

- प्रशासन का दावा सभी जगह बंट रहा
श्रीगंगानगर। कोरोना को तो बेरो कोनी, भूख सूं ही मर जावांगा। यह दर्द है। गरीब व कच्ची बस्तियों में रहने वाले उन लोगों का जिन्हें कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए चल रहे लॉकडाउन के दौरान न तो कोई काम मिल रहा है और न ही उनके घरों में राशन की व्यवस्था है। रोज दिहाड़ी मजदूरी कर पेट पालने वाले यह लोग प्रशासन से मिलने वाली सहायता के लिए भी नगर परिषद व रसद विभाग की चक्की के दो पाटों में फंसे हुए हैं।
ऐसा ही नजारा सोमवार को वार्ड नम्बर 57 व वार्ड नम्बर 58 की गुरुनानक बस्ती में देखा गया। इन वार्डों के जरूरतमंद लोगों को राशन मुहैया करवाने के लिए पार्षदों के जरिए आग्रह नगर परिषद व रसद विभाग तक पहुंचाया गया। जरूरतमंदो की सूचियां भी दी गई। तीन दिन बाद भी जब इन लोगों को राशन नहीं मिला तो ये सभी आज सुबह सड़कों पर उतर आए। इन लोगों का कहना था कि जब प्रशासन समय पर राशन की व्यवस्था नहीं कर सकता तो लोगों को खुला छोड़ दे।
वार्ड 57 की पार्षद लक्ष्मी देवी व उनके भाई अरविन्द ने बताया कि तीन दिन पहले वार्ड के जरूरतमंद लोगों को प्रशासन से राशन दिलवाने के प्रयास किए गए थे। तभी से रसद विभाग के अधिकारी आधे घण्टे का कह कर टाल रहे हैं। आज सुबह तो स्थिति यह हो गई कि आक्रोशित लोग पार्षद पर ही हमला करने पहुंच गए। इसकी सूचना कंट्रोल रूम व जिला रसद अधिकारी राकेश सोनी को देने के बावजूद दोपहर तक राशन की किटें नहीं पहुंची। पार्षद ने आरोप लगाया कि भूख से बिलबिलाते बच्चों के लिए राशन की मांग कर रहे इन लोगों की भीड़ जुटने का दोषी भी प्रशासन ही है।
कल पुरानी आबादी के कुछ इलाकों में पार्षदों व जागरूक लोगों के आक्रोषित होने के बाद रसद विभाग ने राशन का वितरण करवाया था।
दूसरी और नगर परिषद प्रशासन सभी 65 वार्डों में 2300 से अधिक परिवारों के लिए राशन की व्यवस्था करवाने व रसद विभाग अपनी टीमों से प्रवर्तन अधिकारी संदीप गौड़ के दिशा निर्देशन में राशन किटे बाटने का दावा कर रहा है।
संस्थाएं भी नहीं पहुंच रही सही जगह
लॉक डाउन के चलते दो दर्जन से अधिक संस्थाओं द्वारा जरूरतमंदों के लिए राशन व तैयार भोजन के पैकैट वितरित किए जाने का दावा किया जा रहा है। लेकिन हकीकत यह है कि ये संस्थाएं भी सही जगह पर नहीं पहुंच रहीं। अधिकांश संस्थाओं के सदस्य तो उसी जगह खाने के पैकेट लेकर पहुंच रहे हैं, जहां कुछ देर पहले अन्य संस्था भोजन का वितरण करवा चुकी होती है। ऐसे ही जिन संस्थाओं व दानवीरों ने प्रशासन को राशन की कीटें तैयार करवाकर वितरण के लिए सौंपी थी, वे भी जरूरतमंदों तक पहुंची या नहीं, इसकी जानकारी संबंधित अधिकारियों से नहीं ले रही। ऐसे में आमजन तो यह सवाल करेगा ही कि आखिर राशन की किटें जा कहां रही हैं।

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