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धनाढ्य परिवारों के बच्च्े तो कोटा से बुलाए, मजदूरों की अनदेखी

श्रीगंगानगर। एक तरफ तो सरकार कोटा व अन्य महानगरों में पढऩे वाले धनाढ्य परिवारों के बच्चों को वापस उनके घर छोडऩे के लिए बसें व नाश्ते-भोजन तक की व्यवस्था कर रही है, वहीं दूसरी तरफ गरीब मजदूरों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया है। वे मोडिफाइड लॉकडाउन में घर जाने का इशारा मिलने मात्र से दोगुने-तिगुने दामों पर प्राइवेट बसों में सवार होकर भेड़-बकरियों की तरह लदे-फदे एकदम असुरक्षित तरीके से अपने घरों को पहुंच रहे हैं।
बताया जा रहा है कि पिछले तीन-चार दिनों में लगभग बाईस हजार श्रमिक श्रीगंगानगर जिले में आए हैं। सरकार की ओर से इनके लिए तिनके तक की व्यवस्था नहीं की गई थी। ये लोग अपना पेट काटकर प्राइवेट बस वालों को भुगतान करके भूखे-प्यासे यहां पहुंचे हैं। प्रदेश के अन्य जिलों की हालत भी इससे जुदा नहीं है। इस बारे में जब विधायक राजकुमार गौड़ ने पूछा गया तो उन्होंने 'एसबीटीÓ को बताया कि सरकार की प्राथमिकता अब मजदूर ही हैं। गौड़ के अनुसार उन्होंने इस बारे में अल्पसंख्यक मंत्री साल्हेमोहम्मद से बात की है। वे जैसलमेर आदि जिले में गए खेतीहर मजदूरों के लिए प्रयास कर रहे हैं। मोहनगढ़ के गुरुद्वारे में भी कुछ श्रमिक रुके हुए हैं, इसकी जानकारी दी गई है।


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