तापमापी का पारा तो बढ़ा, चुनावी पारा बढ़ेगा जल्दी
- चेहरे सामने आने के बाद माहौल में आएगी 'गर्मीÓ
श्रीगंगानगर। मौसम में बदलाव के बाद तापमापी का पारा तो बढ़ता जा रहा है लेकिन चुनावी पारा अभी नहीं बढ़ा है। श्रीगंगानगर संसदीय क्षेत्र से भाजपा ने अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है लेकिन कांग्रेस का चेहरा आना बाकि है। कई और जने भी चुनावी मैदान में अपना राजनीतिक भाग्य आजमाएंगे। जब सब उम्मीदवार सामने आ जाएंगे तब माहौल में पूरी 'गर्मीÓ आएगी।
भाजपा और कांग्रेस के जिला संगठनों ने श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिले में यूं तो चुनावी तैयारी शुरू कर रखी है। दोनों जिला मुख्यालयों पर चुनाव कार्यालय खोलने के लिए स्थान देखे जा रहे हैं। विभिन्न सामाजिक, व्यापारिक, धार्मिक संगठनों आदि के पदाधिकारियों के अलावा अपनी पहचान रखने वालों से सम्पर्क किया जा रहा है। भाजपा का उम्मीदवार तय होने के बाद वे खुद भी इस काम में जुटे हुए हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार मौजूदा चुनाव में अभी किसी राजनीतिक दल विशेष के पक्ष में 'लहरÓ जैसी बात नहीं है। कई राष्ट्रीय और प्रांतीय मुद्दे मतदाताओं के जेहन में चल जरूर रहे हैं लेकिन मशीन का बटन दबाते समय कौनसी बात उनके अंतर्मन को छूएगी कोई नहीं जानता। राजनीति के जानकारों की मानें तो प्रत्याशी की छवि, उनके सम्पर्क और क्षेत्र में सक्रियता भी मतदान की दिशा को प्रभावित करती है। ऐसे में देखने वाली बात यह है कि चुनावी रण में पर्चा वापस लेने के बाद कौन-कौन मौजूद रहते हैं और इनकी आपसी तुलना में किसका पलड़ा भारी रहता है।
श्रीगंगानगर। मौसम में बदलाव के बाद तापमापी का पारा तो बढ़ता जा रहा है लेकिन चुनावी पारा अभी नहीं बढ़ा है। श्रीगंगानगर संसदीय क्षेत्र से भाजपा ने अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है लेकिन कांग्रेस का चेहरा आना बाकि है। कई और जने भी चुनावी मैदान में अपना राजनीतिक भाग्य आजमाएंगे। जब सब उम्मीदवार सामने आ जाएंगे तब माहौल में पूरी 'गर्मीÓ आएगी।
भाजपा और कांग्रेस के जिला संगठनों ने श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिले में यूं तो चुनावी तैयारी शुरू कर रखी है। दोनों जिला मुख्यालयों पर चुनाव कार्यालय खोलने के लिए स्थान देखे जा रहे हैं। विभिन्न सामाजिक, व्यापारिक, धार्मिक संगठनों आदि के पदाधिकारियों के अलावा अपनी पहचान रखने वालों से सम्पर्क किया जा रहा है। भाजपा का उम्मीदवार तय होने के बाद वे खुद भी इस काम में जुटे हुए हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार मौजूदा चुनाव में अभी किसी राजनीतिक दल विशेष के पक्ष में 'लहरÓ जैसी बात नहीं है। कई राष्ट्रीय और प्रांतीय मुद्दे मतदाताओं के जेहन में चल जरूर रहे हैं लेकिन मशीन का बटन दबाते समय कौनसी बात उनके अंतर्मन को छूएगी कोई नहीं जानता। राजनीति के जानकारों की मानें तो प्रत्याशी की छवि, उनके सम्पर्क और क्षेत्र में सक्रियता भी मतदान की दिशा को प्रभावित करती है। ऐसे में देखने वाली बात यह है कि चुनावी रण में पर्चा वापस लेने के बाद कौन-कौन मौजूद रहते हैं और इनकी आपसी तुलना में किसका पलड़ा भारी रहता है।
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