कांस्टेबल के असफल रहने पर थानाप्रभारी को करवानी होगी सम्मन-वारंट की तामील
- तत्परता दिखाने वाले सम्मानित होंगे, लापरवाही बरतने पर करेंगे लाइन हाजिर
श्रीगंगानगर। पुलिस की व्यवस्थाओं को चाक-चौबंद करने के लिए पुलिस महानिदेशक लगातार आदेश जारी कर रहे हैं। इस कड़ी में ताजा आदेश है कोर्ट से जारी सम्मन-वारंट के समय पर तामील होने का। सम्मन-वारंट अब तक पेंडिंग रहते आए हैं लेकिन अब पुलिस महानिदेशक ने आदेश जारी कर दिया है कि यदि बीट कांस्टेबल और प्रभारी सम्मन-वारंटों को तामील नहीं करवाता पाते तो इसे तामील करवाने की जिम्मेदारी संबंधित थानाप्रभारी की होगी। जो पुलिस कर्मी इस काम में तत्परता दिखाएंगे उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा और लापरवाही बरतने वालों को लाइन हाजिर किया जाएगा।
स्थिति यह है कि कोर्ट से जारी सम्मन-वारंट तामील करवाने में पुलिस कर्मी गंभीरता नहीं दिखाते हैं। तामील करवा भी लिया तो समय पर कोर्ट में पेश नहीं करते। इससे कोर्ट साक्ष्य कार्यवाही बंद कर देते हैं और गंभीर मामले भी पेंडिंग रह जाते हैं। कोर्ट की ओर से थानाधिकारियों को कारण बताओ नोटिस भी जारी कर दिए जाते हैं जिससे उन्हें पेश होकर माफी मांगनी पड़ती है। इसके दृष्टिगत पुलिस महानिदेशक ने सम्मन-वारंट तामील करवाने और कोर्ट में पेश करने की प्रक्रिया को गंभीरता से लेते हुए पुलिस कर्मियों को जिम्मेवारी तय कर दी है।
अब यह होगी तामील की प्रक्रिया
अब संबंधित बीट कांस्टेबल को सम्मन, जमानती और गिरफ्तारी वारंट, वसूली वारंट, स्थायी वारंट को सात दिन में तामील करवाना होगा। अगर तामील ना हो तो वह अपने बीट प्रभारी को इसका कारण स्पष्ट करेगा और फिर प्रभारी को सात दिन में तामील करवाने की जिम्मेदारी दी जाएगी। बीट कांस्टेबल और प्रभारी दोनों ही तामील नहीं करवा पाएंगे तो थानाप्रभारी की जिम्मेदारी होगी कि वह तामील करवाए। सम्मन-वारंट की तामील न होने पर थानाप्रभारी को कोर्ट से भगोड़े और उद्घोषित अपराधी घोषित करवाने की कार्यवाही करवानी होगी।
दंड और पुरस्कार दोनों की व्यवस्था
आदेश के अनुसार सम्मन, जमानती और गिरफ्तारी वारंट 90, 75 और 50 प्रतिशत से कम रहा तो बीट कांस्टेबल को प्रतिमाह एसपी के समक्ष पेश होना पड़ेगा। अगर तामील प्रतिशत 95, 85 और 60 प्रतिशत हुआ तो बीट कांस्टेबल सीओ के समक्ष पेश होंगे और स्पष्टीकरण देंगे। स्पष्टीकरण संतोषप्रद नहीं हुआ तो बीट कांस्टेबल के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्हें लाइन हाजिर किया जाएगा। तामील करवाने का प्रतिशत ज्यादा रहने पर पुलिस कर्मियों को पुरस्कृत किया जाएगा।
एसएचओ जवाबदेह है, इस पर आदेश जारी कर दिये गये हैं। बार-बार सम्मान तामील नहीं होते हैं, तो तामील की कार्रवाई अब एसएचओ की निगरानी में होगी। -सुरेन्द्र राठौड़, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, श्रीगंगानगर
श्रीगंगानगर। पुलिस की व्यवस्थाओं को चाक-चौबंद करने के लिए पुलिस महानिदेशक लगातार आदेश जारी कर रहे हैं। इस कड़ी में ताजा आदेश है कोर्ट से जारी सम्मन-वारंट के समय पर तामील होने का। सम्मन-वारंट अब तक पेंडिंग रहते आए हैं लेकिन अब पुलिस महानिदेशक ने आदेश जारी कर दिया है कि यदि बीट कांस्टेबल और प्रभारी सम्मन-वारंटों को तामील नहीं करवाता पाते तो इसे तामील करवाने की जिम्मेदारी संबंधित थानाप्रभारी की होगी। जो पुलिस कर्मी इस काम में तत्परता दिखाएंगे उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा और लापरवाही बरतने वालों को लाइन हाजिर किया जाएगा।
स्थिति यह है कि कोर्ट से जारी सम्मन-वारंट तामील करवाने में पुलिस कर्मी गंभीरता नहीं दिखाते हैं। तामील करवा भी लिया तो समय पर कोर्ट में पेश नहीं करते। इससे कोर्ट साक्ष्य कार्यवाही बंद कर देते हैं और गंभीर मामले भी पेंडिंग रह जाते हैं। कोर्ट की ओर से थानाधिकारियों को कारण बताओ नोटिस भी जारी कर दिए जाते हैं जिससे उन्हें पेश होकर माफी मांगनी पड़ती है। इसके दृष्टिगत पुलिस महानिदेशक ने सम्मन-वारंट तामील करवाने और कोर्ट में पेश करने की प्रक्रिया को गंभीरता से लेते हुए पुलिस कर्मियों को जिम्मेवारी तय कर दी है।
अब यह होगी तामील की प्रक्रिया
अब संबंधित बीट कांस्टेबल को सम्मन, जमानती और गिरफ्तारी वारंट, वसूली वारंट, स्थायी वारंट को सात दिन में तामील करवाना होगा। अगर तामील ना हो तो वह अपने बीट प्रभारी को इसका कारण स्पष्ट करेगा और फिर प्रभारी को सात दिन में तामील करवाने की जिम्मेदारी दी जाएगी। बीट कांस्टेबल और प्रभारी दोनों ही तामील नहीं करवा पाएंगे तो थानाप्रभारी की जिम्मेदारी होगी कि वह तामील करवाए। सम्मन-वारंट की तामील न होने पर थानाप्रभारी को कोर्ट से भगोड़े और उद्घोषित अपराधी घोषित करवाने की कार्यवाही करवानी होगी।
दंड और पुरस्कार दोनों की व्यवस्था
आदेश के अनुसार सम्मन, जमानती और गिरफ्तारी वारंट 90, 75 और 50 प्रतिशत से कम रहा तो बीट कांस्टेबल को प्रतिमाह एसपी के समक्ष पेश होना पड़ेगा। अगर तामील प्रतिशत 95, 85 और 60 प्रतिशत हुआ तो बीट कांस्टेबल सीओ के समक्ष पेश होंगे और स्पष्टीकरण देंगे। स्पष्टीकरण संतोषप्रद नहीं हुआ तो बीट कांस्टेबल के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्हें लाइन हाजिर किया जाएगा। तामील करवाने का प्रतिशत ज्यादा रहने पर पुलिस कर्मियों को पुरस्कृत किया जाएगा।
एसएचओ जवाबदेह है, इस पर आदेश जारी कर दिये गये हैं। बार-बार सम्मान तामील नहीं होते हैं, तो तामील की कार्रवाई अब एसएचओ की निगरानी में होगी। -सुरेन्द्र राठौड़, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, श्रीगंगानगर
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