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स्कूली शिक्षकों और कर्मचारियों को करना होगा गुस्से पर काबू

- सीबीएसई स्कूलों को बनाया जाएगा एंगर फ्री जोन
श्रीगंगानगर। सीबीएसई से मान्यता प्राप्त स्कूल एंगर फ्री जोन बनेंगे। वहां शिक्षक, कर्मचारी और अभिभावक खुद अपने गुस्से पर काबू कर बच्चों के लिए मिसाल कायम करेंगे। साथ ही बच्चों को क्रोध से आजादी का महत्व भी समझाएंगे। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूलों को एंगर फ्री जोन बनाने के लिए एडवाइजरी जारी की है। इसके लिए स्कूल लीडर्स (संचालक व प्रधानाचार्य) को जिम्मेदारी दी गई है। इसके तहत उन्हें स्कूलों को एंगर फ्री जोन बनाने की दिशा में प्रयास करना होगा।
एडवाइजरी में कहा गया है कि शिक्षक, अभिभावक, स्कूल प्रशासन कर्मी सभी अपने गुस्से पर काबू रखेंगे और स्टूडेंट्स के सामने मिसाल पेश करेंगे कि गुस्से पर काबू किस तरह रखा जाता है। बोर्ड का कहना है कि बच्चों के समग्र विकास के लिए स्कूल को नकारात्मकता से रहित होना चाहिए।
एंगर फ्री जोन बनाने के लिए बोर्ड की ओर से कई सुझाव भी दिए गए हैं। जिनमें दिन भर मोबाइल फोन में न लगे रहने, गहरी लंबी सांस लेने, व्यायाम करने जैसे सुझाव शामिल हैं।
बोर्ड ने स्कूलों को कहा है कि एंगर फ्री जोन बनने के संबंध में स्कूल अपने अनुभव सोशल मीडिया पर शेयर करें। इसके लिए ष्ड्ढह्यद्गठ्ठशड्डठ्ठद्दद्गह्म् हैशटैग इस्तेमाल करने के लिए कहा गया है।
बोर्ड ने बताए गुस्से के दुष्परिणाम
बोर्ड ने कहा है कि शरीर की फिटनेस दिमाग की फिटनेस के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ी हुई है। एक फिट दिमाग एक रचनात्मक दिमाग है और समाज में योगदान देने में सक्षम है जबकि, समय-समय पर उपजने वाला गुस्सा फिटनेस के लिए हानिकारक है। गुस्से से ही चिंता, उच्च रक्तचाप व सिरदर्द जैसी परेशानियां उपजती हैं।
लगाने होंगे क्रोध मुक्त क्षेत्र के बोर्ड
स्कूलों को एंगर फ्री जोन का साइन बोर्ड भी लगाना होगा। इसमें 'यह एक क्रोधमुक्त क्षेत्र हैÓ लिखना होगा। ये कवायद परीक्षार्थियों में दबाव कम करने में भी कारगर है।


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