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आरबीआई ने रेपो रेट में की 0.25 फीसदी की कटौती

नई दिल्ली। अर्थव्यवस्था को गति देने के प्रयासों के क्रम में भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को अपनी प्रमुख नीतिगत दर में लगातार पांचवीं बार कमी की है। आरबीआई ने इस मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा बैठक में रेपो दर 25 आधार अंक घटाकर 5.15 फीसदी कर दिया है, जिससे इस साल रेपो दर में कुल कटौती 135 आधार अंक पहुंच गई है।
पहले ये दर 5.40 फीसदी थी। नौ सालों में पहली बार रेपो रेट इतना कम हुआ है। रिवर्स रेपो रेट 4.90 फीसदी कर दिया गया है और बैंक रेट 5.40 फीसदी हो गया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी का अनुमान 6.9 फीसदी से घटाकर 6.1 फीसदी कर दिया है। वहीं वित्त वर्ष 2020-21 के लिए जीडीपी का अनुमान 7.2 फीसदी कर दिया है। छह सदस्यीय एमपीसी की बैठक गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में हुई। केंद्रीय बैंक खुदरा महंगाई को ध्यान में रखते हुए प्रमुख नीतिगत दरों पर फैसला लेता है।
हालांकि ज्यादातर विशेषज्ञ दिसंबर में होने वाली समीक्षा में 15 आधार अंक की एक और कटौती की उम्मीद कर रहे हैं। अगर रेपो रेट में कटौती का फायदा बैंक आप तक पहुंचाते हैं तो का आम लोगों को काफी फायदा होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि अब बैंकों पर ब्याज दरों में कटौती करने का दबाव रहेगा।
 इससे लोगों को लोन सस्ते में मिल जाएगा। इसके अलावा जो होम, ऑटो या अन्य प्रकार के लोन फ्लोटिंग रेट पर लिए गए हैं, उनकी ईएमआई में भी कमी हो जाएगी।
इसलिए अहम थी आरबीआई की बैठक
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की यह बैठक इसलिए भी अहम थी क्योंकि उसने रेपो दर में कमी का फायदा ग्राहकों को देने के लिए सभी बैंकों को एक अक्तूबर से अपने कर्ज रेपो दर जैसे बेंचमार्क से जोडऩे का आदेश दिया था। बैठक से पहले दास की अगुवाई वाली वित्तीय स्थायित्व एवं विकास परिषद (एफएसडीसी) उप समिति ने मौजूदा व्यापक परिदृश्य का जायजा लिया था।
आरबीआई गवर्नर ने दिया था संकेत
बता दें कि आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास पहले ही संकेत दे चुके थे कि महंगाई में नरमी के मद्देनजर मौद्रिक नीति को लचीला बनाने की अभी गुंजाइश है। इससे पहले सरकार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में पांच फीसदी के साथ छह साल के निचले स्तर पर पहुंची आर्थिक विकास दर को रफ्तार देने के लिए कॉर्पोरेट कर में भारी कमी, एफपीआई पर लगाए गए उपकर को वापस लेने सहित कई कदम उठा चुकी है।
अगस्त में इतना कम किया था रेपो रेट
इससे पहले सात अगस्त को हुई बैठक में भी भारतीय रिजर्व बैंक ने आम लोगों के लिए बड़ी घोषणा की थी। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा बैठक में लगातार चौथी बार रेपो रेट में कटौती की घोषणा की गई थी। फैसले के अनुसार, रेपो रेट को घटाकर 5.40 फीसदी कर दिया गया था। इसमें 35 आधार अंकों की कटौती की गई थी। केंद्रीय बैंक ने रिवर्स रेपो रेट को 5.15 फीसदी किया था।
खुदरा मुद्रास्फीति का भी जताया था अनुमान
साथ ही आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी का अनुमान सात फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी किया था। रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2020 की दूसरी छमाही के लिये खुदरा मुद्रास्फीति 3.5 से 3.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया था।


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