राम नाम की मस्ती में झूम रहे श्रद्धालु
- सिद्धपीठ श्री झांकी वाले बालाजी मंदिर में पांच दिवसीय अखण्ड राम नाम संकीर्तन
श्रीगंगानगर। पुरानी आबादी स्थित सिद्धपीठ श्री झांकी वाले बालाजी मंदिर में चल रहे अखण्ड राम नाम संकीर्तन के तहत मंगलवार को भी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। मंदिर में यह कार्यक्रम श्री जगदम्बा अंध विद्यालय के संस्थापक स्वामी ब्रह्मदेव के सान्निध्य में चल रहा है। अखण्ड राम नाम संकीर्तन के तहत चार पारियों में मंंडल सदस्यों की टीमें राम नाम संकीर्तन कर रही हैं। ये टीमें प्रेम अग्रवाल 'गुरुजीÓ, मदनगोपाल अग्रवाल, सुरेन्द्र सिंगल 'पुजारीÓ, बृजेश तलवार, शंकरलाल बजाज, संदीप अनेजा के नेतृत्व में सेवाएं दे रही हैं।
वहीं मंदिर परिसर में अखण्ड राम नाम संकीर्तन चल रहा है, जहां श्रद्धालु दिन रात राम नाम की मस्ती में झूमते गाते रहते हैं। मंदिर की श्रीबालाजी बगीची में विशाल लंगर चल रहा है। मीडिया कोर्डिनेटर लक्ष्मीकांत शर्मा ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत मंदिर परिसर एवं बाहर दूर तक विशेष सजावट की गई है। मंदिर में चल रहे अनवरत भंडारे में सेवा का जिम्मा सवा सौ से अधिक सेवादारों ने संभाल रखा है।
-नो प्रोफिट नो लोस के आधार पर तैयार सवामणी
प्रधान सुरेन्द्र चौधरी के मुताबिक सिद्धपीठ श्रीझांकी वाले बालाजी भजन मंडल की ओर से शुद्ध देशी घी से तैयार सवामणी भी तैयार की जा रही है। शुद्धता का ध्यान रखते हुए यह सवामणी नो प्रोफिट नो लोस के आधार पर तैयार की जा रही है। इस कार्यक्रम के तहत सोमवार दोपहर तक पचास से अधिक सवामणी का भोग लगाया जा चुका है। उन्होंने बताया कि फलों की सवामणी का भोग भी लगाया जा रहा है। फलों की सवामणी का भोग लगाकर मौके पर ही प्रसाद का वितरण कर दिया जाता है।
- लड्डू गोपाल भी सुन रहे रामनाम संकीर्तन
सेवादार रामचन्द्र मोदी के अनुसार मंदिर में चल रहे इस कार्यक्रम के तहत कई श्रद्धालु अपने लड्डूगोपाल को भी साथ लेकर आ रहे हैं। श्रद्धालुओं की ऐसी मान्यता है कि लड्डूगोपाल को संकीर्तन सबसे अधिक प्रिय है और इस संकीर्तन से वे खुश होकर साधकों को मनचाहा वरदान देते हैं। इसलिए जिन श्रद्धालुओं के घर लड्डूगोपाल की पूजा होती है, वे लड्डूगोपाल को अपने साथ लेकर आते हैं। इन्हें मंदिर में विराजमान करने के लिए मंदिर की ओर से विशेष व्यवस्था की हुई है। आए हुए लड्डूगोपाल को कोई चॉकलेट का भोग लगाते हैं तो कोई प्रसाद का।
- हर रोज अलग होता है झांकी वाले का शृंगार
मंदिर में चल रहे अखण्ड राम नाम संकीर्तन के तहत झांकी वाले बालाजी महाराज का अलग-अलग तरह का शृंगार होता है। इस सेवा का जिम्मा लेने वाले श्रीबालाजी दरबार शृंगार सेवा के गगन राजपाल व सोनू अनेजा बताते हैं कि जिस तरह वृंदावन में बांके बिहारी जी का हर रोज अलग शृंगार होता है, उसी तरह पांच दिन तक लगातार झांकी वाले बालाजी का अलग शृंगार करने का निर्णय किया गया है। इसके लिए कोलकाता से विशेष फूल मंगवाए गए हैं। वहीं अन्य सजावट के लिए दिल्ली, अहमदाबाद, जयपुर एवं कोलकाता से विशेष सामान मंगवाया गया है।
श्रीगंगानगर। पुरानी आबादी स्थित सिद्धपीठ श्री झांकी वाले बालाजी मंदिर में चल रहे अखण्ड राम नाम संकीर्तन के तहत मंगलवार को भी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। मंदिर में यह कार्यक्रम श्री जगदम्बा अंध विद्यालय के संस्थापक स्वामी ब्रह्मदेव के सान्निध्य में चल रहा है। अखण्ड राम नाम संकीर्तन के तहत चार पारियों में मंंडल सदस्यों की टीमें राम नाम संकीर्तन कर रही हैं। ये टीमें प्रेम अग्रवाल 'गुरुजीÓ, मदनगोपाल अग्रवाल, सुरेन्द्र सिंगल 'पुजारीÓ, बृजेश तलवार, शंकरलाल बजाज, संदीप अनेजा के नेतृत्व में सेवाएं दे रही हैं।
वहीं मंदिर परिसर में अखण्ड राम नाम संकीर्तन चल रहा है, जहां श्रद्धालु दिन रात राम नाम की मस्ती में झूमते गाते रहते हैं। मंदिर की श्रीबालाजी बगीची में विशाल लंगर चल रहा है। मीडिया कोर्डिनेटर लक्ष्मीकांत शर्मा ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत मंदिर परिसर एवं बाहर दूर तक विशेष सजावट की गई है। मंदिर में चल रहे अनवरत भंडारे में सेवा का जिम्मा सवा सौ से अधिक सेवादारों ने संभाल रखा है।
-नो प्रोफिट नो लोस के आधार पर तैयार सवामणी
प्रधान सुरेन्द्र चौधरी के मुताबिक सिद्धपीठ श्रीझांकी वाले बालाजी भजन मंडल की ओर से शुद्ध देशी घी से तैयार सवामणी भी तैयार की जा रही है। शुद्धता का ध्यान रखते हुए यह सवामणी नो प्रोफिट नो लोस के आधार पर तैयार की जा रही है। इस कार्यक्रम के तहत सोमवार दोपहर तक पचास से अधिक सवामणी का भोग लगाया जा चुका है। उन्होंने बताया कि फलों की सवामणी का भोग भी लगाया जा रहा है। फलों की सवामणी का भोग लगाकर मौके पर ही प्रसाद का वितरण कर दिया जाता है।
- लड्डू गोपाल भी सुन रहे रामनाम संकीर्तन
सेवादार रामचन्द्र मोदी के अनुसार मंदिर में चल रहे इस कार्यक्रम के तहत कई श्रद्धालु अपने लड्डूगोपाल को भी साथ लेकर आ रहे हैं। श्रद्धालुओं की ऐसी मान्यता है कि लड्डूगोपाल को संकीर्तन सबसे अधिक प्रिय है और इस संकीर्तन से वे खुश होकर साधकों को मनचाहा वरदान देते हैं। इसलिए जिन श्रद्धालुओं के घर लड्डूगोपाल की पूजा होती है, वे लड्डूगोपाल को अपने साथ लेकर आते हैं। इन्हें मंदिर में विराजमान करने के लिए मंदिर की ओर से विशेष व्यवस्था की हुई है। आए हुए लड्डूगोपाल को कोई चॉकलेट का भोग लगाते हैं तो कोई प्रसाद का।
- हर रोज अलग होता है झांकी वाले का शृंगार
मंदिर में चल रहे अखण्ड राम नाम संकीर्तन के तहत झांकी वाले बालाजी महाराज का अलग-अलग तरह का शृंगार होता है। इस सेवा का जिम्मा लेने वाले श्रीबालाजी दरबार शृंगार सेवा के गगन राजपाल व सोनू अनेजा बताते हैं कि जिस तरह वृंदावन में बांके बिहारी जी का हर रोज अलग शृंगार होता है, उसी तरह पांच दिन तक लगातार झांकी वाले बालाजी का अलग शृंगार करने का निर्णय किया गया है। इसके लिए कोलकाता से विशेष फूल मंगवाए गए हैं। वहीं अन्य सजावट के लिए दिल्ली, अहमदाबाद, जयपुर एवं कोलकाता से विशेष सामान मंगवाया गया है।
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