छह अप्रेल से हर तरफ होगी चैत्र नवरात्रों की धूम
- इस बार 'घोड़ेÓ पर सवार हो कर आएंगी मां दुर्गा, विदाई 'हाथीÓ पर
श्रीगंगानगर। चैत्र नवरात्रे इस बार छह अप्रेल को रेवती नक्षत्र में शुरू हो रहे हैं। इस दिन से क्षेत्र में चारों ओर नवरात्रों की धूम शुरू हो जाएगी। किसी भी तिथि का क्षय नहीं होने के कारण इस बार नवरात्र पूरे नौ दिन तक चलेंगे। नवरात्रों का समापन चौदह अप्रेल को होगा। इस बार नवरात्रों में मां दुर्गा घोड़े पर सवार हो कर आएंगी और हाथी पर सवार होकर लौटेंगी।
हिन्दू धर्म की मान्यता अनुसार प्रत्येक देवी-देवता की एक सवारी (वाहन) है। हर देवी-देवता से जुड़े वाहन का महत्व एवं उसके पीछे एक अर्थ भी छिपा है। मां भगवती की सवारी शेर (बाघ) है, लेकिन नवरात्रि पर्व पर भक्तों को दर्शन देने के लिए देवी मां अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती हैं।
पंडित सत्यपाल पाराशर ने बताया कि जिस प्रकार देवी के पृथ्वी पर आने का वाहन दिन-वार के हिसाब से तय किया जाता है, ठीक उसी प्रकार से प्रस्थान करते समय देवी किस वाहन की सवारी करेंगी, यह भी दिन के आधार पर ही निश्चित किया जाता है। इस हिसाब से चैत्र नवरात्रों के शुभारंभ पर मां भगवती छह अप्रेल शनिवार को 'घोड़ेÓ की सवारी करके आएंगी और चौदह अप्रेल रविवार को हाथी पर सवार होकर विदा होंगी।
उन्होंने बताया कि धर्म ग्रंथों में 'शशि सूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे। गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकीर्तितताÓ कथन के अनुसार कलश स्थापना के प्रथम दिन के हिसाब से ही देवी के वाहन का पता लगाया जाता है। अगर कलश स्थापना सोमवार को हो तो वाहन हाथी, अगर कलश स्थापना मंगलवार को हो तो वाहन घोड़ा, अगर कलश स्थापना बुधवार को हो तो वाहन नाव, अगर कलश स्थापना गुरुवार को हो तो वाहन डोली, अगर कलश स्थापना शुक्रवार को हो तो वाहन डोली, अगर कलश स्थापना शनिवार को हो तो वाहन घोड़ा और अगर कलश स्थापना रविवार को हो तो वाहन हाथी माना जाता है।
मां जिस वाहन पर आएं, उसका विशेष असर
पंडित पाराशर ने बताया कि नवरात्रों का विशेष नक्षत्रों एवं योगों के साथ आना मनुष्य जीवन पर खास प्रभाव डालता है। ठीक उसी प्रकार कलश स्थापना के दिन देवी किस वाहन पर विराजित होकर पृथ्वी लोक की तरफ आ रही हैं, इसका भी मानव जीवन पर विशेष असर होता है। इस वर्ष देवी युद्ध के प्रतीक घोड़े पर आ रही हैं। इससे शासन और सत्ता पर बुरा असर होता है। सरकार को विरोध का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन जिन लोगों पर देवी की विशेष कृपा होगी उनके अपने जीवन में घोड़े की रफ्तार के समान ही सफलता प्राप्त होगी। इसलिए नवरात्रों के दौरान पूरे मनोयोग और शुद्ध अंत:करण से देवी की आराधना और व्रत कर उन्हें प्रसन्न करने की हर संभव कोशिश करनी चाहिए।
कई शुभ योगों का संयोग भी
पडित पाराशर ने बताया कि नवरात्रों के दौरान कई शुभ नक्षत्रों और योगों का संयोग भी बन रहा है। सात अप्रेल को अश्विनी नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग, बारह अप्रेल को सर्वार्थ सिद्धि योग, चौदह अप्रेल को रवि पुष्य नक्षत्र एवं सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। रवि पुष्य नक्षत्र में हर प्रकार की खरीददारी अत्यंत शुभ मानी जाती है।
श्रीगंगानगर। चैत्र नवरात्रे इस बार छह अप्रेल को रेवती नक्षत्र में शुरू हो रहे हैं। इस दिन से क्षेत्र में चारों ओर नवरात्रों की धूम शुरू हो जाएगी। किसी भी तिथि का क्षय नहीं होने के कारण इस बार नवरात्र पूरे नौ दिन तक चलेंगे। नवरात्रों का समापन चौदह अप्रेल को होगा। इस बार नवरात्रों में मां दुर्गा घोड़े पर सवार हो कर आएंगी और हाथी पर सवार होकर लौटेंगी।
हिन्दू धर्म की मान्यता अनुसार प्रत्येक देवी-देवता की एक सवारी (वाहन) है। हर देवी-देवता से जुड़े वाहन का महत्व एवं उसके पीछे एक अर्थ भी छिपा है। मां भगवती की सवारी शेर (बाघ) है, लेकिन नवरात्रि पर्व पर भक्तों को दर्शन देने के लिए देवी मां अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती हैं।
पंडित सत्यपाल पाराशर ने बताया कि जिस प्रकार देवी के पृथ्वी पर आने का वाहन दिन-वार के हिसाब से तय किया जाता है, ठीक उसी प्रकार से प्रस्थान करते समय देवी किस वाहन की सवारी करेंगी, यह भी दिन के आधार पर ही निश्चित किया जाता है। इस हिसाब से चैत्र नवरात्रों के शुभारंभ पर मां भगवती छह अप्रेल शनिवार को 'घोड़ेÓ की सवारी करके आएंगी और चौदह अप्रेल रविवार को हाथी पर सवार होकर विदा होंगी।
उन्होंने बताया कि धर्म ग्रंथों में 'शशि सूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे। गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकीर्तितताÓ कथन के अनुसार कलश स्थापना के प्रथम दिन के हिसाब से ही देवी के वाहन का पता लगाया जाता है। अगर कलश स्थापना सोमवार को हो तो वाहन हाथी, अगर कलश स्थापना मंगलवार को हो तो वाहन घोड़ा, अगर कलश स्थापना बुधवार को हो तो वाहन नाव, अगर कलश स्थापना गुरुवार को हो तो वाहन डोली, अगर कलश स्थापना शुक्रवार को हो तो वाहन डोली, अगर कलश स्थापना शनिवार को हो तो वाहन घोड़ा और अगर कलश स्थापना रविवार को हो तो वाहन हाथी माना जाता है।
मां जिस वाहन पर आएं, उसका विशेष असर
पंडित पाराशर ने बताया कि नवरात्रों का विशेष नक्षत्रों एवं योगों के साथ आना मनुष्य जीवन पर खास प्रभाव डालता है। ठीक उसी प्रकार कलश स्थापना के दिन देवी किस वाहन पर विराजित होकर पृथ्वी लोक की तरफ आ रही हैं, इसका भी मानव जीवन पर विशेष असर होता है। इस वर्ष देवी युद्ध के प्रतीक घोड़े पर आ रही हैं। इससे शासन और सत्ता पर बुरा असर होता है। सरकार को विरोध का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन जिन लोगों पर देवी की विशेष कृपा होगी उनके अपने जीवन में घोड़े की रफ्तार के समान ही सफलता प्राप्त होगी। इसलिए नवरात्रों के दौरान पूरे मनोयोग और शुद्ध अंत:करण से देवी की आराधना और व्रत कर उन्हें प्रसन्न करने की हर संभव कोशिश करनी चाहिए।
कई शुभ योगों का संयोग भी
पडित पाराशर ने बताया कि नवरात्रों के दौरान कई शुभ नक्षत्रों और योगों का संयोग भी बन रहा है। सात अप्रेल को अश्विनी नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग, बारह अप्रेल को सर्वार्थ सिद्धि योग, चौदह अप्रेल को रवि पुष्य नक्षत्र एवं सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। रवि पुष्य नक्षत्र में हर प्रकार की खरीददारी अत्यंत शुभ मानी जाती है।
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