विधानसभा चुनाव में कमजोर प्रदर्शन और आंतरिक सर्वे की रिपोर्ट ने बढ़ाई चिंता
- श्रीगंगानगर को कांग्रेस ने माना कमजोर सीट, राह नहीं आसान
श्रीगंगानगर। लोकसभा चुनावों के दृष्टिगत श्रीगंगानगर सीट को कांग्रेस कमजोर सीट मानकर चल रही है। विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन के हिसाब से कांग्रेस पार्टी आलाकमान ने जिन एक दर्जन सीटों को कमजोर श्रेणी में माना है उनमें श्रीगंगानगर लोकसभा सीट भी शामिल है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन के आधार पर इन सीटों को छांटा गया है। विधानसभा चुनावों के प्रदर्शन के अलावा कांग्रेस ने आंतरिक सर्वे भी करवाया है, जिसके बाद इन सीटों को कमजोर श्रेणी में रखा गया है।
आंतरिक सर्वे में श्रीगंगानगर के साथ-साथ जालौर-सिरोही, पाली, बारां—झालावाड़, कोटा—बूंदी, बीकानेर, चूरू,अजमेर, बांसवाड़ा—डूंगरपुर, उदयपुर, भीलवाड़ा, और चित्तौडग़ढ़ सीटों को भी कमजोर श्रेणी मेें रखा गया है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा उम्मीदवारों को लेकर कई राउंड के सर्वे करवाए थे, इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस ने भी आकलन कराया है। इस आंतरिक सर्वे में कमजोर मानी गई सीटों को साधने के लिए खास रणनीति तैयार की गई है।
प्रदर्शन सुधारने के लिए इसी
महीने शुरू करेंगे काम
कमजोर प्रदर्शन वाली श्रीगंगानगर समेत 12 सीटों पर प्रदर्शन सुधारने के लिए इसी महीने से काम शुरू करने का फैसला किया है। इन सीटों पर प्रभारी मंत्रियों और स्थानीय नेताओं को प्रदर्शन सुधारने का जिम्मा दिया है। इन सीटों पर बूथ स्तर पर काम होगा। कमजोर सीटों वाले इलाकों में शक्ति प्रोजेक्ट से जुड़े कार्यकर्ताओं को ट्रेंड करके उन्हेंं हर बूथ पर तैनात किया जाएगा। बूथवार कार्यकर्ताओं को 100-100 घरोंं की जिम्मेदारी देकर चुनावों से पहले कई बार उनसे संपर्क करने का टास्क दिया जाएगा।
यह है श्रीगंगानगर सीट के
कमजोर होने का कारण
दिसम्बर में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जिस तरह का प्रदर्शन किया है, उससे आलाकमान ने पार्टी की स्थिति को श्रीगंगानगर लोकसभा क्षेत्र में कमजोर करार दिया है। श्रीगंगानगर लोकसभा क्षेत्र में श्रीगंगानगर, करणपुर, सादुलशहर, सूरतगढ़, रायसिंहनगर, संगरिया, हनुमानगढ़ और पीलीबंगा विधानसभा क्षेत्र आते हैं, इनमें से पांच विधानसभा सीटों श्रीगंगानगर, सूरतगढ़, रायसिंहनगर, संगरिया और पीलीबंगा में कांग्रेस को पराजय का सामना करना पड़ा है। श्रीगंगानगर में निर्दलीय प्रत्याशी ने बाजी मारी जबकि शेष चार सीटों पर भाजपा प्रत्याशी विजयी रहे हैं।
सत्ता और उम्मीदवार से मिल
सकता है फायदा
विधानसभा चुनाव जब हुए तब राज्य में सत्ता भाजपा की थी। दूसरी वजह कांग्रेस में बड़े पैमाने पर भीतर घात भी हुआ। ऐसी स्थिति में कांग्रेस प्रत्याशियों की हार पहले से ही दिख रही थी। लेकिन अब स्थिति बिलकुल उलट है। प्रदेश में कांग्रेस सरकार है तो विरोधियों की भड़ास काफी कुछ निकल चुकी है। ऐसी स्थिति में जहां-जहां कांग्रेस का कमजोर आंकलन हुआ है, वहां पहले से स्थिति में सुधार भी हुआ है।
भाजपा के मौजूदा सांसद निहालचंद के खिलाफ सालों पुराने दुष्कर्म के मामले का उठना उनके लिए नुकसानदायक भी माना जा रहा है। भाजपा में उन्हें चुनौती भी मिल रही है। अगर भाजपा नया चेहरा श्रीगंगानगर से उतारती है और कांग्रेस भी कोई दमदार चेहरा सामने लाती है तो यह फाइट कांटे की हो सकती है। अब तो भाजपाईयों के ही मौजूदा सांसद को लेकर सुर बदले हुए हैं।
श्रीगंगानगर। लोकसभा चुनावों के दृष्टिगत श्रीगंगानगर सीट को कांग्रेस कमजोर सीट मानकर चल रही है। विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन के हिसाब से कांग्रेस पार्टी आलाकमान ने जिन एक दर्जन सीटों को कमजोर श्रेणी में माना है उनमें श्रीगंगानगर लोकसभा सीट भी शामिल है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन के आधार पर इन सीटों को छांटा गया है। विधानसभा चुनावों के प्रदर्शन के अलावा कांग्रेस ने आंतरिक सर्वे भी करवाया है, जिसके बाद इन सीटों को कमजोर श्रेणी में रखा गया है।
आंतरिक सर्वे में श्रीगंगानगर के साथ-साथ जालौर-सिरोही, पाली, बारां—झालावाड़, कोटा—बूंदी, बीकानेर, चूरू,अजमेर, बांसवाड़ा—डूंगरपुर, उदयपुर, भीलवाड़ा, और चित्तौडग़ढ़ सीटों को भी कमजोर श्रेणी मेें रखा गया है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा उम्मीदवारों को लेकर कई राउंड के सर्वे करवाए थे, इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस ने भी आकलन कराया है। इस आंतरिक सर्वे में कमजोर मानी गई सीटों को साधने के लिए खास रणनीति तैयार की गई है।
प्रदर्शन सुधारने के लिए इसी
महीने शुरू करेंगे काम
कमजोर प्रदर्शन वाली श्रीगंगानगर समेत 12 सीटों पर प्रदर्शन सुधारने के लिए इसी महीने से काम शुरू करने का फैसला किया है। इन सीटों पर प्रभारी मंत्रियों और स्थानीय नेताओं को प्रदर्शन सुधारने का जिम्मा दिया है। इन सीटों पर बूथ स्तर पर काम होगा। कमजोर सीटों वाले इलाकों में शक्ति प्रोजेक्ट से जुड़े कार्यकर्ताओं को ट्रेंड करके उन्हेंं हर बूथ पर तैनात किया जाएगा। बूथवार कार्यकर्ताओं को 100-100 घरोंं की जिम्मेदारी देकर चुनावों से पहले कई बार उनसे संपर्क करने का टास्क दिया जाएगा।
यह है श्रीगंगानगर सीट के
कमजोर होने का कारण
दिसम्बर में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जिस तरह का प्रदर्शन किया है, उससे आलाकमान ने पार्टी की स्थिति को श्रीगंगानगर लोकसभा क्षेत्र में कमजोर करार दिया है। श्रीगंगानगर लोकसभा क्षेत्र में श्रीगंगानगर, करणपुर, सादुलशहर, सूरतगढ़, रायसिंहनगर, संगरिया, हनुमानगढ़ और पीलीबंगा विधानसभा क्षेत्र आते हैं, इनमें से पांच विधानसभा सीटों श्रीगंगानगर, सूरतगढ़, रायसिंहनगर, संगरिया और पीलीबंगा में कांग्रेस को पराजय का सामना करना पड़ा है। श्रीगंगानगर में निर्दलीय प्रत्याशी ने बाजी मारी जबकि शेष चार सीटों पर भाजपा प्रत्याशी विजयी रहे हैं।
सत्ता और उम्मीदवार से मिल
सकता है फायदा
विधानसभा चुनाव जब हुए तब राज्य में सत्ता भाजपा की थी। दूसरी वजह कांग्रेस में बड़े पैमाने पर भीतर घात भी हुआ। ऐसी स्थिति में कांग्रेस प्रत्याशियों की हार पहले से ही दिख रही थी। लेकिन अब स्थिति बिलकुल उलट है। प्रदेश में कांग्रेस सरकार है तो विरोधियों की भड़ास काफी कुछ निकल चुकी है। ऐसी स्थिति में जहां-जहां कांग्रेस का कमजोर आंकलन हुआ है, वहां पहले से स्थिति में सुधार भी हुआ है।
भाजपा के मौजूदा सांसद निहालचंद के खिलाफ सालों पुराने दुष्कर्म के मामले का उठना उनके लिए नुकसानदायक भी माना जा रहा है। भाजपा में उन्हें चुनौती भी मिल रही है। अगर भाजपा नया चेहरा श्रीगंगानगर से उतारती है और कांग्रेस भी कोई दमदार चेहरा सामने लाती है तो यह फाइट कांटे की हो सकती है। अब तो भाजपाईयों के ही मौजूदा सांसद को लेकर सुर बदले हुए हैं।

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