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सत्ता के केंद्र कई : कुछ ने समझी पक्की, कइयों ने माना गई

- कांग्रेस-भाजपा में टिकट के लिए सर्वाधिक टकटकी, चुनाव लडऩे के इच्छुकों ने कर दिए जोड़तोड़ शुरू
श्रीगंगानगर। शहर की सरकार यानि नगर परिषद में पहुंचने, पार्षद बनने के लिए टिकट की तरफ टकटकी बढ़ गई है। कांग्रेस एवं भाजपा में ऐसा सर्वाधिक है। इन दोनों प्रमुख दलों में इस बार सत्ता के कई केंद्र बनने से कुछ अपनी टिकट को पक्का मान रहे हैं तो कइयों ने जैसे स्वीकार कर लिया है उनकी टिकट तो इस बार गई।
वार्डों के आरक्षण की लॉटरी निकलने के बाद पार्षद पद के लिए कौन, कहां से लड़ सकता है, स्थिति साफ हो गई है। कइयों ने तो 'उलटी गिनती शुरूÓ के हिसाब से अपने वार्ड में उलटफेर करने के लिए मेलजोल बढ़ा दिया है। टिकट की चाह रखने वालों ने जोड़तोड़ भी शुरू कर दिए हैं।
सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस में टिकट दिलाने में निर्दलीय विधायक राजकुमार गौड़ तथा विधानसभा चुनाव में पार्टी की टिकट पाने वाले अशोक चांडक की पूरी चलबल रहने के कयास लगाए जा रहे हैं। गौड़ भले ही औपचारिक रूप से कांग्रेस में नहीं हैं लेकिन वे कांग्रेसी कहला रहे हैं। राज्य सरकार को खुला समर्थन देने तथा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से सालों से निकटता की वजह से यह माना जा रहा है कि वे अपने चहेतों को टिकट दिलवाने की हर संभव कोशिश करेंगे।
कांग्रेस मेें दूसरा धड़ा सचिन पायलट का माना जाता है। वे न केवल उप मुख्यमंत्री हैं, प्रदेश कांग्रेस की कमान भी उनके हाथ में है। श्रीगंगानगर के चांडक उनके खेमे में माने जाते हैं। संगठन की चाबी पायलट के हाथ में है, इसलिए टिकट वितरण में उनकी भूमिका खूब रहने वाली है। यहां पार्टी की टिकट चाहने वालों ने अपने-अपने हिसाब से कोशिश शुरू की है। कुछ ऐसे भी हैं जो दोनों जगह हाजरी भर रहे हैं।
भाजपा की तरफ से चुनाव की चाह रखने वालों की फेहरिस्त लम्बी है। इसमें प्रदेशाध्यक्ष की बागडोर सतीश पूनिया के हाथ में आने के बाद सत्ता के केंद्र बढ़ गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से सीधे सम्पर्क वाले कई वरिष्ठ नेता शहर में हैं तो पूनिया से पुराने परिचय वाले भी कुछ लोग हैं। पार्टी की टिकट पर विधानसभा चुनाव लडऩे वाली विनीता आहूजा टिकट वितरण में अपनी दखल की कोशिश करती नजर आ रही है वहीं जयदीप बिहाणी, संजय महिपाल, प्रहलाद टाक जैसे कई नेता भी अपनी पसंद वालों को चुनाव लड़वाने में कोई कसर बाकि नहीं छोड़ेंगे।

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