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अभी सब आपके हाथ में, यदि सही प्रत्याशी न चुना तो पछताएंगे पांच साल

- अगर कोई प्रत्याशी गलत लगता है तो चला दें वोट रूपी ब्रह्मास्त्र
श्रीगंगानगर। वर्तमान में लोकसभा चुनाव की गतिविधियां तेज हो रही हैं। मतदाताओं से अधिकाधिक संख्या में मतदान करने का आह्वान विभिन्न स्तरों पर किया जा रहा है। अधिकाधिक मतदान करना जरूरी है लेकिन इसके साथ-साथ वोटरों को यह भी देखना जरूरी है कि वह आखिर वोट किसे दे रहे हैं। अभी तक सब कुछ मतदाताओं के हाथ में है। वह अपने विवेक से सही प्रत्याशी का चुनाव कर सकते हैं लेकिन अगर सही प्रत्याशी का चयन करने से चूक गए तो पूरे पांच साल तक पछताना पड़ेगा।
लोकसभा चुनाव मेंं जो भी प्रत्याशी खड़ा हुआ है, वह तो अपने को पाक-साफ, दूध का धुला, जन हितैषी, विकास दूत बताएगा ही। असल मूल्यांकन तो मतदाताओं को ही करना पड़ेगा। किसी भी प्रत्याशी को अपनी कसौटी पर तो तौलना ही पड़ेगा। बिना मूल्यांकन किए कोई कैसे किसी को सही या गलत ठहरा सकता है। जैसे ही मतदाता मूल्यांकन करेंगे, वैसे ही उनके मानस पटल पर सही और साफ तस्वीर अंकित हो जाएगी। उन्हें सही और गलत का अंतर नजर आने लगेगा।
बड़ा सवाल यह है कि सही और गलत का पता कैसे लगाया जाए। मतदाता सही और गलत का निर्णय बड़ी आसानी से कर सकते हैं। लोगों को सोचना चाहिए कि जो भी प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे हैं, उनमें से किसी के 'चरित्रÓ पर कोई दाग तो नहीं है? क्या  प्रत्याशी का चरित्र उजला है या फिर उस पर किसी की आबरू को दागदार करने का आरोप है? अगर कोई प्रत्याशी पहले जन प्रतिनिधि रह चुका है तो सोचें कि क्या वह जन आकांक्षाओं पर खरा उतरा है? क्या प्रत्याशी पर विकास के नाम पर पैसा बनाने का आरोप तो नहीं लगा है? क्या जन प्रतिनिधि रहते हुए वह प्रत्याशी मतदाताओं के बीच रहा है?
ऐसे अनेक सवाल हैं, जिन पर मनन करने से मतदाताओं के सामने सही और गलत तस्वीर उभर सकती है। चुनाव का समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। कई बार लोग वोट नहीं देते और सोचते हैं कि हमारे एक वोट न देने से क्या फर्क पड़ेगा। ऐसे ही कई बार लोग वोट तो दे देते हैं लेकिन किसी को भी। सोचते हैं क्या फर्क पड़ता है। लेकिन बहुत फर्क पड़ता है। एक-एक वोट से ही वोटों की संख्या दर्जनों, सैकड़ों, हजारों और फिर लाखों तक पहुंचती है।
मतदाता पहले तो हर हाल में वोट डालने का संकल्प करे और फिर सोचे कि उसके लिए सही और खरा प्रत्याशी कौन है। अंतरात्मा  जो कहे, उसकी आवाज सुनें और उसी के अनुसार मतदान करें। कहीं ऐसा न हो कि आप जाने-अनजाने गलत प्रत्याशी को चुन लें। अगर ऐसा हुआ तो जिसे आप देव मानेंगे, उसके दानव बनते देर नहीं लगेगी। लिहाजा, सोचें-समझें-विचारें। जो प्रत्याशी गलत लगता है तो उस पर वोट रूपी ब्रह्मास्त्र चला दें। याद रखिए, यही मौका है।


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