बिल देने वाले ग्राहकों पर नहीं पड़ेगा बिजली चोरी का बोझ
- खुशखबरी! मोदी सरकार की नई नीति
नई दिल्ली। अब बिल देने वाले ग्राहकों पर बिजली चोरी का बोझ नहीं पड़ेगा। बिजली मंत्रालय अपनी नई टैरिफ नीति में बिजली सब्सिडी को लेकर जल्द ही बड़ा बदलाव करने वाला है। इसमें बिजली कटने पर ग्राहकों को उसका हर्जाना दिलाने की व्यवस्था की जाएगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में भी बिजली कंपनियों को दिए जाने वाले क्रॉस सब्सिडी को बंद करने की बात कही थी।
नई टैरिफ नीति का कैबिनेट नोट, सभी संबंधी मंत्रालयों को भेज दिया गया है, जिस पर अगले एक हफ्ते के अंदर फैसला आने की उम्मीद है। नई टैरिफ नीति से देशभर में ग्राहकों को चौबीसों घंटे बिजली देने की बात कही गयी है। बिजली वितरण कम्पनियां यदि बिजली की चोरी को रोक नही पाई तो उन पर जुर्माना लगाने की व्यवस्था भी इसमें है। इसे बिजली के क्षेत्र में सुधार का सबसे अहम कदम माना जा रहा है।
अब हर घर में लगेंगे स्मार्ट मीटर : नई टैरिफ नीति के चलते अगले तीन वर्षो में देश के हर घर में बिजली कनेक्शन और ग्राहक के घर में स्मार्ट मीटर लगाये जाएंगें।
ग्राहकों को बेहद आसान किस्तों पर स्मार्ट मीटर दिलाने की व्यवस्था की जाएगी।
कंपनियों को ट्रांसमिशन व डिस्ट्रीब्यूशन (टीएंडडी) हानि को घटाकर 15 फीसद पर लाना होगा। नए कानून में उनके लिए बिजली की लागत तय करने में सिर्फ उतनी ही बिजली को जोडऩे की अनुमति होगी जितनी आपूर्ति की गई है। जिन राज्यों में बिजली की हानि 15 फीसद से ज्यादा है वहां की वितरण कंपनियों को भारी घाटा उठाना पड़ सकता है।
यदि नई टैरिफ नीति आती है तो बिजली सब्सिडी सीधे ग्राहक के खाते में भेजने का प्रस्ताव है। इसके लिए राज्यों से एक साल के अंदर बिजली से सिंचाई करने वाले किसानों का रिकॉर्ड तैयार करने के लिए कहांं गया है ताकि अगले वित्त वर्ष से उनके बैंक खाते में बिजली सब्सिडी भेजी जा सके।
दरअसल, अभी किसानों समेत सभी उपभोक्ताओं को दिए जाने वाली सब्सिडी बिजली कंपनियों को देने का प्रावधान है।
लेकिन राज्य सरकारों की ओर से पेमेंट नहीं होने के कारण बिजली कंपनियां घाटे में आ जाती हैं। अब जो भी बिजली सब्सिडी दी जाएगी वह ग्राहक को सीधे बैंक खाते में डालने की डीबीटी योजना के तहत दी जाएगी।
ग्राहकों को अतिरिक्त बिजली बिल नही चुकाना होगा
अभी ञ्ज&ष्ठ (ट्रांसमिशन व डिस्ट्रीब्यूशन) से होने वाली हानि को भी बिजली की पूरी कीमत तय करने में जोड़ा जाता है। लेकिन अब कंपनियां लागत तय करने के लिए केवल उतनी बिजली ही जोड़ पाएंगी, जितनी की उपयोग की गई है। इसका मतलब यह हुआ कि जो लोग बिजली की चोरी करते हैं उसका भार उन ग्राहकों पर पड़ता है जो बिजली बिल जमा करते हैं। नई नीति आने से बिल भरने वाले ग्राहकों को बिजली चोरी का बोझ नहीं झेलना पड़ेगा।
नई दिल्ली। अब बिल देने वाले ग्राहकों पर बिजली चोरी का बोझ नहीं पड़ेगा। बिजली मंत्रालय अपनी नई टैरिफ नीति में बिजली सब्सिडी को लेकर जल्द ही बड़ा बदलाव करने वाला है। इसमें बिजली कटने पर ग्राहकों को उसका हर्जाना दिलाने की व्यवस्था की जाएगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में भी बिजली कंपनियों को दिए जाने वाले क्रॉस सब्सिडी को बंद करने की बात कही थी।
नई टैरिफ नीति का कैबिनेट नोट, सभी संबंधी मंत्रालयों को भेज दिया गया है, जिस पर अगले एक हफ्ते के अंदर फैसला आने की उम्मीद है। नई टैरिफ नीति से देशभर में ग्राहकों को चौबीसों घंटे बिजली देने की बात कही गयी है। बिजली वितरण कम्पनियां यदि बिजली की चोरी को रोक नही पाई तो उन पर जुर्माना लगाने की व्यवस्था भी इसमें है। इसे बिजली के क्षेत्र में सुधार का सबसे अहम कदम माना जा रहा है।
अब हर घर में लगेंगे स्मार्ट मीटर : नई टैरिफ नीति के चलते अगले तीन वर्षो में देश के हर घर में बिजली कनेक्शन और ग्राहक के घर में स्मार्ट मीटर लगाये जाएंगें।
ग्राहकों को बेहद आसान किस्तों पर स्मार्ट मीटर दिलाने की व्यवस्था की जाएगी।
कंपनियों को ट्रांसमिशन व डिस्ट्रीब्यूशन (टीएंडडी) हानि को घटाकर 15 फीसद पर लाना होगा। नए कानून में उनके लिए बिजली की लागत तय करने में सिर्फ उतनी ही बिजली को जोडऩे की अनुमति होगी जितनी आपूर्ति की गई है। जिन राज्यों में बिजली की हानि 15 फीसद से ज्यादा है वहां की वितरण कंपनियों को भारी घाटा उठाना पड़ सकता है।
यदि नई टैरिफ नीति आती है तो बिजली सब्सिडी सीधे ग्राहक के खाते में भेजने का प्रस्ताव है। इसके लिए राज्यों से एक साल के अंदर बिजली से सिंचाई करने वाले किसानों का रिकॉर्ड तैयार करने के लिए कहांं गया है ताकि अगले वित्त वर्ष से उनके बैंक खाते में बिजली सब्सिडी भेजी जा सके।
दरअसल, अभी किसानों समेत सभी उपभोक्ताओं को दिए जाने वाली सब्सिडी बिजली कंपनियों को देने का प्रावधान है।
लेकिन राज्य सरकारों की ओर से पेमेंट नहीं होने के कारण बिजली कंपनियां घाटे में आ जाती हैं। अब जो भी बिजली सब्सिडी दी जाएगी वह ग्राहक को सीधे बैंक खाते में डालने की डीबीटी योजना के तहत दी जाएगी।
ग्राहकों को अतिरिक्त बिजली बिल नही चुकाना होगा
अभी ञ्ज&ष्ठ (ट्रांसमिशन व डिस्ट्रीब्यूशन) से होने वाली हानि को भी बिजली की पूरी कीमत तय करने में जोड़ा जाता है। लेकिन अब कंपनियां लागत तय करने के लिए केवल उतनी बिजली ही जोड़ पाएंगी, जितनी की उपयोग की गई है। इसका मतलब यह हुआ कि जो लोग बिजली की चोरी करते हैं उसका भार उन ग्राहकों पर पड़ता है जो बिजली बिल जमा करते हैं। नई नीति आने से बिल भरने वाले ग्राहकों को बिजली चोरी का बोझ नहीं झेलना पड़ेगा।
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