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बीस मिनट में 192 करोड़ का बजट पास

- नगर विधायक गौड़ बोलते उससे पहले
- नगर परिषद की बैठक में सब सेट, मैनेज सा नजारा
श्रीगंगानगर। नगर परिषद बोर्ड की बैठक में शुक्रवार को नगर विधायक राजकुमार गौड़ कुछ बोलते उससे पहले ही  मात्र 20 मिनट में 192 करोड़ रुपए का बजट प्रस्ताव पास कर दिया गया। इसके साथ ही सभापति अजय चांडक पिछले गेट से निकल लिए। कुछेक पार्षदों ने विरोध की रस्म अदायगी जरूर की। सब सैट और मैनेज किया नजर आया।
 आयुक्त अशोक कुमार आसीजा ने प्रात: 11.10 बजे बजट बैठक की कार्रवाई शुरू की। बैठक शुरू होते ही कुछ पार्षदों ने बिगड़ी सफाई व्यवस्था को लेकर हंगाम शुरू कर दिया, लेकिन सफाई ठेका निरस्त करने के प्रश्न पर सभी पार्षद सहमत नहीं हुए। हंगामे के बीच 11.30 बजे सभापति अजय चाण्डक ने उपस्थित पार्षदों से बजट पास पर सहमति मांगी। इस पर सभी ने मेज थपथपाते हुए इस चालू कार्यकाल के अंतिम बजट प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त कर दी। इसके तुरंत बाद बजट पास की घोषणा करते हुए सभापति हॉल के पिछले दरवाजे से बाहर निकल गए। बैठक में विधायक राजकुमार गौड़ भी उपस्थित हुए, लेकिन उन्हें भी इस महत्वपूर्ण बैठक में बोलने का मौका नहीं मिल पाया।
बैठक में 192.18 करोड़ रुपए का जो अनुमानित बजट रखा गया है, उसमें सफाई व्यवस्था पर 8.50 करोड़, जानवरों के लिए चारे की व्यवस्था व आवारा पशुओं को बाहर भेजने व कुत्तों की नसबंदी के लिए 30 करोड़ रुपए, गंदे पानी की निकासी के लिए 6.50 करोड़ रुपए, अन्य निर्माण कार्य के लिए 5.50 करोड़ रुपए, सीवरेज पर 5 करोड़, अमृत योजना पर 2.50 करोड़, शहरी जन सहभागिता योजना पर 10 करोड़, अविकसित कॉलोनियों के विकास पर 3 करोड़, मल-जल निकासी के लिए 3 करोड़, कंकरीट सड़क के लिए 4.50 करोड़, डामर सड़क के लिए 5.50 करोड़, कार्यालय भवन संधारण के लिए 1.50 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रस्ताव रखा गया है। वर्ष 2019-20 के लिए प्रस्तावित बजट वर्ष 2018-19 के बजट प्रस्ताव से करीब 5 करोड़ रुपए अधिक है।
सिर्फ हंगामा, सहमति नहीं
बैठक की शुरुआत में ही कुछ पार्षदों ने शहर की बिगड़ी सफाई व्यवस्था को लेकर नाराजगी जताई। पार्षद प्रदीप चौधरी ने तो सुधार नहीं होने पर आमरण अनशन की चेतावनी तक दे डाली। चौधरी ने कहा कि परिषद की और से सफाई व्यवस्था और डीसिल्टिंग के नाम पर 10 करोड़ रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन सफाई कहीं दिखाई नहीं देती। पार्षद मनीराम स्वामी ने कहा कि सफाई व्यवस्था ठेके पर दिए वार्डों के लोग पीडि़त हैं। बार-बार कहे जाने पर भी सफाई नहीं होती। पार्षद शर्मिला चौधरी ने कहा कि आयुक्त अपने कार्यालय में ही नहीं बैठते तो बैठक में जवाब क्या देंगे। उपसभापति ने 16 वार्डों के लिए ठेकेदार की ओर से 350 की जगह 150 सफाई कर्मी लगाने का मुद्दा उठाया।
इस पर सभापति ने कहा कि सदन में सभी पार्षद उपस्थित हैं। यदि वे ठेकेदार की सफाई व्यवस्था से संतुष्ट नहीं है तो, सर्वसम्मति से ठेका निरस्त करने का प्रस्ताव पास कर लिया जाए। सभापति के इस सुझाव पर पार्षद दो खेमों में बंट गए। वार्ड नं. 18 की पार्षद नमीता सेठी ने यह कहते हुए सभी को चुप करवा दिया कि ठेका निरस्त होने के बाद संबंधित वार्डों को सम्भालेगा कौन? इसके बाद कुछ पार्षदों ने अपने वार्ड ठेके से अलग कर पक्के में लेने की मांग रख दी। अभी सफाई व्यवस्था पर ही बहस चल रही थी कि सभापति ने बजट प्रस्ताव पास करने के लिए सहमति मांग ली।

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