समस्या समाधान के लिए अब कानून ही एक सहारा
- जन समस्याओं के समाधान के लिए लोक अदालत में दायर हो सकता है वाद
श्रीगंगानगर। मुख्य मार्गों पर अतिक्रमण, सीवरेज से परेशानी व आवारा पशुओं जैसी जन समस्याओं के समाधान को मोटी खाल वाले सरकार के प्रतिनिधि अफसर तवज्जो नहीं देते। प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री कार्यालय तक शिकायतों के बाद भी प्रकरणों को अधिकारियों द्वारा जांच के नाम पर दबा लिया जाता है।
एकल ही नहीं सामूहिक रूप से बताई जाने वाली समस्याओं का समाधान भी कई सालों तक नहीं हो पाता। अब ऐसी जन समस्याओंं के समाधान के लिए आमजन के पास कानून का सहारा ही बचा है। इसके लिए प्रभावित व पीडि़त पक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की चलाई जा रही स्थाई लोक अदालत में वाद दायर कर न्याय पा सकता है। समस्या समाधान का यह एक ऐसा कानूनी मंच है, जहां से कुछ न कुछ राहत तो मिलती ही है।
कानून के जानकारों के अनुसार नगर परिषद, नगर विकास न्यास, जलदाय विभाग, विद्युत निगम, जिला परिवहन अधिकारी, स्वास्थ्य सेवाएं, सीवरेज, पीडब्ल्यूडी, रोडवेज, यातायात व्यवस्था सहित तमाम ऐसे मामलों में प्रभावित पक्ष जिला लोक स्थाई अदालत में शिकायत दर्ज करवा सकता है। अदालत की ओर से शिकायत निवारण व समस्या समाधान के लिए संबंधित विभाग के मुख्यिा को नोटिस जारी किया जा सकता है।
उसे आदेश भी दिया जा सकता है। समस्या समाधान नहीं होने पर मुखिया को तलब भी किया जा सकता है। दोनों पक्षों की वार्ता करवाकर भी समस्या के समाधान का प्रयास लोक अदालत करती है।
सीधे ही किया जा सकता है वाद दायर
विधिक सेवा प्राधिकार अधिनियम 1987 की धारा 22 (ग) के तहत पीडि़त व प्रभावित पक्ष सीधे ही लोक अदालत में वाद दायर कर सकता है। वरिष्ठ अधिवक्त संजय धारीवाल ने बताया कि प्रभावित पक्ष को लोक अदालत में वाद दायर करते समय सरकार के प्रतिनिधि के रूप में जिला कलेक्टर के साथ-साथ संबंधित विभाग के मुख्य अधिकारी को भी पार्टी बनाना चाहिए। ऐसा करने से न्याय शीघ्र मिलने की उम्मीद रहती है। किसी अनफिट वाहन के मामले में जिला परिवहन अधिकारी के साथ साथ क्षेत्रिय परिवहन अधिकारी को भी पार्टी बनाया जा सकता है। पीडि़त पक्ष सीधे ही लोक अदालत में संबंधित विभाग के खिलाफ समस्या समाधान नहीं होने की शिकायत कर सकते हैं। इसके लिए लोक अदालत में किसी प्रकार का शुल्क या फीस देय नहीं है।
श्रीगंगानगर। मुख्य मार्गों पर अतिक्रमण, सीवरेज से परेशानी व आवारा पशुओं जैसी जन समस्याओं के समाधान को मोटी खाल वाले सरकार के प्रतिनिधि अफसर तवज्जो नहीं देते। प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री कार्यालय तक शिकायतों के बाद भी प्रकरणों को अधिकारियों द्वारा जांच के नाम पर दबा लिया जाता है।
एकल ही नहीं सामूहिक रूप से बताई जाने वाली समस्याओं का समाधान भी कई सालों तक नहीं हो पाता। अब ऐसी जन समस्याओंं के समाधान के लिए आमजन के पास कानून का सहारा ही बचा है। इसके लिए प्रभावित व पीडि़त पक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की चलाई जा रही स्थाई लोक अदालत में वाद दायर कर न्याय पा सकता है। समस्या समाधान का यह एक ऐसा कानूनी मंच है, जहां से कुछ न कुछ राहत तो मिलती ही है।
कानून के जानकारों के अनुसार नगर परिषद, नगर विकास न्यास, जलदाय विभाग, विद्युत निगम, जिला परिवहन अधिकारी, स्वास्थ्य सेवाएं, सीवरेज, पीडब्ल्यूडी, रोडवेज, यातायात व्यवस्था सहित तमाम ऐसे मामलों में प्रभावित पक्ष जिला लोक स्थाई अदालत में शिकायत दर्ज करवा सकता है। अदालत की ओर से शिकायत निवारण व समस्या समाधान के लिए संबंधित विभाग के मुख्यिा को नोटिस जारी किया जा सकता है।
उसे आदेश भी दिया जा सकता है। समस्या समाधान नहीं होने पर मुखिया को तलब भी किया जा सकता है। दोनों पक्षों की वार्ता करवाकर भी समस्या के समाधान का प्रयास लोक अदालत करती है।
सीधे ही किया जा सकता है वाद दायर
विधिक सेवा प्राधिकार अधिनियम 1987 की धारा 22 (ग) के तहत पीडि़त व प्रभावित पक्ष सीधे ही लोक अदालत में वाद दायर कर सकता है। वरिष्ठ अधिवक्त संजय धारीवाल ने बताया कि प्रभावित पक्ष को लोक अदालत में वाद दायर करते समय सरकार के प्रतिनिधि के रूप में जिला कलेक्टर के साथ-साथ संबंधित विभाग के मुख्य अधिकारी को भी पार्टी बनाना चाहिए। ऐसा करने से न्याय शीघ्र मिलने की उम्मीद रहती है। किसी अनफिट वाहन के मामले में जिला परिवहन अधिकारी के साथ साथ क्षेत्रिय परिवहन अधिकारी को भी पार्टी बनाया जा सकता है। पीडि़त पक्ष सीधे ही लोक अदालत में संबंधित विभाग के खिलाफ समस्या समाधान नहीं होने की शिकायत कर सकते हैं। इसके लिए लोक अदालत में किसी प्रकार का शुल्क या फीस देय नहीं है।
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