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अब होगी पुलिस में शामिल 'काली भेड़ोंÓ की तलाश

- अपराधियों से मिलीभगत वाले पुलिस अफसरों को करेंगे चिन्हित, आईजी और एसपी को मिला इसका जिम्मा
श्रीगंगानगर। अब राज्य पुलिस में शामिल 'काली भेड़ोंÓ को तलाशने की तैयारी है। सरकार ने पुलिस महानिरीक्षक और पुलिस अधीक्षक को अपराधियों से मिलीभगत रखने वाले पुलिस कर्मियों के बारे में गोपनीय तरीके से पता लगाकर उनके खिलाफ कार्यवाही करने के लिए निर्देशित किया है। इसके लिए आईजी और एसपी फोन, व्हाट्सअप और ईमेल आईडी के जरिये सूचनाएं जुटाएंगे।
माना जाता है कि पुलिस महकमे के कुछ अधिकारी-कर्मचारियों की अपराधियों से मिलीभगत रहती है। इससे संगठित अपराध को बढ़ावा मिलता है। अब रेंज के आईजी-एसपी खुद गोपनीय तरीके से ऐसे पुलिसकर्मियों का पता लगाकर उनके खिलाफ कार्यवाही करेंगे। इसके लिए वे व्हाट्सअप ग्रुप और ईमेली आईडी बनाकर आम जन से पुलिस कर्मियों के बारे में शिकायत और जानकारी लेंगे। अपराधियों से मिलीभगत रखने वाले पुलिस कर्मियों की सूचना देने वालों का नाम गोपनीय रखा जाएगा।
यह कवायद डीजीपी भूपेन्द्रसिंह की पहल पर आरंभ की जा रही है।  डीजीपी के स्तर पर मूल्यांकन में पाया गया है कि पुलिस कर्मी दिन-रात मेहनत करते हैं जिससे आम जन का पुलिस में विश्वास बना हुआ है। लेकिन, कुछ पुलिस अधिकारी-कर्मचारियों की अपराधियों से मिलीभगत और उन्हें संरक्षण देने के कारण संगठित अपराध को तो बढ़ावा मिलता ही है, सरकार की छवि पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है और मेहनत करने वाले पुलिसकर्मियों का मनोबल गिरता है। इस पर अंकुश लगना चाहिए।
ऐसी होगी काली भेड़ों को तलाशने की कवायद
संभागीय मुख्यालय पर आईजी कार्यालय और जिला मुख्यालय पर पुलिस अधीक्षक कार्यालय के समक्ष अलग से शिकायत पेटिका लगाई जाएगी। इस पेटिकाओं को आईजी और एसपी की देखरेख में खोला जाएगा। इसमें जो शिकायतें मिलेंगी, उन पर आईजी और एसपी की निगरानी में ही कार्रवाई होगी।
इस पेटिका में प्राप्त होने वाली शिकायतों का सत्यापन और जांच निर्धारित समय सीमा में किया जाएगा। एक विशेष प्रकोष्ठ बनाकर ऐसी शिकायतों का संधारण किया जाएगा। जिन पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत प्रमाणित पाई जाएगी, उन पर की गई कार्रवाई की जानकारी विजिलेंस शाखा को प्रेषित की जाएगी।
किस पर कौन कर
सकेगा कार्रवाई
इस कवायद के तहत दोषी पाए जाने वाले कांस्टेबल, हैड कांस्टेबल और  एएसआई के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार एसपी को होगा। एसआई के खिलाफ कार्रवाई आईजी ही कर सकेंगे। इंस्पेक्टर और इससे उच्च पद वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई पुलिस मुख्यालय के स्तर पर होगी।


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