अवैध पीजी से नगर परिषद को लाखों का चूना
- जिम्मेदार अधिकारियों के पास नहीं पूरी संख्या की जानकारी
श्रीगंगानगर। शहर में बेखौफ अवैध रूप से चल रहे पीजी सेंटर नगर परिषद को हर साल लाखों रुपये की चपत लगा रहे हैं। बावजूद इसके परिषद के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। हालात ऐसे हैं कि परिषद के जिम्मेदार अधिकारियों को शहर में चल रहे अवैध पीजी की संख्या की ही जानकारी नहीं है। अब परिषद की टैक्स ब्रांच ने रेजिडेंशियल एरिया में कामर्शियल गतिविधियां चलाने वालों का सर्वे करवाने का निर्णय लिया है।
निकाय एक्ट के तहत आबादी क्षेत्र में पीजी संचालन के लिए नगर परिषद से लाइसेंस लेना होता है। इसके अलावा हर साल निर्धारत फीस व टेक्स भी जमा करवाना होता है। फायर एनओसी व पुलिस वेरिफिकेशन भी आवश्यक है। इसके अलावा पीजी में रहने वालों की सूची भी समय समय पर संबंधित पुलिस थाने में देनी होती है, लेकिन शहर में शायद ही कोई पीजी या हॉस्टल हो जिसके संचालक ने नगर परिषद से लाइसेंस ले रखा हो या हर साल फीस जमा करवा रहा हो। ऐसे पीजी की जानकारी नहीं होने के कारण नगर परिषद भी हर साल भवन मालिकों को रिहायशी दर पर प्रोपर्टी टैक्स जमा करवाने के नोटिस जारी करती है, जबकि इन भवनों में गतिविधियां व्यावसायिक चलाई जाती हैं। इस कारण परिषद को हर साल लाखों रुपए राजस्व का नुकसान हो रहा है।
सर्वें में संख्या काफी कम
पूर्व में एक शिकायत के बाद नगर परिषद प्रशासन ने आवासीय भवनों में व्यवसायिक गतिविधियों के संचालन का सर्वे करवाया था। उस समय नगर परिषद क्षेत्र में केवल 50 पीजी संचालित होने की रिपोर्ट आयुक्त को सौंपी गई थी। परिषद की आरआई अंजलि शर्मा ने बताया कि अब पुराने सर्वे के सत्यापन के सर्वे में छूटे पीजी व हॉस्टल शामिल करने की कार्रवाई करवाई जा रही है।
सर्वे रिपोर्ट मिलने के बाद निकाय एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि पीजी संचालन के लिए लाइसेंस लेना व निर्धारित टैक्स भी जमा करवाना होता है।
किसी ने भी नहीं ले रखी फायर एनओसी
एक अनुमान के अनुसार शहर में 250-300 पीजी संचालित किए जा रहे हैं। इनमे से किसी एक के पास भी फायर एनओसी नहीं है। शनिवार को जवाहरनगर स्थित एक पीजी में आग लगने की घटना के बाद यह खुलासा किया जा रहा है। फायर ऑफिसर गौतमलाल ने बताया कि अभी तक दमकल विभाग से किसी भी पीजी के लिए एनओसी जारी नहीं हुई है। नगर परिषद के अधिकारी कोई सूची देंगे तो ही पीजी व हॉस्टल की फायर ऑडिट हो पाएगी।
श्रीगंगानगर। शहर में बेखौफ अवैध रूप से चल रहे पीजी सेंटर नगर परिषद को हर साल लाखों रुपये की चपत लगा रहे हैं। बावजूद इसके परिषद के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। हालात ऐसे हैं कि परिषद के जिम्मेदार अधिकारियों को शहर में चल रहे अवैध पीजी की संख्या की ही जानकारी नहीं है। अब परिषद की टैक्स ब्रांच ने रेजिडेंशियल एरिया में कामर्शियल गतिविधियां चलाने वालों का सर्वे करवाने का निर्णय लिया है।
निकाय एक्ट के तहत आबादी क्षेत्र में पीजी संचालन के लिए नगर परिषद से लाइसेंस लेना होता है। इसके अलावा हर साल निर्धारत फीस व टेक्स भी जमा करवाना होता है। फायर एनओसी व पुलिस वेरिफिकेशन भी आवश्यक है। इसके अलावा पीजी में रहने वालों की सूची भी समय समय पर संबंधित पुलिस थाने में देनी होती है, लेकिन शहर में शायद ही कोई पीजी या हॉस्टल हो जिसके संचालक ने नगर परिषद से लाइसेंस ले रखा हो या हर साल फीस जमा करवा रहा हो। ऐसे पीजी की जानकारी नहीं होने के कारण नगर परिषद भी हर साल भवन मालिकों को रिहायशी दर पर प्रोपर्टी टैक्स जमा करवाने के नोटिस जारी करती है, जबकि इन भवनों में गतिविधियां व्यावसायिक चलाई जाती हैं। इस कारण परिषद को हर साल लाखों रुपए राजस्व का नुकसान हो रहा है।
सर्वें में संख्या काफी कम
पूर्व में एक शिकायत के बाद नगर परिषद प्रशासन ने आवासीय भवनों में व्यवसायिक गतिविधियों के संचालन का सर्वे करवाया था। उस समय नगर परिषद क्षेत्र में केवल 50 पीजी संचालित होने की रिपोर्ट आयुक्त को सौंपी गई थी। परिषद की आरआई अंजलि शर्मा ने बताया कि अब पुराने सर्वे के सत्यापन के सर्वे में छूटे पीजी व हॉस्टल शामिल करने की कार्रवाई करवाई जा रही है।
सर्वे रिपोर्ट मिलने के बाद निकाय एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि पीजी संचालन के लिए लाइसेंस लेना व निर्धारित टैक्स भी जमा करवाना होता है।
किसी ने भी नहीं ले रखी फायर एनओसी
एक अनुमान के अनुसार शहर में 250-300 पीजी संचालित किए जा रहे हैं। इनमे से किसी एक के पास भी फायर एनओसी नहीं है। शनिवार को जवाहरनगर स्थित एक पीजी में आग लगने की घटना के बाद यह खुलासा किया जा रहा है। फायर ऑफिसर गौतमलाल ने बताया कि अभी तक दमकल विभाग से किसी भी पीजी के लिए एनओसी जारी नहीं हुई है। नगर परिषद के अधिकारी कोई सूची देंगे तो ही पीजी व हॉस्टल की फायर ऑडिट हो पाएगी।
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