एक केपी सोनी पकड़ा गया लेकिन न जाने कितने हैं उस जैसे लोग?
- व्हाट्सएप में वरिष्ठ अधिकारियों-नेताओं को जोड़कर चल रहा है उनके मातहतों को ब्लैकमेल करने का धंधा
श्रीगंगानगर। हनुमानगढ़ पुलिस ने हाल मेंं एक व्यक्ति केपी सोनी को व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए लाखों रुपयों की ठगी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। केपी सोनी ने 'राजस्थान-हरियाणा पुलिसÓ के नाम से एक व्हाट्सएप ग्रुप बना रखा था, जिसमें उसने पुलिस महानिदेशक से लेकर विभिन्न जिलों के एसपी और निचले अधिकारियों तक डेढ़ सौ से ज्यादा अधिकारियों को जोड़ रखा है। उसने डीजीपी के साथ फोटो खिंचवा कर लोगों पर रोब डाला और ठगी तंत्र विकसित कर लिया। एक केपी सोनी तो गिरफ्तारी के बाद जेल भेज दिया गया है लेकिन न जाने कितने ऐसे लोग हैं, जो केपी सोनी की तर्ज पर व्हाट्सएप ग्रु्रप बनाकर ब्लैकमेल का धंधा चलाए हुए हैं।
श्रीगंगानगर जिले में ऐसे लोगों ने शहरों से लेकर गांवों तक अपना धंधा फैला रखा है। धंधा भी ऐसा जिसमें हींग लगे ना फिटकड़ी और रंग चोखा आए। बस एक स्मार्ट फोन खरीदते हंै और उसमें व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर अधिकारियों को जोड़ लेते हैं। जितने ज्यादा विभागों के अफसरों को जोड़ लिया, आमदनी उतनी ही अधिक बढ़ जाती है।
जिले में अनेक कथित पत्रकारों ने ऐसे व्हाट्सएप गु्रप बना रखे हैं। ज्यादातर ने इन ग्रुूपों में विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अफसरों को जोड़ा हुआ है। जब वरिष्ठ अधिकारी जुड़े हों तो निचले तबके के अधिकारियों और कर्मचारियों को हमेशा डर सताता रहता है कि कहीं ग्रुप में उनके बारे में कुछ अनाश-शनाप न लिख दिया जाए। अपने को सुरक्षित रखने के लिए वे लोग गु्रप एडमिन को लाभान्वित करते रहते हैं।
सवाल यह उठता है कि वरिष्ठ अधिकारी ऐसे ग्रूुपों से जुड़े क्यों रहते हैं? इस बात को हर कोई जानता है कि व्हाट्सएप पर कोई भी व्यक्ति गु्रप बना सकता है क्या इस बात को अधिकारी नहीं समझते? अगर समझते हैं तो क्यों ऐसे फालतू ग्रूुप में बन रहते हैं? वह क्यों नहीं ऐसे ग्रुूपों से बाहर हो जाते?
इसी तरह कुछ वरिष्ठ जनप्रतिनिधि सांसद, विधायक, पत्रकारों को भी जोड़ा जाता है। एडमिन ऐसे मुद्दों को ग्रुप में डालते हैं, जिनसे उनका हित सधता है।
श्रीगंगानगर। हनुमानगढ़ पुलिस ने हाल मेंं एक व्यक्ति केपी सोनी को व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए लाखों रुपयों की ठगी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। केपी सोनी ने 'राजस्थान-हरियाणा पुलिसÓ के नाम से एक व्हाट्सएप ग्रुप बना रखा था, जिसमें उसने पुलिस महानिदेशक से लेकर विभिन्न जिलों के एसपी और निचले अधिकारियों तक डेढ़ सौ से ज्यादा अधिकारियों को जोड़ रखा है। उसने डीजीपी के साथ फोटो खिंचवा कर लोगों पर रोब डाला और ठगी तंत्र विकसित कर लिया। एक केपी सोनी तो गिरफ्तारी के बाद जेल भेज दिया गया है लेकिन न जाने कितने ऐसे लोग हैं, जो केपी सोनी की तर्ज पर व्हाट्सएप ग्रु्रप बनाकर ब्लैकमेल का धंधा चलाए हुए हैं।
श्रीगंगानगर जिले में ऐसे लोगों ने शहरों से लेकर गांवों तक अपना धंधा फैला रखा है। धंधा भी ऐसा जिसमें हींग लगे ना फिटकड़ी और रंग चोखा आए। बस एक स्मार्ट फोन खरीदते हंै और उसमें व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर अधिकारियों को जोड़ लेते हैं। जितने ज्यादा विभागों के अफसरों को जोड़ लिया, आमदनी उतनी ही अधिक बढ़ जाती है।
जिले में अनेक कथित पत्रकारों ने ऐसे व्हाट्सएप गु्रप बना रखे हैं। ज्यादातर ने इन ग्रुूपों में विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अफसरों को जोड़ा हुआ है। जब वरिष्ठ अधिकारी जुड़े हों तो निचले तबके के अधिकारियों और कर्मचारियों को हमेशा डर सताता रहता है कि कहीं ग्रुप में उनके बारे में कुछ अनाश-शनाप न लिख दिया जाए। अपने को सुरक्षित रखने के लिए वे लोग गु्रप एडमिन को लाभान्वित करते रहते हैं।
सवाल यह उठता है कि वरिष्ठ अधिकारी ऐसे ग्रूुपों से जुड़े क्यों रहते हैं? इस बात को हर कोई जानता है कि व्हाट्सएप पर कोई भी व्यक्ति गु्रप बना सकता है क्या इस बात को अधिकारी नहीं समझते? अगर समझते हैं तो क्यों ऐसे फालतू ग्रूुप में बन रहते हैं? वह क्यों नहीं ऐसे ग्रुूपों से बाहर हो जाते?
इसी तरह कुछ वरिष्ठ जनप्रतिनिधि सांसद, विधायक, पत्रकारों को भी जोड़ा जाता है। एडमिन ऐसे मुद्दों को ग्रुप में डालते हैं, जिनसे उनका हित सधता है।

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