किसान चिंतित, विभाग कर रहा बचाव का दावा
- टिड्डियों की वजह से किसानों की नींद हराम
श्रीगंगानगर। जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में टिड्डियों के आगमन के चलते किसान चिंतित हैं। उन्हें टिड्डियों के बार-बार आने से फसलों को नुकसान की आशंका सता रही है। वहीं कृषि विभाग सर्वे और बचाव का दावा कर रहा है। इसके बावजूद किसान आपसी चर्चा में टिड्डियों से होने वाले नुकसान की जानकारी साझा कर रहे हैं। किसानों को यह चिंता सता रही है कि टिड्डियों पर पूरी तरह से नियंत्रण नहीं पाया गया तो फसलों को भारी नुकसान हो सकता है। फिलहाल कृषि विभाग महज 2 से 5 प्रतिशत नुकसान बता रहा है।
अभी तक सीमावर्ती क्षेत्र के 5 एचएच, 19 जीडी, 12 जीडी, 25 एमओडी, बीएलएसएम, 24 एपीडी, बीडी ए और बी सहित अन्य गांवों में टिड्डियों का आगमन हो चुका है। इनसे बचने के लिए किसान पीपे बजा रहे हैं और धुआं कर टिड्डियों को भगा रहे हैं। इसके साथ ही कृषि विभाग की ओर से टिड्डियों को भगाने के लिए दवा का छिड़काव करवाया जा रहा है।
उप निदेशक डॉ. जीआर मटोरिया ने बताया कि अभी तक टिड्डियों की वजह से फसलों में नुकसान नहीं है। कहीं-कहीं 2 से 5 प्रतिशत है। किसान धुआं कर टिड्डियों को भगा रहे हैं तो विभाग दवा का छिड़काव करवा रहा है।
श्रीगंगानगर। जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में टिड्डियों के आगमन के चलते किसान चिंतित हैं। उन्हें टिड्डियों के बार-बार आने से फसलों को नुकसान की आशंका सता रही है। वहीं कृषि विभाग सर्वे और बचाव का दावा कर रहा है। इसके बावजूद किसान आपसी चर्चा में टिड्डियों से होने वाले नुकसान की जानकारी साझा कर रहे हैं। किसानों को यह चिंता सता रही है कि टिड्डियों पर पूरी तरह से नियंत्रण नहीं पाया गया तो फसलों को भारी नुकसान हो सकता है। फिलहाल कृषि विभाग महज 2 से 5 प्रतिशत नुकसान बता रहा है।
अभी तक सीमावर्ती क्षेत्र के 5 एचएच, 19 जीडी, 12 जीडी, 25 एमओडी, बीएलएसएम, 24 एपीडी, बीडी ए और बी सहित अन्य गांवों में टिड्डियों का आगमन हो चुका है। इनसे बचने के लिए किसान पीपे बजा रहे हैं और धुआं कर टिड्डियों को भगा रहे हैं। इसके साथ ही कृषि विभाग की ओर से टिड्डियों को भगाने के लिए दवा का छिड़काव करवाया जा रहा है।
उप निदेशक डॉ. जीआर मटोरिया ने बताया कि अभी तक टिड्डियों की वजह से फसलों में नुकसान नहीं है। कहीं-कहीं 2 से 5 प्रतिशत है। किसान धुआं कर टिड्डियों को भगा रहे हैं तो विभाग दवा का छिड़काव करवा रहा है।
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