स्थानीय निकाय अब भूमि को अपने स्तर पर नहीं कर सकेंगे अवाप्ति से मुक्त
- राज्य सरकार ने आदेश जारी करके कर दिया पाबंद
श्रीगंगानगर। किसी भी शहर में अवाप्त की गई भूमि को अब स्थानीय निकाय अपने स्तर पर अवाप्ति से मुक्त नहीं कर सकेंगे। स्थानीय निकायों को ऐसा करने के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भिजवा कर स्वीकृति लेनी अनिवार्य होगी। नगरीय विकास एवं आवासन विभाग के प्रमुख शासन सचिव भास्कर ए.सांवत ने इस आशय के आदेश जारी कर सभी स्थानीय निकायों को इस बारे में पाबंद कर दिया गया है।
आदेश के अनुसार राज्य सरकार की जानकारी में आया है कि विकास प्राधिकरण एवं नगर निकायों के द्वारा नए भूमि अवाप्ति अधिनियम की धारा 24 (2) एवं धारा 101 का गलत अभिप्राय समझते हुए उनके यहां ऐसी अवाप्त भूमि जो अवाप्ति के पांच वर्ष तक उपयोग में नहीं आई है, या जिसका कब्जा नहीं लिया गया या जिसका भुगतान नहीं किया गया है को अपने स्तर पर अवाप्ति से मुक्त कर दिया गया है। ऐसा करने के लिए राज्य सरकार से अनुमति नहीं ली गई है। प्राधिकरण एवं निकायों के स्तर पर ऐसी कार्यवाही पूर्णतया अनाधिकृत है। 24 (2) के तहत भूमि की पुन: अवाप्ति की कार्यवाही की जानी है या नहीं, इसका निर्णय भी राज्य सरकार के स्तर पर होता है। आदेश में कहा गया है कि जहां भूमि का अवार्ड जारी हो चुका है, लेकिन भूमि पांच साल से अधिक समय से उपयोग में नहीं आई है या फिर उसका कब्जा प्राप्त नहीं किया गया है या उसके मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया है तो धारा 24 (2) के तहत उसे अवाप्ति से मुक्त किया जाना है या पुन: अवाप्ति की कार्रवाई की जानी है तो इसका निर्णय राज्य सरकार द्वारा ही लिया जा सकता है। ऐसे समस्त प्रकरणों को स्वीकृति के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भिजवाना होगा।
आदेश के अनुसार धारा 101 के तहत उपयोग में नहीं आ रही भूमि की वापसी या भूमि बैंक के संबंध में कार्यवाही के लिए भी प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजकर स्वीकृति प्राप्त करनी होगी। नए भूमि अवाप्ति अधिनियम के तहत मुआवजे की नगद राशि का भार नगर निकायों पर अत्यधिक आता है। ऐसे अवाप्त की जाने वाली भूमि के मामलों मेंं जहां तक हो सके भूमि के बदले में 25 प्रतिशत विकसित भूमि देने की कार्यवाही की जाए। इस प्रकार मुआवजे के रूप में 25 प्रतिशत विकसित भूमि देने के प्रस्ताव भी अब राज्य सरकार को स्वीकृति के लिए भिजवाने होंगे।
श्रीगंगानगर। किसी भी शहर में अवाप्त की गई भूमि को अब स्थानीय निकाय अपने स्तर पर अवाप्ति से मुक्त नहीं कर सकेंगे। स्थानीय निकायों को ऐसा करने के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भिजवा कर स्वीकृति लेनी अनिवार्य होगी। नगरीय विकास एवं आवासन विभाग के प्रमुख शासन सचिव भास्कर ए.सांवत ने इस आशय के आदेश जारी कर सभी स्थानीय निकायों को इस बारे में पाबंद कर दिया गया है।
आदेश के अनुसार राज्य सरकार की जानकारी में आया है कि विकास प्राधिकरण एवं नगर निकायों के द्वारा नए भूमि अवाप्ति अधिनियम की धारा 24 (2) एवं धारा 101 का गलत अभिप्राय समझते हुए उनके यहां ऐसी अवाप्त भूमि जो अवाप्ति के पांच वर्ष तक उपयोग में नहीं आई है, या जिसका कब्जा नहीं लिया गया या जिसका भुगतान नहीं किया गया है को अपने स्तर पर अवाप्ति से मुक्त कर दिया गया है। ऐसा करने के लिए राज्य सरकार से अनुमति नहीं ली गई है। प्राधिकरण एवं निकायों के स्तर पर ऐसी कार्यवाही पूर्णतया अनाधिकृत है। 24 (2) के तहत भूमि की पुन: अवाप्ति की कार्यवाही की जानी है या नहीं, इसका निर्णय भी राज्य सरकार के स्तर पर होता है। आदेश में कहा गया है कि जहां भूमि का अवार्ड जारी हो चुका है, लेकिन भूमि पांच साल से अधिक समय से उपयोग में नहीं आई है या फिर उसका कब्जा प्राप्त नहीं किया गया है या उसके मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया है तो धारा 24 (2) के तहत उसे अवाप्ति से मुक्त किया जाना है या पुन: अवाप्ति की कार्रवाई की जानी है तो इसका निर्णय राज्य सरकार द्वारा ही लिया जा सकता है। ऐसे समस्त प्रकरणों को स्वीकृति के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भिजवाना होगा।
आदेश के अनुसार धारा 101 के तहत उपयोग में नहीं आ रही भूमि की वापसी या भूमि बैंक के संबंध में कार्यवाही के लिए भी प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजकर स्वीकृति प्राप्त करनी होगी। नए भूमि अवाप्ति अधिनियम के तहत मुआवजे की नगद राशि का भार नगर निकायों पर अत्यधिक आता है। ऐसे अवाप्त की जाने वाली भूमि के मामलों मेंं जहां तक हो सके भूमि के बदले में 25 प्रतिशत विकसित भूमि देने की कार्यवाही की जाए। इस प्रकार मुआवजे के रूप में 25 प्रतिशत विकसित भूमि देने के प्रस्ताव भी अब राज्य सरकार को स्वीकृति के लिए भिजवाने होंगे।
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