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ई-वे बिल पर मिली मोहलत, सालाना रिटर्न भी टलेगा

नई दिल्ली। जीएसटी रिटर्न में देरी या नहीं भरने वाले करीब 40त्न कारोबारियों की माल ढुलाई पर लटकी तलवार फिलहाल तीन महीने के लिए टल गई है। बुधवार से ऐसे कारोबारियों के ई-वे बिल जेनरेट करने पर रोक लगने वाली थी। इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा चिंता का विषय बन चुके जीएसटी पर सालाना रिटर्न के टलने के भी पूरे आसार बन गए हैं, जिस पर जल्द फैसला हो सकता है। अभी करीब 80त्न लोगों ने इसे नहीं भरा है, जबकि 98त्न ने ऑडिट रिपोर्ट दाखिल नहीं की है। वित्त मंत्रालय के आदेश के मुताबिक जीएसटी रूल 138-ई के तहत लगातार दो टैक्स पीरियड (मंथली या तिमाही) में रिटर्न नहीं भरने वालों को ई-वे बिल पोर्टल पर ब्लॉक करने का फैसला 21 नवंबर तक के लिए टाल दिया गया है। इनके ई-वे बिल जेनरेट करने पर रोक से 50,000 रुपये से ज्यादा मूल्य की माल ढुलाई संभव नहीं हो पाती और फेस्टिव सीजन में सप्लाई का बड़ा संकट खड़ा हो सकता था। दूसरी ओर, जीएसटी के पहले सालाना रिटर्न पर जारी गतिरोध के बीच सरकार ने इसे भी टालने का मन बना लिया है। दिल्ली जीएसटी के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि राजधानी सहित ज्यादातर राज्यों की ओर से सिफारिश की गई है कि चूंकि 20त्न असेसी ने ही फॉर्म त्रस्ञ्जक्र-9 और 2त्न से भी कम ने ऑडिट रिपोर्ट त्रस्ञ्जक्र-9ष्ट दाखिल किया है, ऐसे में मोहलत की सख्त जरूरत है। हालांकि इंडस्ट्री और एक्सपट्र्स का मानना है बार-बार डेट बढ़ाने से भी सालाना रिटर्न की चुनौती दूर नहीं होने वाली। इसकी फाइलिंग में सबसे बड़ी बाधा रिवीजन का प्रावधान नहीं होना है। जीएसटी कंसल्टेंट राकेश गुप्ता ने बताया कि चूंकि दो साल पुरानी जीएसटी में पहली बार ऐनुअल रिटर्न भरा जा रहा है, ऐसे में गलती होने के चांसेज ज्यादा हैं। उन्होंने कहा कि इनकम टैक्स 58 साल पुराना है, लेकिन 2017-18 के लिए 25त्न से ज्यादा यानी करीब 1.35 करोड़ लोगों ने रिटर्न रिवाइज किया, ऐसा नहीं होता तो इतने लोग नोटिस, पेनल्टी और सजा का शिकार होते।

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