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आयकर छूट के लिए रिटर्न मेंं गलत जानकारी देना पड़ सकता है महंगा

-आयकर विभाग ऐसे लोगों पर रख रहा नजर, पेनल्टी से लेकर मुकदमा तक संभव
श्रीगंगानगर। सरकारी अथवा प्राइवेट नौकरी करने वाले लोग अगर आयकर में छूट के लिए प्रावधानों का गलत इस्तेमाल कर मिथ्या जानकारी आयकर रिटर्न में देकर टीडीएस रिफंड क्लेम करते पकड़े गए तो उन्हें ऐसा करना भारी पड़ेगा। आयकर विभाग ऐसे लोगों के खिलाफ पैनल्टी लगाने से लेकर मुकदमा तक दायर करेगा।
आयकर विभाग ऐसे लोगों को तलाशने का काम शुरू किया है। इनमें मुख्य रूप से वे लोग हैं, जो वास्तविक आय पर बनने वाले टैक्स को बचाने के लिए आयकर अधिनियम के चैप्टर-6ए की विभिन्न धाराओं में टैक्स छूट का फायदा ले रहे हैं, लेकिन उसे हकीकत में खर्च करते ही नहीं हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सरकार के पास ऐसे कुछ मामले सामने आए हैं, जिनमें वेतनभोगी कर्मचारी टैक्स रिबेट से संबंधित प्रावधानों में क्लेम तो कर रहे हैं, लेकिन इन्हें साबित करने के लिए उनके पास अधिकारिक साक्ष्य ही नहीं होते हैं। जैसे किसी वेतनभोगी द्वारा बच्चे के दिव्यांग नहीं होने के बावजूद आयकर की धारा 80 डीडी के तहत इनकम टैक्स छूट के लिए क्लेम करना। यदि कोई वेतनभोगी ऐसे तरीके से बार-बार छूट का फायदा लेते हैं या रिफंड क्लेम करते हैं, तो उनके खिलाफ मुकदमा किया जा सकता है।
आयकर अधिकारियों के अनुसार गलत आय बताकर या नकली खर्च या घाटा दिखाकर आयकर रिफंड क्लेम करने पर तीन गुना जुर्माने का प्रावधान है। आय की अधूरी या कम जानकारी देने के मामलों में जहां कुल आय सेक्शन 143 के सब सेक्शन-1 के क्लॉज ए के अनुसार घाटे के रूप में टैक्स रकम के समान बताई गई हो, किसी भी तरह की आय की अधूरी सूचना दी गई हो, टैक्स योग्य आय की मनमर्जी से गणना कर टैक्स देयता को गलत रूप से घटाया गया हो। इन सभी तरह के मामलों में टैक्स अधिकारी अपने विवेक से वर्गीकृत कर टैक्स देयता के तीन गुना तक जुर्माना लगा सकते हैं।
आयकर अधिनियम के सेक्शन-270 ए के संशोधन के बाद आयकर अधिकारी को आय की गलत जानकारी देने पर टैक्स देयता को 200 फीसदी तक जुर्माना लग सकता है। यानी गलत तथ्यों के आधार पर ली गई छूट की राशि तो पूरी जमा करानी ही पड़ेगी, साथ ही साथ उस पर 100 से 300 प्रतिशत तक की पेनल्टी भी भरनी पड़ सकती है।

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