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अब न्यायालय ने ट्रांसफर की गई प्रोपर्टी को बेचने पर भी लगाई रोक

- परिवादी की ओर से लगाई याचिका को स्वीकारा, डिब्बे में करोड़ों का घाटा
श्रीगंगानगर। एनसीडीईएक्स में करोड़ों रूपयों का नुकसान झेलने वाली श्रीगंगानगर की एक व्यापारिक फर्म की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पहले ही न्यायालय इस फर्म द्वारा सम्पत्तियों को अपने परिजनों को ट्रांसफर/गिफ्ट करने पर रोक लगा चुका है। अब न्यायालय ने ट्रांसफर/गिफ्ट की गई इन सम्पत्तियों को बेचने पर भी रोक लगा दी है। एक ही परिवार की 5 फर्मों में ने घाटे के करीब 38 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं किया है।
उपलब्ध जानकारी के अनुसार गणपति मल्टी कमोडिटीज बिजनेस की ओर से नागपाल कॉलोनी निवासी एक ही परिवार के प्रदीप अग्रवाल पुत्र प्रेम अग्रवाल, रेखा रानी अग्रवाल धर्मपत्नी प्रदीप अग्रवाल, प्रेम अग्रवाल पुत्र रामकुमार, नेहा अग्रवाल पत्नी पंकज अग्रवाल और सरला देवी पत्नी प्रेम अग्रवाल के खिलाफ न्यायालय मेंं स्थगन याचिका लगाई थी।
परिवादी के अनुसार प्रदीप अग्रवाल ने अपने और अपने परिजनों के नाम से खाते बनाकर एनसीडीईएक्स में करोड़ों का कारोबार किया। कारोबार करने के बाद प्रदीप अग्रवाल द्वारा भुगतान नहीं किया जा रहा है। भुगतान से बचने के लिए प्रदीप द्वारा अपनी सम्पत्तियां परिजनों के नाम ट्रांसफर की गईं। पांच सम्पत्तियां अभी शेष हैं, इसलिए परिवादी ने न्यायालय में याचिका दायर कर इन सम्पत्तियों के ट्रांसफर पर रोक लगाने की मांग की। इसके साथ ही परिवादी ने विपक्षी को इन सम्पत्तियों का बेचान न करने के लिए पाबंद करने की मांग की।
परिवादी के अधिवक्ता काशीराम रणवां ने बताया कि एडीजे (संख्या-1) कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकरते हुए प्रकरण में स्टे दिया। इसके बाद न्यायालय ने इस फर्म द्वारा ट्रांसफर/गिफ्ट की गई सम्पत्तियों को बेचने पर भी रोक लगा दी। इस रोक के बाद फर्म अब ट्रांसफर और गिफ्ट की गई सम्पत्तियों को नहीं बेच सकेगी।


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