राज्य के विभिन्न शहरों में यातायात संभालने के लिए पंचवर्षीय योजना
श्रीगंगानगर जिले में योजना के तहत तीसरे चरण में होगा काम
-हनुमानगढ़ जिले को चौथे चरण के लिए रखा
श्रीगंगानगर। राजस्थान के विभिन्न शहरों में यातायात संभालने के लिए पुलिस ने पांच वर्ष की योजना तैयार की है। इसके लिए राज्य के 37 पुलिस जिलों को तीन श्रेणियों में बांटने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। 16 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों की जरूरत बताई गई है। योजना के तहत बी श्रेणी के श्रीगंगानगर जिले को तीसरे चरण के लिए रखा गया है। सी श्रेणी के हनुमानगढ़ जिले मेंं इस योजना के चौथे चरण में काम होगा।
सड़क परिवहन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार राजस्थान सड़क दुर्घटनाओं के मामले में देशभर मे नौंवे स्थान पर है। यहां 2018 में सड़क दुर्घटनाओं में 10, 320 लोगों की मौत हुई थी।
वहीं, कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट की यातायात सलाहकार समिति ने भी राजस्थान सहित देश के विभिन्न राज्यों में यातायात व्यवस्था की समीक्षा की थी। इस बारे में पिछले वर्ष दिल्ली में एक बैठक भी हुई थी। इस समिति की सिफारिशों के आधार पर ही राजस्थान के लिए पांच वर्षीय योजना और संसाधनों की जरूरत का आकलन किया गया है। यह आकलन विभिन्न जिलों की जनसंख्या और मौजूदा वाहनों की संख्या के आधार पर किया गया है। राजस्थान में 37 पुलिस जिले हैं और इस योजना के तहत इन जिलों को जनसंख्या व वाहन संख्या के आधार पर तीन श्रेणियों में बांटा गया है।
योजना के तहत ए-श्रेणी में राजस्थान के नौ पुलिस जिलों जयपुर कमिश्नरेट, जोधपुर कमिश्नरेट, भरतपुर, अजमेर, बीकानेर, जोधपुर ग्रामीण, उदयपुर और कोटा शहर को रखा गया है। ये वे जिले हैं, जहां जनसंख्या 50 लाख के आसपास और वाहन संख्या 10 लाख के आसपास है। इन जिलों में यातायात का हाल सबसे पहले सुधारा जाएगा। इसके लिए इन जिलों में 6049 पुलिसकर्मियों की जरूरत बताई गई है। बी- श्रेणी में 20 से 40 लाख की आबादी और वाहन संख्या पांच से दस लाख के बीच वाले जिलों को शामिल किया गया है। इसके दूसरे चरण में सीकर, अलवर, भिवाड़ी, भीलवाड़ा और पाली जिलों को शामिल किया गया है। इन जिलों में यातायात व्यवस्था ठीक करने के लिए 2414 पुलिसकर्मियों की जरूरत मानी गई है। इसी श्रेणी के पांच जिलों झालावाड़, चित्तौडग़ढ़, नागौर, श्रीगंगानगर और बाड़मेर को तीसरे चरण के लिए रखा गया है। इन जिलों के लिए 2415 पुलिसकर्मियों की जरूरत मानी गई है।
वहीं, शेष रहे झुंझुनूं, दौसा, सवाई माधोपुर, करौली, टोंक, चूरू, धौलपुर, हनुमानगढ़ और बांसवाड़ा को सी-श्रेणी में रखा गया है। यहां चौथे चरण की यातायात व्यवस्था पर काम किया जाएगा। इन जिलों के लिए 2871 पुलिसकर्मियों की जरूरत मानी गई है। पुलिस कर्मियों के साथ ही पेट्रोलिंग के लिए 163 वाहन और वायरलेस सेट भी मांगे गए हैं। इस सब पर कुल 1311.31 करोड़ रुपये का खर्च आंका गया है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार पुलिस मुख्यालय से पूरा प्रस्ताव बनाकर भेज दिया गया है। अब राज्य सरकार को इस पर निर्णय करना है।
-हनुमानगढ़ जिले को चौथे चरण के लिए रखा
श्रीगंगानगर। राजस्थान के विभिन्न शहरों में यातायात संभालने के लिए पुलिस ने पांच वर्ष की योजना तैयार की है। इसके लिए राज्य के 37 पुलिस जिलों को तीन श्रेणियों में बांटने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। 16 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों की जरूरत बताई गई है। योजना के तहत बी श्रेणी के श्रीगंगानगर जिले को तीसरे चरण के लिए रखा गया है। सी श्रेणी के हनुमानगढ़ जिले मेंं इस योजना के चौथे चरण में काम होगा।
सड़क परिवहन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार राजस्थान सड़क दुर्घटनाओं के मामले में देशभर मे नौंवे स्थान पर है। यहां 2018 में सड़क दुर्घटनाओं में 10, 320 लोगों की मौत हुई थी।
वहीं, कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट की यातायात सलाहकार समिति ने भी राजस्थान सहित देश के विभिन्न राज्यों में यातायात व्यवस्था की समीक्षा की थी। इस बारे में पिछले वर्ष दिल्ली में एक बैठक भी हुई थी। इस समिति की सिफारिशों के आधार पर ही राजस्थान के लिए पांच वर्षीय योजना और संसाधनों की जरूरत का आकलन किया गया है। यह आकलन विभिन्न जिलों की जनसंख्या और मौजूदा वाहनों की संख्या के आधार पर किया गया है। राजस्थान में 37 पुलिस जिले हैं और इस योजना के तहत इन जिलों को जनसंख्या व वाहन संख्या के आधार पर तीन श्रेणियों में बांटा गया है।
योजना के तहत ए-श्रेणी में राजस्थान के नौ पुलिस जिलों जयपुर कमिश्नरेट, जोधपुर कमिश्नरेट, भरतपुर, अजमेर, बीकानेर, जोधपुर ग्रामीण, उदयपुर और कोटा शहर को रखा गया है। ये वे जिले हैं, जहां जनसंख्या 50 लाख के आसपास और वाहन संख्या 10 लाख के आसपास है। इन जिलों में यातायात का हाल सबसे पहले सुधारा जाएगा। इसके लिए इन जिलों में 6049 पुलिसकर्मियों की जरूरत बताई गई है। बी- श्रेणी में 20 से 40 लाख की आबादी और वाहन संख्या पांच से दस लाख के बीच वाले जिलों को शामिल किया गया है। इसके दूसरे चरण में सीकर, अलवर, भिवाड़ी, भीलवाड़ा और पाली जिलों को शामिल किया गया है। इन जिलों में यातायात व्यवस्था ठीक करने के लिए 2414 पुलिसकर्मियों की जरूरत मानी गई है। इसी श्रेणी के पांच जिलों झालावाड़, चित्तौडग़ढ़, नागौर, श्रीगंगानगर और बाड़मेर को तीसरे चरण के लिए रखा गया है। इन जिलों के लिए 2415 पुलिसकर्मियों की जरूरत मानी गई है।
वहीं, शेष रहे झुंझुनूं, दौसा, सवाई माधोपुर, करौली, टोंक, चूरू, धौलपुर, हनुमानगढ़ और बांसवाड़ा को सी-श्रेणी में रखा गया है। यहां चौथे चरण की यातायात व्यवस्था पर काम किया जाएगा। इन जिलों के लिए 2871 पुलिसकर्मियों की जरूरत मानी गई है। पुलिस कर्मियों के साथ ही पेट्रोलिंग के लिए 163 वाहन और वायरलेस सेट भी मांगे गए हैं। इस सब पर कुल 1311.31 करोड़ रुपये का खर्च आंका गया है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार पुलिस मुख्यालय से पूरा प्रस्ताव बनाकर भेज दिया गया है। अब राज्य सरकार को इस पर निर्णय करना है।
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