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आसाराम को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत

- सजा स्थगन की याचिका खारिज
जोधपुर। नाबालिग छात्रा के यौन उत्पीडऩ करने के मामले में अंतिम सांस तक जेल की सजा भुगत रहे आसाराम की जोधपुर जेल से बाहर निकलने की उम्मीदें सोमवार को धराशायी हो गईं। राजस्थान हाईकोर्ट ने सजा स्थगन करने की आसाराम की याचिका को खारिज कर दिया। वहीं इस सजा के खिलाफ दायर एक अन्य याचिका को प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई करने के आसाराम के अनुरोध पर हाईकोर्ट ने आंशिक राहत प्रदान करते हुए जनवरी के दूसरे सप्ताह में सुनवाई की तिथि तय कर दी।
आसाराम की सजा स्थगन की याचिका पर आज उनकी तरफ से मुंबई के प्रसिद्ध वकील एस गुप्ते पेश हुए। न्यायाधीश संदीप मेहता व न्यायाधीश वीके माथुर की खंडपीठ में उन्होंने पीडि़ता की उम्र पर सवालिया निशान लगाते हुए उसे बालिग बताने का प्रयास किया। अपने तर्क में गुप्ते ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों को पेश किया। लेकिन खंडपीठ ने उनकी दलीलों पर असहमति जताते हुए पीडि़ता की स्कूल रिकॉर्ड में दर्ज उम्र को सही माना। इसके बाद खंडपीठ ने आसाराम की याचिका को खारिज कर दिया।
वहीं, आसाराम की ओर से इस सजा के खिलाफ दायर याचिका को प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई करने के अनुरोध पर आंशिक राहत प्रदान की। इस मामले में हाईकोर्ट पूर्व में कह चुका है कि उसके पास पहले से आठ वर्ष पुराने मामले लंबित है। ऐसे में आसाराम की इस याचिका पर पहले सुनवाई नहीं हो सकती। आज आसाराम की तरफ से एक बार फिर अनुरोध किया गया कि उन्हें जोधपुर जेल में रहते हुए छह साल और एक माह का समय हो चुका है। ऐसे में उनकी याचिका को प्राथमिकता के आधार पर सुना जाए। इस पर खंडपीठ ने कहा कि इस मामले की सुनवाई अगले वर्ष जनवरी माह के दूसरे सप्ताह में की जाएगी।


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