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वोडा-आइडिया, एयरटेल को राहत न दे सरकार: जियो

कोलकाता। एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू के मामले में सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद रिलायंस जियो और दूसरी कंपनियों के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है। बुधवार को सेल्युलर्स ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया पर सरकार को ब्लैकमेल करने का आरोप लगाने वाली रिलायंस जियो ने गुरुवार को टेलिकॉम मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद को लेटर लिखकर कहा कि वह भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया को ्रत्रक्र की बढ़ाई गई परिभाषा के चलते बनी वैधानिक देनदारी से कोई राहत न दें। जियो ने कहा कि दोनों कंपनियों के पास देनदारी चुकाने की पर्याप्त वित्तीय क्षमता है। जियो ने हालांकि इस लेटर में कहा कि सरकार को 'टैक्स और जीएसटी क्रेडिट जैसे इंडस्ट्री के दूसरे मसलों पर विचार करना चाहिए।Ó उसने सरकार से अनुरोध किया है कि 'सीओएआई को टेलिकॉम इंडस्ट्री के लिए फाइनैंशल पैकेज के मुद्दे के साथ वैध लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज से जुड़ी देनदारी को मिक्स न करने दिया जाए क्योंकि लाइसेंस फीस और स्ष्ट का मामला ऑपरेटरों के पिछले बर्ताव के कारण बना है।Ó सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर पर दूरसंचार विभाग की राय को सही ठहराया था। इसके चलते वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल को लाइसेंस फीस, स्ष्ट के मद में पेनाल्टी और ब्याज सहित करीब 80000 करोड़ रुपये चुकाने पड़ सकते हैं। इन दोनों कंपनियों ने ्रत्रक्र से जुड़ी पेनाल्टी और ब्याज से राहत देने की मांग की है। सीओएआई ने कहा है कि ऐसी राहत नहीं दी गई तो दोनों टेलिकॉम कंपनियों को 'असाधारण संकटÓ का सामना करना पड़ सकता है और 7 लाख करोड़ रुपये के कर्ज से दबे इस सेक्टर में मोनोपॉली बन सकती है, नौकरियां जा सकती हैं, निवेश घट सकता है और नेटवर्क की क्वॉलिटी खराब हो सकती है। जियो ने बुधवार को कहा था कि किसी कंपनी के इस इंडस्ट्री से विदा हो जाने से मोनोपॉली नहीं बनने जा रही है क्योंकि दो सरकारी कंपनियां भी हैं।


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