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श्रीगंगानगर के रसद घोटाले का 'भूतÓ फिर निकल कर आ सकता है बाहर

- सरकार कराएगी प्रदेश भर में सितंबर 2016 से  गेहूं, चीनी एवं केरोसीन के उठाव आवंटन एवं वितरण की जांच, राज्य स्तरीय कमेटी सबसे पहले करेगी अलवर में जांच, फिर आएगा हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर का नंबर
श्रीगंगानगर। श्रीगंगानगर के रसद विभाग मेंं हुए घोटाले का 'भूतÓ एक बार फिर बाहर निकल कर आ सकता है। इस भूत के डर से रसद विभाग में अमले और राशन डीलरों की धूजणी छूटनी शुरू हो गई है। दो साल पहले राशन के घोटाले और इसकी जांच को खुर्द-बुर्द कर दिया गया था लेकिन राज्य सरकार द्वारा प्रदेश भर में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सितंबर 2016 से  गेहूं, चीनी एवं केरोसीन के उठाव आवंटन एवं वितरण की राज्य स्तरीय कमेटी बनाकर जांच करवाने के ऐलान से यह मामला फिर से उछलना तय हो गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश चंद मीना ने गेहूं, चीनी एवं केरोसीन के उठाव आवंटन एवं वितरण की जांच करने हेतु राज्य स्तरीय कमेटी का गठन कर दिया गया है। यह राज्य स्तरीय कमेटी सबसे पहले अलवर जिले में  सार्वजनिक वितरण प्रणाली एवं उपभोक्ता मामले विभाग की योजनाओं की विस्तृत जांच कर अपनी रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत करेगी।  अलवर के बाद हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर जिलों का नंबर आएगा।
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री द्वारा जांच शुरू कराए जाने से श्रीगंगानगर के रसद विभाग में हलचल मच गई है। जिला रसद अधिकारी कार्यालय, समस्त उपखंडों मेंं कार्यरत्त प्रवर्तन अधिकारी एवं निरीक्षकों तथा राशन डीलरों में इसी जांच की चर्चा चल रही है। कहा जा रहा है कि दो साल पहले श्रीगंगानगर में विभिन्न स्तरों पर हुई शिकायतों और उनकी जांच के बावजूद घपले को दबा दिया गया था मगर अब कांग्रेस सरकार में जांच शुरू होने का मतलब ही कइयों के शिकंजे मेंं फंसना होगा।
सूत्रों के अनुसार श्रीगंगानगर में राशन के घपले की ज्यादातर शिकायतें 2016 और उसके बाद की हैं, जिनकी जांच तो प्रदेश स्तर से आई टीम और जिला कलक्टर के स्तर पर हुई मगर जांच रिपोर्ट का अंजाम कुछ नहीं निकला। अब राज्य सरकार ने सितंबर 2016 से  गेहूं ,चीनी एवं केरोसीन के उठाव आवंटन एवं वितरण की राज्य स्तरीय कमेटी से जांच कराना तय किया है, जिसके दायरे मेंं श्रीगंगानगर भी आएगा। श्रीगंगानगर में अब वह तमाम लोग सक्रिय हो रहे हैं, जिन्होंने पहले शिकायतें की थीं। यानी जब राज्य स्तरीय कमेटी जांच करने के लिए श्रीगंगानगर आएगी तो उसके सामने शिकायतों का अंबार लगने के पूरे आसार हैं।
प्रधानमंत्री कार्यालय के आदेश पर हुई थी श्रीगंगानगर के घपले की जांच
श्रीगंगानगर में 2017 में रसद घोटाला खूब उछला था। इस घोटाले के बारे में मुकर्जी नगर निवासी महेन्द्र कुमार मेहता ने उच्च स्तर पर शिकायतें करके वार्ड 23 पुराना में डीलरों के साथ मिलकर एक ही नंबर के दो-दो राशन कार्ड बनाकर केरोसिन व गेहूं की कालाबाजारी का आरोप तत्कालीन रसद अधिकारियों पर आरोप लगाया था। शिकायत की जांच न हुई तो मेहता ने प्रधानमंत्री कार्यालय में पत्र लिखकर जांच की मांग की। प्रधानमंत्री कार्यालय ने राज्य सरकार को जांच के आदेश दिए। इस पर 2018 में तत्कालीन जिला कलक्टर ज्ञानाराम ने तत्कालीन एडीएम (सतर्कता) वीरेन्द्र वर्मा को जांच सौंप दी। वर्मा ने जांच करके राशन कार्डों मेंं दोहरी प्रविष्टियां करने के लिए तत्कालीन डीएसओ सुनील वर्मा को दोषी माना। जांच में संबंधित डीलरों को भी घपले का सहभागी माना गया। जिला कलक्टर ने यह जांच रिपोर्ट प्रदेश के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग को भेज दी। डीएसओ वर्मा ने जांच को एकतरफा बताया था।
तत्कालीन पार्षदों ने उठाया था घोटाले का मुद्दा
श्रीगंगानगर में पोस मशीनों के जरिए हुआ ऑनलाइन घोटाला भी चर्चा में रहा था। जयपुर से रसद अधिकारी (सतर्कता) महेन्द्र सिंह नूनिया के नेतृत्व में  आई एक टीम ने इस मामले की जांच भी की थी। इस टीम ने शहर के उन तत्कालीन पार्षदों से भी सबूत एकत्र किए थे, जिन्होंने इस मामले में शिकायतें की थीं।  गौरतलब है कि तत्कालीन उप सभापति अजय दावड़ा, तत्कालीन पार्षद जश्नजीत कौर, संजय बिश्नोई, हरेंद्र पांडे, हरीश रहेजा, हरीश कपूर आदि ने रसद घोटाले की शिकायतें की थीं। तत्कालीन  पार्षद शिकायतें लेकर जयपुर में मंत्री स्तर पर गए थे।
55 राशन डीलरों के लाइसेंस हुए थे निलंबित और निरस्त
वर्ष 2018 में अनेक राशन डीलरों पर कार्रवाई की गाज भी गिरी थी। श्रीगंगानगर के तत्कालीन डीएसओ सुनील वर्मा ने 55 राशन डीलरों के लाइसेंस निलंबित और निरस्त कर दिए थे। तीन-चार डिपो होल्डरों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवाई गई थी।
डीएसओ वर्मा को एपीओ, संदीप गौड़ को किया था निलम्बित
तत्कालीन रसद अधिकारी सुनील वर्मा को राज्य सरकार ने उस समय एपीओ कर दिया था तथा परिवर्तन अधिकारी संदीप गौड़ को निलम्बित किया गया था। हालांकि बाद में दोनों ही अधिकारी वापिस अपने पदों पर आने में कामयाब हो गए। इनमें से सुनील वर्मा वर्तमान में भीड़वाड़ा जिला रसद अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं, वहीं संदीप गौड़ श्रीगंगानगर में ही परिवर्तन अधिकारी के पद पर कार्य कर रहे हैं। इन्हें सरकार ने बाद में बहाल कर दिया था।


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