लोकतंत्र का महापर्व है कल, वोट देकर इसे मनाएं
श्रीगंगानगर। क्षेत्र में छह मई सोमवार को लोकतंत्र का महापर्व मनाया जाएगा। देश की सबसे बड़ी पंचायत लोकसभा में अपना जन प्रतिनिधि भेजने के लिए हम मतदान कर सकेंगे। यह अत्यंत महत्वपूर्ण अवसर है, जिसका लाभ हर मतदाता को उठाना चाहिए। मतदान करते समय अपने विवेक का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है। अगर किसी लोभ-लालच या दबाव में आ गए तो पांच साल तक पछताना पड़ सकता है।
कई दिनों तक विभिन्न उम्मीदवारों ने मतदाताओं तक पहुंच कर विकास के दावे और वादे किए हैं लेकिन असल निर्णय मतदाताओं को करना है कि उनके लिए कौनसा उम्मीदवार सही है और कौनसा गलत? जो भी उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं, उनके बारे में मतदाताओं को बखूबी पता है कि किसने उनके लिए क्या किया है और क्या नहीं?
उम्मीदवारों का काम तो भाषण देना है। वह अपने भाषण से मतदाताओं को अपनी ओर खींचने की पुरजोर कोशिश करते हैं। इस दौरान वादों की मूसलाधार बारिश होती है और आश्वासनों की खेती पकाने की कोशिश की जाती है। पिछले एक महीने से चल रहे चुनाव प्रचार के दौरान मतदाताओं ने यह सब कुछ महसूस किया है।
मतदाता कई बार तो आश्वासनों को सुनकर हैरान हुए हैं और कई बार दुख का अहसास भी हुआ, जब किसी प्रत्याशी ने लंबे समय तक जन प्रतिनिधि रहने के बावजूद वही वादे फिर से किए, जो वह पिछले दस साल से करता आ रहा है। मसलन, मेडिकल कॉलेज और एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी स्थापित करने के वादे।
ऐसा नहीं है कि इस राजनीतिक फरेब को मतदाताओं ने महसूस नहीं किया है। मतदाताओं को सब समझ में आया है लेकिन उन्होंने अपने मुंह से कोई टिप्पणी नहीं की है। वे ऐसे प्रत्याशी को सोमवार छह मई को करारा जवाब देंगे कि पांच साल तक राज्य व केन्द्र मेंं अपनी पार्टी के सत्ता में रहने के बावजूद जनता की अनदेखी करने का क्या अंजाम होता है।
श्रीगंगानगर लोकसभा क्षेत्र के मतदाता हमेशा से जागरूक रहे हैं। उन्होंने कभी नेताओं के भाषणों पर वादों पर आंख मूंदकर विश्वास नहीं किया है। वह हर बात को तौलते हैं और जिस किसी को अपनी कसौटी पर खरा मानते हैं, उसी के पक्ष में मतदान करते हैं। इस बार भी मतदाता यही करने के लिए तैयार हैं।
कई दिनों तक विभिन्न उम्मीदवारों ने मतदाताओं तक पहुंच कर विकास के दावे और वादे किए हैं लेकिन असल निर्णय मतदाताओं को करना है कि उनके लिए कौनसा उम्मीदवार सही है और कौनसा गलत? जो भी उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं, उनके बारे में मतदाताओं को बखूबी पता है कि किसने उनके लिए क्या किया है और क्या नहीं?
उम्मीदवारों का काम तो भाषण देना है। वह अपने भाषण से मतदाताओं को अपनी ओर खींचने की पुरजोर कोशिश करते हैं। इस दौरान वादों की मूसलाधार बारिश होती है और आश्वासनों की खेती पकाने की कोशिश की जाती है। पिछले एक महीने से चल रहे चुनाव प्रचार के दौरान मतदाताओं ने यह सब कुछ महसूस किया है।
मतदाता कई बार तो आश्वासनों को सुनकर हैरान हुए हैं और कई बार दुख का अहसास भी हुआ, जब किसी प्रत्याशी ने लंबे समय तक जन प्रतिनिधि रहने के बावजूद वही वादे फिर से किए, जो वह पिछले दस साल से करता आ रहा है। मसलन, मेडिकल कॉलेज और एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी स्थापित करने के वादे।
ऐसा नहीं है कि इस राजनीतिक फरेब को मतदाताओं ने महसूस नहीं किया है। मतदाताओं को सब समझ में आया है लेकिन उन्होंने अपने मुंह से कोई टिप्पणी नहीं की है। वे ऐसे प्रत्याशी को सोमवार छह मई को करारा जवाब देंगे कि पांच साल तक राज्य व केन्द्र मेंं अपनी पार्टी के सत्ता में रहने के बावजूद जनता की अनदेखी करने का क्या अंजाम होता है।
श्रीगंगानगर लोकसभा क्षेत्र के मतदाता हमेशा से जागरूक रहे हैं। उन्होंने कभी नेताओं के भाषणों पर वादों पर आंख मूंदकर विश्वास नहीं किया है। वह हर बात को तौलते हैं और जिस किसी को अपनी कसौटी पर खरा मानते हैं, उसी के पक्ष में मतदान करते हैं। इस बार भी मतदाता यही करने के लिए तैयार हैं।
No comments