गुरु के राशि परिवर्तन से मतदान पर पड़ेगा प्रभाव, बढ़ेगा वोट प्रतिशत
- देवगुरु बृहस्पति ने बदली राशि, धनु से पहुंचे वृश्चिक में
श्रीगंगानगर। देवगुरु बृहस्पति ने सोमवार को राशि परिवर्तन कर लिया। बृहस्पति ने धनु से निकल कर वृश्चिक में प्रवेश किया। वह वृश्चिक में चार नवंबर तक रहेंगे। देव गुरु बृहस्पति का यह राशि परिवर्तन उथल-पुथल का कारक माना जा रहा है। पंडितों की मानें तो ये राशि परिवर्तन देश में मतदान पर अत्यधिक प्रभाव डाल सकता है। अब मतदान का प्रतिशत बढ़ेगा।
भागवताचार्य पंडित सत्यपाल पाराशर ने बताया कि वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल है और मंगल और बृहस्पति मित्र गृह है। यानी बृहस्पति अपनी मित्र राशि में गए हैं। इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे। महिलाओं का सम्मान करने वालों एवं माता-पिता के चरण छूने वालों पर गुरु की विशेष कृपा बरसेगी और रुके हुए कार्य पूर्ण होंगे।
उन्होंने बताया कि बृहस्पति के वृश्चिक राशि में प्रवेश करने से राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में परिवर्तन आएंगे। आर्थिक क्षेत्र में आकस्मिक उतार-चढ़ाव संभव है। गुरु के परिवर्तन से संचार के साधनों में मोबाइल इंटरनेट आदि में देश विकास करेगा। इंजीनियरिंग, तकनीकी और अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति होगी। इस दौरान देश में कई ऐसे कार्य होंगे जिससे विश्व भर में भारत अपनी एक अलग पहचान बनाएगा। विवाह का कारक गुरु कन्या की जन्मपत्रिका में पति का कारक माना गया है।
जानिए क्या है बृहस्पति का महत्व
पंडित सत्यपाल पाराशर ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में गुरु यानी बृहस्पति ग्रह का स्थान बहुत बड़ा है। उन्हें समस्त देवताओं का गुरु माना जाता है। गुरु ज्ञान के सलाह के दाता हैं। यदि किसी की कुंडली में गुरु शुभ हैं तो विकट परिस्थितियों में भी उनका कार्य होता रहता है। कर्क राशि में बृहस्पति उच्च के और मकर राशि में निकृष्ट माने जाते हैं। ये धनु व मीन राशि के स्वामी हैं। सूर्य, चंद्रमा व मंगल के साथ इनकी मित्रता है और शुक्र व बुध के साथ ये शत्रु रहते हैं। राहु-केतु व शनि के साथ इनका संबंध तटस्थ है। बृहस्पति की खासियत है कि ये शत्रु से भी दुष्टता नहीं करते और अधिकतर ग्रहों से तटस्थ रिश्ता रखते हैं। गुरु विवेकशील ग्रह माने जाते हैं। इन्हें संपत्ति व ज्ञान का कारक भी माना गया है।
श्रीगंगानगर। देवगुरु बृहस्पति ने सोमवार को राशि परिवर्तन कर लिया। बृहस्पति ने धनु से निकल कर वृश्चिक में प्रवेश किया। वह वृश्चिक में चार नवंबर तक रहेंगे। देव गुरु बृहस्पति का यह राशि परिवर्तन उथल-पुथल का कारक माना जा रहा है। पंडितों की मानें तो ये राशि परिवर्तन देश में मतदान पर अत्यधिक प्रभाव डाल सकता है। अब मतदान का प्रतिशत बढ़ेगा।
भागवताचार्य पंडित सत्यपाल पाराशर ने बताया कि वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल है और मंगल और बृहस्पति मित्र गृह है। यानी बृहस्पति अपनी मित्र राशि में गए हैं। इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे। महिलाओं का सम्मान करने वालों एवं माता-पिता के चरण छूने वालों पर गुरु की विशेष कृपा बरसेगी और रुके हुए कार्य पूर्ण होंगे।
उन्होंने बताया कि बृहस्पति के वृश्चिक राशि में प्रवेश करने से राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में परिवर्तन आएंगे। आर्थिक क्षेत्र में आकस्मिक उतार-चढ़ाव संभव है। गुरु के परिवर्तन से संचार के साधनों में मोबाइल इंटरनेट आदि में देश विकास करेगा। इंजीनियरिंग, तकनीकी और अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति होगी। इस दौरान देश में कई ऐसे कार्य होंगे जिससे विश्व भर में भारत अपनी एक अलग पहचान बनाएगा। विवाह का कारक गुरु कन्या की जन्मपत्रिका में पति का कारक माना गया है।
जानिए क्या है बृहस्पति का महत्व
पंडित सत्यपाल पाराशर ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में गुरु यानी बृहस्पति ग्रह का स्थान बहुत बड़ा है। उन्हें समस्त देवताओं का गुरु माना जाता है। गुरु ज्ञान के सलाह के दाता हैं। यदि किसी की कुंडली में गुरु शुभ हैं तो विकट परिस्थितियों में भी उनका कार्य होता रहता है। कर्क राशि में बृहस्पति उच्च के और मकर राशि में निकृष्ट माने जाते हैं। ये धनु व मीन राशि के स्वामी हैं। सूर्य, चंद्रमा व मंगल के साथ इनकी मित्रता है और शुक्र व बुध के साथ ये शत्रु रहते हैं। राहु-केतु व शनि के साथ इनका संबंध तटस्थ है। बृहस्पति की खासियत है कि ये शत्रु से भी दुष्टता नहीं करते और अधिकतर ग्रहों से तटस्थ रिश्ता रखते हैं। गुरु विवेकशील ग्रह माने जाते हैं। इन्हें संपत्ति व ज्ञान का कारक भी माना गया है।
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