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ट्रू कॉलर भी उपभोक्ताओं का पर्सनल डाटा कर रहा लीक

जयपुर। स्मार्टफोन में बतौर कॉलर आईडी के लिए यूज हो रहा ट्रू कॉलर एप सायबर फ्रॉड का सबसे बड़ा जरिया बन गया है। सायबर क्रिमिनल्स ट्रू कॉलर पर बैंक, कस्टमर केयर, कुरियर कंपनी के नाम से फेक नम्बर सेव करके सायबर मनी फ्रॉड की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं।
सायबर सिक्योरिटी रिसर्चर राजशेखर राजहरिया का दावा है कि ट्रू कॉलर के जरिए देश के 30 करोड़ मोबाइल यूजर्स का पर्सनल डाटा लीक हुआ है। इसमें राजस्थान के करीब 2 करोड़ मोबाइल नंबर, 40 लाख ईमेल आईडी, 20 लाख फेसबुक आईडी और 10 लाख फोटो, जॉब प्रोफाइल, ट्विटर अकाउंट डिटेल्स भी शामिल हैं। रिसर्चर का दावा है कि सायबर अपराधी इस लीक डाटा के जरिए यूजर्स की प्रोफाइल खंगालकर ठगी करते हैं।  साइबर एक्सपर्ट के मुताबिक जब दो ट्रू कॉलर यूजर किसी मोबाइल नम्बर को जिस भी नाम से सेव करते हैं, सभी ट्रू कॉलर एप यूजर्स को कॉलर आईडी में उसी नाम से वह नम्बर शो करता है। बिना वेरिफाई सेव होने वाले ट्रू कॉलर एप की इसी कमी का फायदा उठाते हुए ठग पहले गूगल और फिर ट्रू कॉलर पर फेक नाम से नंबर सेव करते हैं।
जब कोई गूगल से बैंक या सर्विस सेंटर के नंबर लेता है तो उसे ट्रू कॉलर पर उसी नाम से शो करता है, यूजर इसे सही नंबर मानकर फंस जाता है।
साइबर ठग कॉलर को रजिस्ट्रेशन के नाम से यूपीआई लिंक भेजकर मनी फ्रॉड कर लेते हैंै। हाल ही में एसबीआई बैंक ने भी ट्वीट कर ग्राहकों को फेक नम्बर से सावधान रहने के लिए भी चेताया है।


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