जानिए एक महिला के रोगमुक्त होने का अनूठा अनुभव
- प्रेक्षा ध्यान शिविर के जरिए इस तरह मिला नया जीवन
श्रीगंगानगर। श्रीगंगानगर मेंं सत्रह फरवरी को प्रेक्षा ध्यान शिविर का अनूठा आयोजन किया जा रहा है। अध्यात्म साधना केन्द्र नई दिल्ली के तत्वावधान और सांध्य बॉर्डर टाइम्स की मीडिया पार्टनरशिप में आयोजित किए जा रहे प्रेक्षा ध्यान शिविर में लोगों के लिए शुगर, बीपी, डिप्रेशन, तनाव, अर्थराइटिस, थाइराइड, हार्ट, किडनी और लीवर से संबंधित इत्यादि बीमारियों से मुक्ति पाने का मार्ग प्रशस्त होगा और लोग हमेशा स्वस्थ एवं प्रसन्नचित्त रहने का रहस्य जान सकेंगे। अब तक अनेक लोग प्रेक्षा ध्यान शिविरों के जरिए रोग मुक्त हो चुके हैं। आइए जानते हैं श्रीमती रमा का अनुभव:
श्रीमती रमा को 2014 में 48 में 48 वर्ष की आयु में जब यह पता चला कि उसे स्तन कैंसर है तो जैसे उन पर वज्रपात हो गया। 15 महीनों में सर्जरी, 10 बार कीमोथैरेपी, 28 दिन तक रेडियो थैरेपी ने उसे शारीरिक रूप से अक्षम और मानसिक रूप से निराश बना दिया। एक तरफ परेशान पति और पुत्र और दूसरी ओर 10 मिनट भी काम न कर पाने की पीड़ा और जीवन से ऊब। ऐसे में उन्हें प्रेक्षा ध्यान शिविर के बारे में पता चला। मन मेें बिल्कुल भी इच्छा नहीं थी परंतु पति के आग्रह पर तैयार हो गई।
जब शिविर मेें पहुंची तो 9 दिन से बुखार था। दिन में 3-4 बार कॉम्बिफ्लैम खाने पर भी आराम नहीं मिल रहा था। डॉक्टर ने इस अवस्था में शिविर में जाने से मना कर दिया। पैरों में टखने के पास वेरीकोज वेन्स फूलने से चमड़ी नीली पडऩे लगी थी। डॉक्टर का कहना था कि इसे ठीक होने में डेढ़-दो साल लगेंगे या ऑप्रेशन करना पड़ेगा। सर्जरी के कारण बाये हाथ में दर्द रहता था और इम्युनिटी सिस्अम बिल्कुल कमजोर हो गया था, जिससे बार-बार बुखार आता।
शिविर के पहले 3 दिन असंमजस में गुजरे। सुबह 4.30 बजे उठना, रात को 9 बजे तक आसन, प्राणायाम का अभ्यास, सादा खाना और नयी जीवनचर्या, सब उबाऊ लग रहा था। पति का ढांढस बंधाना काम आया।
चौथे दिन से जैसे चमत्कार होने लगा और पांचवें दिन के शाम तक मानो दुनिया ही बदल गई। हाथ का दर्द तो याद ही नहीं कि कभी था भी। वैरीकोज वेन्स से झनझनाहट एकदम खत्म और चमड़ी का रंग एकदम साफ। बुखार न जाने कहा गायब हो गया। रोज 12-14 घंटे बैठकर भी थकान का नामोनिशान नहीं। मन में पूरा विश्वास कि अब मैं स्वस्थ हूं और स्वस्थ रहूंगी। चारों ओर प्रसन्नता ही प्रसन्नता। यह चमत्कार हुआ प्रेक्षाध्यान के प्रयोगों से।
श्रीगंगानगर। श्रीगंगानगर मेंं सत्रह फरवरी को प्रेक्षा ध्यान शिविर का अनूठा आयोजन किया जा रहा है। अध्यात्म साधना केन्द्र नई दिल्ली के तत्वावधान और सांध्य बॉर्डर टाइम्स की मीडिया पार्टनरशिप में आयोजित किए जा रहे प्रेक्षा ध्यान शिविर में लोगों के लिए शुगर, बीपी, डिप्रेशन, तनाव, अर्थराइटिस, थाइराइड, हार्ट, किडनी और लीवर से संबंधित इत्यादि बीमारियों से मुक्ति पाने का मार्ग प्रशस्त होगा और लोग हमेशा स्वस्थ एवं प्रसन्नचित्त रहने का रहस्य जान सकेंगे। अब तक अनेक लोग प्रेक्षा ध्यान शिविरों के जरिए रोग मुक्त हो चुके हैं। आइए जानते हैं श्रीमती रमा का अनुभव:
श्रीमती रमा को 2014 में 48 में 48 वर्ष की आयु में जब यह पता चला कि उसे स्तन कैंसर है तो जैसे उन पर वज्रपात हो गया। 15 महीनों में सर्जरी, 10 बार कीमोथैरेपी, 28 दिन तक रेडियो थैरेपी ने उसे शारीरिक रूप से अक्षम और मानसिक रूप से निराश बना दिया। एक तरफ परेशान पति और पुत्र और दूसरी ओर 10 मिनट भी काम न कर पाने की पीड़ा और जीवन से ऊब। ऐसे में उन्हें प्रेक्षा ध्यान शिविर के बारे में पता चला। मन मेें बिल्कुल भी इच्छा नहीं थी परंतु पति के आग्रह पर तैयार हो गई।
जब शिविर मेें पहुंची तो 9 दिन से बुखार था। दिन में 3-4 बार कॉम्बिफ्लैम खाने पर भी आराम नहीं मिल रहा था। डॉक्टर ने इस अवस्था में शिविर में जाने से मना कर दिया। पैरों में टखने के पास वेरीकोज वेन्स फूलने से चमड़ी नीली पडऩे लगी थी। डॉक्टर का कहना था कि इसे ठीक होने में डेढ़-दो साल लगेंगे या ऑप्रेशन करना पड़ेगा। सर्जरी के कारण बाये हाथ में दर्द रहता था और इम्युनिटी सिस्अम बिल्कुल कमजोर हो गया था, जिससे बार-बार बुखार आता।
शिविर के पहले 3 दिन असंमजस में गुजरे। सुबह 4.30 बजे उठना, रात को 9 बजे तक आसन, प्राणायाम का अभ्यास, सादा खाना और नयी जीवनचर्या, सब उबाऊ लग रहा था। पति का ढांढस बंधाना काम आया।
चौथे दिन से जैसे चमत्कार होने लगा और पांचवें दिन के शाम तक मानो दुनिया ही बदल गई। हाथ का दर्द तो याद ही नहीं कि कभी था भी। वैरीकोज वेन्स से झनझनाहट एकदम खत्म और चमड़ी का रंग एकदम साफ। बुखार न जाने कहा गायब हो गया। रोज 12-14 घंटे बैठकर भी थकान का नामोनिशान नहीं। मन में पूरा विश्वास कि अब मैं स्वस्थ हूं और स्वस्थ रहूंगी। चारों ओर प्रसन्नता ही प्रसन्नता। यह चमत्कार हुआ प्रेक्षाध्यान के प्रयोगों से।

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