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इंदिरा नहर में होगी 70 दिन की बंदी, केवल 40 दिन मिलेगा पीने का पानी

- जलदाय विभाग ने किए हाथ खड़े, बड़ा सवाल कैसे कर पाएंगे 10 जिलों में पानी की आपूर्ति
- मुख्य सचिव ने 13 तारीख को बुलाई थी बैठक, वह हुई स्थगित
श्रीगंगानगर। इंदिरा गांधी नहर परियोजना की 70 दिन की प्रस्तावित नहरबंदी से ठीक पहले जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की पानी की मांग अब चर्चा का विषय बन गई है। इस वजह से मुख्य सचिव को 13 जनवरी को संबंधित विभाग के अधिकारियों की बैठक बुलानी पड़ी लेकिन अब वो बैठक स्थगित हो गई है लेकिन शीघ्र ही फिर से बैठक बुलाई जाएगी। प्रस्तावित नहरबंदी 70 दिनों में 40 दिन नहर में 2000 क्यूसेक पानी छोडऩे की योजना है ताकि पेयजल के लिए पानी दिया जा सके लेकिन शेष 30 दिन पूरी तरह नहर में पानी बंद रहेगा। नहर विभाग और पंजाब सरकार के इस रुख पर जलदाय विभाग ने हाथ खड़े कर दिए हैं और कहा कि ऐसी स्थिति में वे जलापूर्ति नहीं कर सकेंगे और उस समय कानून व्यवस्था भी बिगड़ सकती है। ऐसे में मुख्य सचिव ने सभी विभागों के प्रमुख अधिकारियों की बैठक बुलाई थी जो अब स्थगित हो गई है।
जलदाय विभाग के अभियंताओं का कहना है कि 2000 क्यूसेक में 10 जिलों को पीने का पानी देना संभव नहीं है। पानी की मात्रा बढाई जाए लेकिन पंजाब इसके लिए तैयार नहीं है। इसीलिए 500 क्यूसेक पानी हरियाणा से लेने की योजना है ताकि राजस्थान को 2500 क्यूसेक पानी दिया जाए। इन सब बातों पर चर्चा होने के बाद ही अधिकृत रूप से 70 दिन की नहरबंदी घोषित की जाएगी।
राज्य सरकार के समक्ष दोहरी समस्या...
एक तरफ पंजाब पर दबाव बनता आ रहा कि नहर की मरम्मत करे और अब जब पंजाब तैयार हुआ तो राजस्थान सरकार ही निर्णय नहीं ले पा रही है। राजस्थान दोहरी समस्या में घिरा है। पहली कि अगर नहर की मरम्मत नहीं हुई तो कभी भी नहर क्षतिग्रस्त हो जाएगी और पूरा पानी राजस्थान का बंद हो सकता है। दूसरी कि अगर नहरबंदी हुई तो इतने दिन तक पीने का पानी कैैसे आमजन तक दिया जाए। सरकार को ये निर्णय सोच-समझकर करना चाहिए था जिस पर अब तक भी कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ।
पंजाब में टेंडर जारी, कार्यादेश बाकी...
एक तरफ लगातार राजस्थान सरकार पंजाब पर नहर की मरम्मत के लिए दबाव डाल रही थी। इसके लिए राशि भी पंजाब को दी जा चुकी लेकिन दूसरी ओर खुद राज्य सरकार के महकमें ही नहरबंदी को लेकर डरे हुए हैं। खासकर जलदाय विभाग। पंजाब ने राजस्थान के रुख के आधार पर नहरबंदी के बाद कार्यों के टेंडर जारी कर दिए।
सिर्फ वर्क आर्डर जारी होना शेष है लेकिन अभी राजस्थान सरकार ने पंजाब को मरम्मत के लिए क्लीन चिट नहीं दी है। माना जा रहा है कि मुख्य सचिव पीने के पानी की व्यवस्था होने के बाद ही नहरबंदी की अनुमति देंगे ताकि 10 जिलों में गर्मियों में कानून व्यवस्था बनी रहे।
सिंचाई विभाग के हनुमानगढ़ जोन के मुख्य अभियंता विनोद मित्तल का कहना है कि हम सरकार के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं। जो भी फैसला होगा उसे पूरी तरह लागू करेंगे।


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