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हट सकती है 2 से अधिक संतान होने पर चुनाव नहीं लड़ पाने की बाध्यता

- पंचायत चुनाव
जयपुर. गहलोत सरकार पिछली बीजेपी सरकार  एक और अहम निर्णय को बदलने की तैयारी में है. राज्य सरकार पंचायत चुनाव  में दो से अधिक संतान होने पर चुनाव नहीं लड़ सकने की बाध्यता को हटा सकती है. इसके लिए सरकार अयोग्यता संबंधी नियम  में बदलाव करने की तैयारी कर रही है. सूत्रों के अनुसार सरकार में इसके लिए उच्च स्तर  पर मंथन चल रहा है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्य सरकार की पहली वर्षगांठ पर इसकी घोषणा कर सकते हैं.
पहले भी बदले जा चुके हैं कई फैसले : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शपथ ग्रहण के बाद ही पहली कैबिनेट की बैठक में पिछली सरकार के कई फैसले पलट दिए थे. गहलोत कैबिनेट की पहली बैठक में स्थानीय निकाय के चुनाव में लगी शैक्षिणक बाध्यता को समाप्त कर दिया था. वहीं सरकारी लैटर हैड से पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम हटाने पर भी मुहर लगा दी गई थी.
पिछली बीजेपी सरकार ने किया था संशोधन
पिछली वसुंधरा राजे सरकार ने एक कानून लाकर दो से अधिक संतान होने पर स्थानीय निकाय एवं पंचायतीराज संस्थाओं में चुनाव लडऩे पर रोक लगा दी थी. पिछली सरकार ने राजस्थान पंचायतीराज अधिनियम-1994 की धारा-19 में संशोधन कर दो से अधिक संतान होने पर पंचायत चुनाव लडऩे के लिए अयोग्यता संबंधी प्रावधान किया था. इसके तहत 1995 से पहले जिनके दो या दो अधिक बच्चे हैं, उन्हें 1995 के पश्चात एक और बच्चा होने की स्थिति में चुनाव लडऩे अयोग्य घोषित किया जाता है.
जनवरी-फरवरी में पंचायत चुनाव प्रस्तावित हैं
उल्लेखनीय है कि राज्य में जनवरी-फरवरी में पंचायत चुनाव प्रस्तावित हैं. सूत्रों के अनुसार सरकार की मंशा पंचायत चुनाव 3 चरणों में करवाने की है. चुनाव के लिए प्रदेश में 25 दिसंबर के आसपास आदर्श आचार संहिता लगने की उम्मीद जताई जा रही है. इस बार पंचायतों और पंचायत समितियों का पुर्नगठन किया गया है. इसके कारण प्रदेश में 1264 नई पंचायतें और 48 पंचायत समितियां बनाई गई हैं.


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