भाषा, साहित्य, सिनेमा और शिक्षा पर सार्थक चर्चा
श्रीगंगानगर। नोजगे पब्लिक स्कूल के प्रेक्षागृह में चल रहे पांच दिवसीय इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के तीसरे दिन भी कई राष्ट्रीय एवम् अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शॉर्ट, डाक्यूमेंट्री एवं फीचर फिल्में दिखाई गई।
सबसे आकर्षक रहा प्रख्यात नाटककार असगर वज़ाहत से सुभाष सिंगाठिया का संवाद। इसमें असगर वजाहत से समकालीन साहित्य, सिनेमा, भाषा और शिक्षा पद्धति इत्यादि को लेकर कई गंभीर सवाल किए गए, जिसके उन्होंने सार्थक चर्चा करते हुए सटीक जवाब दिए। वजाहत का मानना था कि बच्चों को भाषा का संस्कार देना हमारा धर्म है, यह हमें निभाना चाहिए। बच्चों को भाषा जाननी चाहिए।
इसके साथ ही यह भी सीखना चाहिए कि मनुष्य के साथ कैसा व्यवहार किया जाना चाहिए। साहित्य और सिनेमा दोनों को महत्वपूर्ण मानते हुए वजाहत ने कहा कि दोनों की अपनी-अपनी अहमियत है। घटना या विचार जब आता है तो वही उसकी विधा तय करता है।
सबसे आकर्षक रहा प्रख्यात नाटककार असगर वज़ाहत से सुभाष सिंगाठिया का संवाद। इसमें असगर वजाहत से समकालीन साहित्य, सिनेमा, भाषा और शिक्षा पद्धति इत्यादि को लेकर कई गंभीर सवाल किए गए, जिसके उन्होंने सार्थक चर्चा करते हुए सटीक जवाब दिए। वजाहत का मानना था कि बच्चों को भाषा का संस्कार देना हमारा धर्म है, यह हमें निभाना चाहिए। बच्चों को भाषा जाननी चाहिए।
इसके साथ ही यह भी सीखना चाहिए कि मनुष्य के साथ कैसा व्यवहार किया जाना चाहिए। साहित्य और सिनेमा दोनों को महत्वपूर्ण मानते हुए वजाहत ने कहा कि दोनों की अपनी-अपनी अहमियत है। घटना या विचार जब आता है तो वही उसकी विधा तय करता है।
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