Breaking News

पूरे महीने चलेगा पूजा-पाठ का दौर, रहेगी त्योहारों की धूम

- धार्मिक दृष्टि से विशिष्ट पवित्र कार्तिक मास का शुभारंभ कल से
श्रीगंगानगर। धार्मिक दृष्टि से विशिष्ट महत्व रखने वाला पवित्र कार्तिक मास रविवार को आरंभ हो जाएगा। कार्तिक मास में जहां पूजा-पाठ और तीर्थ स्नान का महत्व रहेगा, वहीं इस दौरान विभिन्न पर्व-त्योहारों की भी धूम रहेगी। मंदिरों मेंं कार्तिक मास के दौरान धार्मिक आयोजन होंगे। घरों में पूजा-अर्चना का दौर चलेगा।
पंडित सत्यपाल पाराशर ने बताया कि कार्तिक महीने का शुभारंभ रविवार को शरद पूर्णिमा से होगा और समापन कार्तिक पूर्णिमा या देव दीपावली के मौके पर होगा। कार्तिक मास के दौरान करवा चौथ, अहोई अष्टमी, धनतेरस, रूप चर्तुदशी, दीवाली, गोवर्धन पूजा, भैया दूज, सौभाग्य पंचमी, छठ, गोपाष्टमी, आंवला नवमी, देव एकादशी, बैकुंठ चर्तुदशी, कार्तिक पूर्णिमा अथवा देव दीपावली की धूम रहेगी।
उन्होंने बताया कि कार्तिक में देव उठनी एकादशी का विशेष महत्व माना गया है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा के पश्चात उठते हैं। इस दिन के बाद से सारे मांगलिक कार्य शुरू किए जाते हैं।  उन्होंने बताया कि कार्तिक महीने में दान, पूजा-पाठ तथा स्नान का बहुत महत्व है तथा इसे कार्तिक स्नान कहा जाता है। यह स्नान सूर्योदय से पूर्व किया जाता है। स्नान कर पूजा-पाठ को खास अहमियत दी जाती है। इस दौरान पवित्र नदियों में स्नान का खास महत्व माना गया है। कार्तिक में दीपदान का भी खास विधान है।
कार्तिक में इन बातों का रखें ध्यान
पंडित पाराशर ने बताया कि कार्तिक मास के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए। कार्तिक स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को ध्यान रखना चाहिए कि इस दौरान धूम्रपान निषेध बताया गया है। लहुसन, प्याज और मांसाहार का सेवन भी वर्जित किया गया है। इस महीने में भक्त को बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए उसे भूमि शयन करना चाहिए। इस दौरान सूर्य उपासना विशेष फलदायी होती है। साथ ही दाल खाना तथा दोपहर में सोना भी अच्छा नहीं माना जाता है।
तुलसी पूजा का है खास महत्व
 पंडित पाराशर ने बताया कि कार्तिक महीने में तुलसी की पूजा का खास महत्व है। तुलसी जी भगवान विष्णु की प्रिया हैं। तुलसी की पूजा कर भक्त भगवान विष्णु को भी प्रसन्न कर सकते हैं। इसलिए कार्तिक में श्रद्धालु गण विशेष रूप से तुलसी की आराधना करते हैं। कार्तिक में स्नान के बाद तुलसी तथा सूर्य को जल अर्पित तथा पूजा-अर्चना करना चाहिए है। कार्तिक में तुलसी के पौधे के दान का भी महत्व है।


No comments