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देश भर में कमोडिटी सट्टेबाजी में टॉपर हैं श्रीगंगानगर

- भावों में उतार-चढ़ाव की जानकारी से मिलता है फायदा
श्रीगंगानगर (एसबीटी)। हैडिंग पढ़कर चौंकने की जरूरत नहीं, यह सच्चाई है। देश भर के कमोडिटी सट्टेबाजी में श्रीगंगानगर टॉपर है। कमोडिटी सट्टेबाजी में यहां के कारोबारियों का अच्छा-खासा नाम है। ऐसे कारोबारियों की संख्या कम-ज्यादा हो सकती है, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कमोडिटी सट्टेबाजी में सर्वाधिक भागीदारी श्रीगंगानगर की है।
श्रीगंगानगर के एक बड़े व्यापारी को पिछले दिनों अरंडी में करोड़ों की चपत लगने की वजह भी कमोडिटी सट्टेबाजी बताई जा रही है। हालांकि कई इससे इनकार भी करेंगे, लेकिन अंदरूनी सच्चाई यही है कि कमोडिटी सट्टेबाजी की जड़ें श्रीगंगानगर में गहराई तक पहुंची हुई हैं।
जानकार सूत्रों की मानें तो कमोडिटी सट्टेबाजी में श्रीगंगानगर की भागीदारी 50 प्रतिशत से भी अधिक है। बेहतर कृषि उत्पादन की वजह से देश भर में वैसे ही श्रीगंगानगर का अच्छा-खासा नाम है, इसलिए यहां के कारोबारी कमोडिटी सट्टेबाजी में अंदर तक घुसे हुए हैं। यहां के व्यापारी बाम्बे-दिल्ली के सटोरियों से मिलकर कृत्रिम तेजी-मंदी लाने में भी चर्चित रहते हैं।
इसकी एक वजह ये भी है कि 'डिब्बेÓ में कारोबार करने वाले अन्य स्थानों के मुकाबले श्रीगंगानगर में उत्पादन की उपलब्धता रहती है। सौदे होते हैं तो डिलीवरी के लिए माल गोदामों में स्टोरेज होता है। इसके चलते यहां के कारोबारियों को ग्वार, अरंडी सहित अन्य कमोडिटीज के भावों की जानकारी रहती है।
जानकार सूत्रों का कहना है कि कमोडिटी सट्टेबाजी में भावों की जानकारी ही महत्वपूर्ण है। इसी के आधार पर सौदे होते हैं। सौदों के इसी खेल में कारोबारी बनते-बिगड़ते हैं। इसी वजह से कमोडिटी सट्टेबाजी में 'हाई लेवलÓ का खेल होता है। सटोरिए किसी कमोडिटी में तेजी भी ला सकते हैं और मंदी भी। तेजी-मंदी का सारा गणित भाव और सौदों तक टिका रहता है। चूंकि ग्वार सहित अन्य फसलों के उत्पादन में श्रीगंगानगर अव्वल है, इसलिए कमोडिटी सट्टेबाजी में भी श्रीगंगानगर की भागीदारी अधिक है। अब यह भागीदारी कितनी राशि की है, इसका कोई अंदाजा नहीं है।
दूसरे राज्यों से आते थे व्यापारी
सूत्रों के अनुसार कमोडिटी सट्टेबाजी में श्रीगंगानगर नया नाम नहीं है। 'डिब्बाÓ शुरु होने से पहले लोग भावों में उतार-चढ़ाव को लेकर सट्टेबाजी करते थे। चर्चा तो यहां तक है कि पड़ोसी राज्यों से बड़े कारोबारी श्रीश्रीगंगानगर में कमोडिटी सट्टेबाजी करने आते थे। चूंकि सट्टेबाजी दो नंबरी काम है, इसलिए सब कुछ चोरी-छुपे होता है। आज भी अगर किसी कारोबारी के कमोडिटी सट्टेबाजी में लगते या आते हैं तो वह किसी से इसका जिक्र नहीं करता है।


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