Breaking News

इस बार 35 दिन की नहरबंदी के बीच होंगे लोकसभा चुनाव

- क्या होगा जब नेता मांगेंगे वोट और सूखी पड़ी होंगी नहरें
श्रीगंगानगर। सिंचाई विभाग इंदिरा गांधी नहर में 35 दिन की बंदी लेने की तैयारी में है। इक्कीस मार्च तक सिंचाई के पानी का रेग्युलेशन चलेगा। पांच दिन पीएचईडी की स्कीम को डिग्गी व अन्य जलस्रोत भरने का मौका दिया जाएगा। सिंचाई विभाग ने 26 मार्च से नहरबंदी का प्रस्ताव तैयार किया है। इसे अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया, लेकिन लगभग इसी तारीख के आसपास नहरबंदी शुरू होने की संभावना है। इस बार लोकसभा चुनाव नहर बंदी के बीच ही होंगे। लिहाजा इस असर चुनावों पर पड़ सकता है।
नहरबंदी के दौरान पंजाब के साथ-साथ राजस्थान में भी मरम्मत के काम होंगे। टेंडर प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। नहरबंदी पिछले साल की तरह इस बार भी 35 दिन की होगी।
इस साल प्रस्तावित नहर बंदी को संवेदनशील माना जा रहा है क्योंकि इस बार लोकसभा चुनाव भी नहरबंदी के दौरान होंगे। अगर पेयजल किल्लत हुई तो सत्ताधारी पार्टी पर असर पड़ेगा। ऐसे में पीएचईडी को संभलकर जलापूर्ति करने की जरूरत होगी। पीएचईडी भी नहरबंदी के दौरान के इंतजामों में अभी से जुट गया है।
गौरतलब है कि राजस्थान सरकार ने तीन साल पहले ही पंजाब सरकार को पंजाब के अधीन आने वाली इंदिरा गांधी नहर की मरम्मत के लिए पैसा दे दिया था, इसके बावजूद तीन साल बाद भी नहर की मरम्मत के लिए टेंडर प्रक्रिया नहीं हो पा रही है। दो साल पहले तत्कालीन सिंचाई मंत्री डॉ. रामप्रताप ने लगातार तीन साल 72-72 दिन की नहरबंदी लेकर नहरों की मरम्मत के आदेश दिए थे, लेकिन पिछले साल पंजाब टेंडर नहीं लगा सका। इस साल पंजाब ने वादा किया था, लेकिन अब सामने आया कि इस बार भी टेंडर नहीं हुए। इसलिए इस बार भी नहरबंदी 35 दिन की ही होगी।
हालांकि जब राजस्थान सरकार का दबाव पड़ा तो पंजाब ने फिर से टेंडर कराए, लेकिन मार्च में स्थिति साफ होगी। इस बार पंजाब से एक से दो आरडी के बीच मरम्मत के लिए छोटे-छोटे टेंडर लगाए हैं। अगर ये टेंडर सफल हुए तो भी पूरी नहर की मरम्मत नहीं हो सकेगी। मरम्मत हुई भी तो बहुत कम एरिया होगा, जिससे नहर के सुरक्षित रहने की कोई गारंटी नहीं है। ये वही नहर है, जो पिछले दो साल से लगातार फीडर पर दरक रही है। पटड़े क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। व्यापक स्तर पर फीडर के मरम्मत की जरूरत है। मरम्मत की बात तब उठी थी, जब पिछली अशोक गहलोत सरकार के वक्त तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया की अगुवाई में जन लेखा समिति ने नहर का दौरा किया था। लेकिन, 10 साल पहले की गई रिकमंडेशन पर अब तक अमल नहीं हुआ।


No comments