शनि होंगे राजा, सूर्य संभालेंगे प्रधानमंत्री का दायित्व
- आतंकी घटनाओं में इजाफा, धार्मिक एवं सामाजिक मामलों की समरसता बढ़ेंगी, विश्वव्यापी मंदी की संभावना
- छह अप्रैल को होगा नव संवत्सर 2076 का शुभारंभ
श्रीगंगानगर। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के अवसर पर 6 अप्रैल से रेवती नक्षत्र में हिंदू नववर्ष 2076 का शुभारंभ होने जा रहा है। परिधारि नामक नए साल के राजा शनिदेव होंगे जबकि प्रधानमंत्री का दायित्व सूर्यदेव संभालेंगे।
जिस दिन से नव संवत्सर की शुरुआत होती है, उस दिन का अधिपति उस वर्ष का राजा होता है। इस बार शनिवार के दिन संवत्सर की शुरुआत से इस साल के राजा शनि होंगे।
पंडित सत्यपाल पाराशर ने बताया कि जिस प्रकार संसार में सरकार चलाने के लिए मंत्रिमंडल का गठन होता है, उसी प्रकार प्रतिवर्ष हिंदू नववर्ष प्रारंभ होने के दिन आकाशीय ग्रहों का भी निर्वाचन होता है। निर्वाचित ग्रहों का कार्यकाल एक वर्ष का होता है। इस वर्ष आकाशीय मंडल के राजा शनिदेव होंगे और सूर्यदेव प्रधानमंत्री का दायित्व संभालेंगे।
उन्होंने बताया कि नववर्ष 2076 में समूचे ब्रह्मांड के सर्वोच्च न्यायाधीश शनिदेव के राजा बनने से भारतीयों को अनेक मामलों में न्याय मिलेगा। इसमें आतंकी घटनाओं सहित धार्मिक एवं सामाजिक मामलों की समरसता विश्व भर में बढ़ेगी। राजा शनि के पास वर्षा यानी मेघेश का प्रभार रहेगा। रक्षा विभाग दुर्गेश एवं फलों का प्रभार फलेश भी शनि के पास रहेगा। इस प्रकार राजा के पास चार विभाग होंगे। खरीफ की फसलों का स्वामी चंद्रमा, रवि का स्वामी बुध है। रसों का प्रभार शुक्र के पास रहेगा। नीरसेष वस्तुओं का प्रभार बुध के पास, वित्त मंत्रालय यानी धनेश मंगल के पास रहेगा।
पिछले वर्ष के विपरीत इस वर्ष 10 विभागों में से 6 विभाग क्रूर ग्रहों के पास और 4 विभाग सौम्य ग्रहों के पास रहेंगे। राजा शनि के पास संवत 2076 में चार विभाग रहने से न्याय व्यवस्था तथा रक्षा के मामलों में कसावट रहेगी। रवि एवं खरीफ की फसल का स्वामी बुध-चंद्र अनाजों की अच्छी पैदावार कराएगा। रसेश यानी बिना रस वाली वस्तुएं शुक्र, नीरसेश सूखी वस्तुएं बुध शुभ फल देगा। वित्त विभाग मंगल के पास होने से विश्व भर में मंदी की संभावना रहेगी।
बनेंगे युद्ध जैसे हालात, प्राकृतिक प्रकोप बढ़ेंगे
साठ संवतसरों में यह संवत 46वें क्रम पर है। इस वर्ष मेघेश का स्वामी शनि सामान्य बारिश कराएगा। शनि क्रूर ग्रह होने के कारण एवं रोहिणी का वास समुद्र के पास होने से युद्धादि जैसे हालात बनेंगे। मानव निर्मित प्राकृतिक प्रकोप बढ़ेंगे। राजा शनि एवं प्रधानमंत्री सूर्य का प्रभाव इस वर्ष असाध्य रोग की दवा का अविष्कार कराने में सहायक होगा। राजा शनि के धार्मिक राशि धनु पर रहने से धार्मिक मामलों का निपटारा संभव है। यह वर्ष प्राकृतिक प्रकोप एवं आपदाओं से भरा रहेगा। इस दौरान विश्व युद्ध जैसी स्थितियां बनने के संकेत हैं।
- छह अप्रैल को होगा नव संवत्सर 2076 का शुभारंभ
श्रीगंगानगर। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के अवसर पर 6 अप्रैल से रेवती नक्षत्र में हिंदू नववर्ष 2076 का शुभारंभ होने जा रहा है। परिधारि नामक नए साल के राजा शनिदेव होंगे जबकि प्रधानमंत्री का दायित्व सूर्यदेव संभालेंगे।
जिस दिन से नव संवत्सर की शुरुआत होती है, उस दिन का अधिपति उस वर्ष का राजा होता है। इस बार शनिवार के दिन संवत्सर की शुरुआत से इस साल के राजा शनि होंगे।
पंडित सत्यपाल पाराशर ने बताया कि जिस प्रकार संसार में सरकार चलाने के लिए मंत्रिमंडल का गठन होता है, उसी प्रकार प्रतिवर्ष हिंदू नववर्ष प्रारंभ होने के दिन आकाशीय ग्रहों का भी निर्वाचन होता है। निर्वाचित ग्रहों का कार्यकाल एक वर्ष का होता है। इस वर्ष आकाशीय मंडल के राजा शनिदेव होंगे और सूर्यदेव प्रधानमंत्री का दायित्व संभालेंगे।
उन्होंने बताया कि नववर्ष 2076 में समूचे ब्रह्मांड के सर्वोच्च न्यायाधीश शनिदेव के राजा बनने से भारतीयों को अनेक मामलों में न्याय मिलेगा। इसमें आतंकी घटनाओं सहित धार्मिक एवं सामाजिक मामलों की समरसता विश्व भर में बढ़ेगी। राजा शनि के पास वर्षा यानी मेघेश का प्रभार रहेगा। रक्षा विभाग दुर्गेश एवं फलों का प्रभार फलेश भी शनि के पास रहेगा। इस प्रकार राजा के पास चार विभाग होंगे। खरीफ की फसलों का स्वामी चंद्रमा, रवि का स्वामी बुध है। रसों का प्रभार शुक्र के पास रहेगा। नीरसेष वस्तुओं का प्रभार बुध के पास, वित्त मंत्रालय यानी धनेश मंगल के पास रहेगा।
पिछले वर्ष के विपरीत इस वर्ष 10 विभागों में से 6 विभाग क्रूर ग्रहों के पास और 4 विभाग सौम्य ग्रहों के पास रहेंगे। राजा शनि के पास संवत 2076 में चार विभाग रहने से न्याय व्यवस्था तथा रक्षा के मामलों में कसावट रहेगी। रवि एवं खरीफ की फसल का स्वामी बुध-चंद्र अनाजों की अच्छी पैदावार कराएगा। रसेश यानी बिना रस वाली वस्तुएं शुक्र, नीरसेश सूखी वस्तुएं बुध शुभ फल देगा। वित्त विभाग मंगल के पास होने से विश्व भर में मंदी की संभावना रहेगी।
बनेंगे युद्ध जैसे हालात, प्राकृतिक प्रकोप बढ़ेंगे
साठ संवतसरों में यह संवत 46वें क्रम पर है। इस वर्ष मेघेश का स्वामी शनि सामान्य बारिश कराएगा। शनि क्रूर ग्रह होने के कारण एवं रोहिणी का वास समुद्र के पास होने से युद्धादि जैसे हालात बनेंगे। मानव निर्मित प्राकृतिक प्रकोप बढ़ेंगे। राजा शनि एवं प्रधानमंत्री सूर्य का प्रभाव इस वर्ष असाध्य रोग की दवा का अविष्कार कराने में सहायक होगा। राजा शनि के धार्मिक राशि धनु पर रहने से धार्मिक मामलों का निपटारा संभव है। यह वर्ष प्राकृतिक प्रकोप एवं आपदाओं से भरा रहेगा। इस दौरान विश्व युद्ध जैसी स्थितियां बनने के संकेत हैं।
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