अग्रिम 15 फीसदी, शेष के लिए माह का समय
- नगर परिषद और यूआईटी में भूमि की नीलामी के नियम अब होंगे लचीले
श्रीगंगानगर। नगर परिषद और नगर विकास न्यास में नीलामी अब नए प्रावधानों के साथ हुआ करेगी। स्थानीय निकायों को आर्थिक तंगी से उबारने के लिए जल्द ही नए प्रावधान लागू कर दिए जाएंगे।
नई नीलामी नीति बनाने के लिए सरकार की बनाई गई कमेटी जल्द ही अपनी सिफारिशें सरकार को सौंपने जा रही है।
नीलामी नीति के तमाम प्रावधान भूमि निस्तारण नियमों में शामिल किए जाएंगे। ताकि इन प्रावधानों को लागू करने की निकायों पर कानूनी बाध्यता हो।
प्राप्त जानकारी के अनुसार समिति ने कई नए प्रावधानों पर विचार किया है, जिनसे स्थानीय निकायों को लाभ मिलेगा। इसके तहत नीलामी में सफल बोलीदाता को अग्रिम राशि जमा कराने के लिए एक दिन के बजाय अधिकतम पांच दिन का समय मिलेगा। सफल बोलीदाता को बोली की 25 के बजाय 15 प्रतिशत राशि ही अग्रिम के तौर पर जमा करानी होगी। सफल बोलीदाता को शेष राशि जमा कराने के लिए एक महीने के बजाय तीन महीने का समय मिलेगा।
इसी प्रकार 20 करोड़ रुपए से अधिक नीलामी के मामले में यह समय अधिकतम छह महीने होगा।
नीलामी प्रक्रिया के लिए हर निकाय में कमेटी
नीलामी प्रक्रिया क्रियान्वित करने के लिए हर निकाय में एक कमेटी बनेगी। इस कमेटी का निर्णय पूरी तरह फाइनल होगा, इस कमेटी का प्रावधान भूमि निस्तारण नियमों में किया जाएगा। यह कमेटी संपत्ति का न्यूनतम विक्रय मूल्य बाजार दर के अनुसार ही तय करेगी। न्यूनतम विक्रय मूल्य तय करने में डीएलसी दर और क्षेत्र की पिछली नीलामी में मिली अधिकतम बोली का ध्यान नहीं रखा जाएगा।
क्या है नई नीलामी नीति का उद्देश्य
प्राप्त जानकारी के अनुसार गहलोत सरकार की ओर से नई नीलामी नीति लागू करने के पीछे उद्देश्य रियल एस्टेट में छायी इस मंदी के माहौल में निकायों की नीलामी के लिए अनुकूल माहौल बनाना है। इसके लिए संपत्तियों की न्यूनतम विक्रय मूल्य को बाजार के अनुसार तय करना और निवेशकों को संपत्तियों के पेटे राशि जमा कराने के लिए अधिक सहूलियत देना सरकार की प्राथमिकता है।
श्रीगंगानगर। नगर परिषद और नगर विकास न्यास में नीलामी अब नए प्रावधानों के साथ हुआ करेगी। स्थानीय निकायों को आर्थिक तंगी से उबारने के लिए जल्द ही नए प्रावधान लागू कर दिए जाएंगे।
नई नीलामी नीति बनाने के लिए सरकार की बनाई गई कमेटी जल्द ही अपनी सिफारिशें सरकार को सौंपने जा रही है।
नीलामी नीति के तमाम प्रावधान भूमि निस्तारण नियमों में शामिल किए जाएंगे। ताकि इन प्रावधानों को लागू करने की निकायों पर कानूनी बाध्यता हो।
प्राप्त जानकारी के अनुसार समिति ने कई नए प्रावधानों पर विचार किया है, जिनसे स्थानीय निकायों को लाभ मिलेगा। इसके तहत नीलामी में सफल बोलीदाता को अग्रिम राशि जमा कराने के लिए एक दिन के बजाय अधिकतम पांच दिन का समय मिलेगा। सफल बोलीदाता को बोली की 25 के बजाय 15 प्रतिशत राशि ही अग्रिम के तौर पर जमा करानी होगी। सफल बोलीदाता को शेष राशि जमा कराने के लिए एक महीने के बजाय तीन महीने का समय मिलेगा।
इसी प्रकार 20 करोड़ रुपए से अधिक नीलामी के मामले में यह समय अधिकतम छह महीने होगा।
नीलामी प्रक्रिया के लिए हर निकाय में कमेटी
नीलामी प्रक्रिया क्रियान्वित करने के लिए हर निकाय में एक कमेटी बनेगी। इस कमेटी का निर्णय पूरी तरह फाइनल होगा, इस कमेटी का प्रावधान भूमि निस्तारण नियमों में किया जाएगा। यह कमेटी संपत्ति का न्यूनतम विक्रय मूल्य बाजार दर के अनुसार ही तय करेगी। न्यूनतम विक्रय मूल्य तय करने में डीएलसी दर और क्षेत्र की पिछली नीलामी में मिली अधिकतम बोली का ध्यान नहीं रखा जाएगा।
क्या है नई नीलामी नीति का उद्देश्य
प्राप्त जानकारी के अनुसार गहलोत सरकार की ओर से नई नीलामी नीति लागू करने के पीछे उद्देश्य रियल एस्टेट में छायी इस मंदी के माहौल में निकायों की नीलामी के लिए अनुकूल माहौल बनाना है। इसके लिए संपत्तियों की न्यूनतम विक्रय मूल्य को बाजार के अनुसार तय करना और निवेशकों को संपत्तियों के पेटे राशि जमा कराने के लिए अधिक सहूलियत देना सरकार की प्राथमिकता है।

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