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फास्टैग अनिवार्यता पर रोक से हाईकोर्ट का इनकार

- कहा- मुश्किल होना रोक लगाने का आधार नहीं
चंडीगढ़। केंद्र सरकार द्वारा फास्टैग को अनिवार्य करने और फास्टैग लेन में बिना टैग प्रवेश पर दोगुना फीस के प्रावधान पर रोक लगाने से हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि किसी को मुश्किल हो रही है यह किसी प्रावधान को रद्द करने का आधार नहीं हो सकता।
पेशे से वकील कंवरजीत सिंह ढिल्लों और गुरमनप्रीत सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए इसे अनिवार्य करने को चुनौती दी है। याचिका में हाईकोर्ट को बताया गया कि 2014 में नेशनल हाईवे एक्ट में संशोधन कर टोल पर फास्टैग लाइन को शामिल करने का निर्णय लिया गया। इसी दौरान यह निर्णय लिया गया कि बिना टैग वाली लाइन को यदि टैग लाइन में ले जाया जाएगा तो उससे दो गुना फीस वसूली जाएगी। इसके बाद अब देश भर में 15 दिसंबर से फास्टैग अनिवार्य किया जा रहा है। याची ने दलील देते हुए कहा कि नेशनल हाईवे एक्ट में केंद्र सरकार को हाईवे के लिए फीस निर्धारित करने का अधिकार है लेकिन कोई जुर्माना लगाने का नहीं। दो गुना फीस फास्टैग केलिए लगाना एक प्रकार से जुर्माना ही है और ऐसे में यह गलत है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि देश में डिजिटल लिट्रेसी रेट कम है जिसके कारण लोगों को ट्रैकका इस्तेमाल करने में परेशानी होगी। हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि केवल किसी को परेशानी होगी यह किसी प्रावधान को रद्द करने का आधार नहीं हो सकता।


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