संवत के राजा शनिदेव कल से चलेंगे टेढ़ी चाल
- शनि का वक्री होना सत्ता व राजनीति मेें बदलाव का संकेत, प्रोपर्टी होगी मंदी
श्रीगंगानगर। न्याय के देवता शनि देव तीस अप्रेल को अपनी चाल बदलेंगे। शनि देव धनु राशि में ही बने रहेंगे लेकिन तीस अप्रेल को शाम चार बजे से उनकी चाल वक्री हो जाएगी। वक्री यानी टेढ़ी चाल चलने लगेंगे शनिदेव। पंडितों की मानें तो शनिदेव नवसंवत्सर के राजा हैं, इसलिए उनका वक्री होना सत्ता और राजनीति में बदलाव का संकेत है।
भागवताचार्य पंडित सत्यपाल पाराशर ने बताया कि शनि देव तीस अप्रेल को वक्री होने के बाद 18 सितंबर को रात 2.06 बजे मार्गी होकर अपनी सीधी चाल में आ जाएंगे। ज्योतिष शास्त्र में शनि के वक्री होने को महत्वपूर्ण घटनाक्रम माना जाता है। वक्री हो कर शनि विभिन्न राशियों के जातकों पर अलग अलग ढंग से प्रभावित करेंगे।
उन्होंने बताया कि शनि देव न्याय के अधिपति हैं। इसलिए उनकी वक्री अवस्था में न्यायियक क्षेत्रों मेंं परिवर्तन नजर आएगा। जमीन-जायदाद की कीमतों का ग्राफ नीचे जाएगा।
पंडित पाराशर ने बताया कि शनि देव को कर्म, सेवा, नौकरी और लोकतांत्रिक संस्थाओं का कारक माना जाता है। इसलिए वह करियर एवं आजीविका को भी प्रभावित करेंगे। प्रकृति और मौसम को भी शनिदेव प्रभावित करेंगे।
नवसंवत्सर की पहली शनि अमावस्या 4 को
नवसंवत्सर की पहली शनि अमावस्या 4 मई को पड़ रही हे। यह शनि को प्रसन्न करने का अच्छा अवसर है। पंडित पाराशर ने बताया कि शनि देव की कृपा प्राप्ति और शनि दोष निवारण के लिए शनि अमावस्या के दिन विधि-विधान से शनिदेव की आराधना और शनि का दान करना चाहिए।
श्रीगंगानगर। न्याय के देवता शनि देव तीस अप्रेल को अपनी चाल बदलेंगे। शनि देव धनु राशि में ही बने रहेंगे लेकिन तीस अप्रेल को शाम चार बजे से उनकी चाल वक्री हो जाएगी। वक्री यानी टेढ़ी चाल चलने लगेंगे शनिदेव। पंडितों की मानें तो शनिदेव नवसंवत्सर के राजा हैं, इसलिए उनका वक्री होना सत्ता और राजनीति में बदलाव का संकेत है।
भागवताचार्य पंडित सत्यपाल पाराशर ने बताया कि शनि देव तीस अप्रेल को वक्री होने के बाद 18 सितंबर को रात 2.06 बजे मार्गी होकर अपनी सीधी चाल में आ जाएंगे। ज्योतिष शास्त्र में शनि के वक्री होने को महत्वपूर्ण घटनाक्रम माना जाता है। वक्री हो कर शनि विभिन्न राशियों के जातकों पर अलग अलग ढंग से प्रभावित करेंगे।
उन्होंने बताया कि शनि देव न्याय के अधिपति हैं। इसलिए उनकी वक्री अवस्था में न्यायियक क्षेत्रों मेंं परिवर्तन नजर आएगा। जमीन-जायदाद की कीमतों का ग्राफ नीचे जाएगा।
पंडित पाराशर ने बताया कि शनि देव को कर्म, सेवा, नौकरी और लोकतांत्रिक संस्थाओं का कारक माना जाता है। इसलिए वह करियर एवं आजीविका को भी प्रभावित करेंगे। प्रकृति और मौसम को भी शनिदेव प्रभावित करेंगे।
नवसंवत्सर की पहली शनि अमावस्या 4 को
नवसंवत्सर की पहली शनि अमावस्या 4 मई को पड़ रही हे। यह शनि को प्रसन्न करने का अच्छा अवसर है। पंडित पाराशर ने बताया कि शनि देव की कृपा प्राप्ति और शनि दोष निवारण के लिए शनि अमावस्या के दिन विधि-विधान से शनिदेव की आराधना और शनि का दान करना चाहिए।
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