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आखिर! कैसे सुधरे शहर का ट्रैफिक सिस्टम

कोई आस्था तो कोई व्यापार के नाम खुलवाना चाह रहा डिवाइडर कट
श्रीगंगानगर। शहर के बिगड़े ट्रैफिक सिस्टम को आखिर सुधारा कैसे जाए? यातायात पुलिस प्रयास करती है, लेकिन शायद कुछ लोग ही सुचारू व्यवस्था नहीं चाहते? हाल ही में सुखाडिय़ा सर्किल के नजदीक बाबा रामदेव मंदिर के सामने डिवाइडर कट बंद करने के लिए अस्थाई बेरीकेड्स लगाए गए हैं, लेकिन कुछ लोगों को यह व्यवस्था रास नहीं आ रही। डिवाइडर कट बंद करने का मकसद हादसों में कमी लाना और ट्रैफिक को सुधारना है। पहले लोग कट के बीच में से अपने वाहन को निकालकर सड़क के दूसरी तरफ ले जाते थे, जिससे हर वक्त हादसे की आशंका बनी रहती थी। अब ऐसा नहीं हो रहा, लेकिन कुछ लोग धार्मिक आस्था और व्यापार के नाम पर इन कटों को खुलवाना चाहते हैं। उन्होंने इस संबंध में अतिरिक्त जिला कलक्टर को ज्ञापन भी दिया है। उक्त लोगों का तर्क है कि बेरीकेड्स लगाए जाने से बाबा रामदेव मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को दुविधा होगी और उनका व्यापार भी प्रभावित होता है, लेकिन सच्चाई ये है कि इस व्यवस्था से सुविधा होगी, न की परेशानी। ट्रैफिक सिस्टम सुचारू होगा तो हादसे कम होंगे। श्रद्धालु एक वे पर बेफिक्र चल सकेंगे, क्योंकि उन्हें यह एहसास रहेगा कि अचानक दूसरी तरफ से कट के जरिए कोई वाहन उनके सामने नहीं आएगा। बाकी रोजमर्रा के छुटपुट सड़क हादसों पर भी लगाम लगेगी। बाजारों के दुकानदार खुद ही ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर सवाल खड़ा करते हैं। ऐसे में इन डिवाइडर कटों को बंद करना जरूरी है। इससे पहले भी रवींद्र पथ के पास डिवाइडर कट लगाने का विरोध किया गया था। यातायात पुलिस की ओर से शिव चौक से सुखाडिय़ा सर्किल, सुखाडिय़ा सर्किल से बीरबल चौक सहित बाजार के अन्य क्षेत्रों में डिवाइडर कटों को बंद करने के लिए बेरीकेड्स लगाए हैं।
— शॉर्टकट के चक्कर में हो रहे थे हादसे —--
डिवाइडर कट के जरिए वाहन चालक शॉर्टकट तरीके से गंतव्य तक पहुंच जाते थे। इस कारण अक्सर हादसे हो रहे थे। आए दिन दोपहिया व अन्य वाहन आपस में टकरा रहे थे। एक तरफ से बस जा का जाना, दूसरी तरफ अचानक कट में से निकलकर स्कूटी या बाइक का आना...इस तरह के हादसे यहां आम बात रही है। इन सब का हल निकालने के लिए ही इन कटों को बंद किया गया है।

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