कोर्ट-कचहरी से लेकर बाजार तक...कोरोना का रोना
- एसपी ऑफिस व कलेक्ट्रेट सहित दफ्तरों में कम हुई हलचल
- मास्क को अपनाने लगे लोग
श्रीगंगानगर (एसबीटी)। शहर में आप चाहे जहां चले जाएं, वहां कोरोना का असर देखने को मिलेगा। सरकारी दफ्तरों से लेकर बाजार में दुकानों पर कोरोना के कारण हलचल काफी कम हो चुकी है। हालात ये हैं कि कई रेस्टोरेंट ने दुकानदारी का समय तक घटा दिया है। मॉल, बड़े स्टोर व रेस्टोरेंट बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। यहां ग्राहकों की संख्या पहले के मुकाबले महज 10 प्रतिशत ही रह चुकी है। लोग भीड़ वाली जगह पर जाने से कतरा रहे हैं। कोर्ट, कलेक्ट्रेट व एसपी ऑफिस में आम दिनों की तरह माहौल अब नहीं दिखता। यहां फरियादियों की संख्या नाम मात्र की रह चुकी है। जरूरी काम होने पर ही लोग पहुंच रहे हैं। कुल मिलाकर शहर के हर क्षेत्र में कोरोना का असर दिख रहा है। बचाव के लिए सरकारी दफ्तरों व अन्य जगहों पर लोग मास्क को जरूरी समझने लगे हैं। कुछ लोग तो ऐसे हैं, जो निरन्तर मास्क लगाकर रख रहे हैं।
सभी फील्ड के लोग यह स्वीकार करते हैं कि कोरोना से ग्राहकी घटी है, लेकिन वह खुद के संस्थान या अपना नाम देने से कतराते हैं, ताकि उनके काम पर और असर नहीं पड़े।
पूरी तरह नहीं हो रही सरकारी आदेशों की पालना
सरकार ने कोरोना को लेकर जो आदेश जारी किए हैं, विभिन्न संस्थान व दफ्तरों में इन आदेशों की पालना पूरी तरह से नहीं हो पा रही। सुबह आते ही सैनेटाइजर सहित अन्य औपचारिकताएं पूरी की जाती हैं, लेकिन बाद में फिर वही स्थिति बन जाती है। लोग इकट्ठा हो ही जाते हैं। बाजार में खरीदारी चाहे रुकी हो, लेकिन लोगों की आवाजाही नहीं रुकी। हालांकि कोरोना को लेकर हर व्यक्ति खुद का बचाव करता जरूर दिख रहा है।
सैलून-पार्लर में लोग ले जा रहे अपनी ही किट
कोरोना के कारण लोग सैलून-पार्लर जाने में भी सावधानी बरत रहे हैं। मैन्स सैलून में जाने वाले ज्यादातर लोग खुद के साथ अपनी शेविंग किट और टॉवल भी ले जा रहे हैं। शेव-कटिंग सैलून में करवाते वक्त सावधानी बरत रहे हैं। 8-10 लोग इक_े होने पर स्वयं ही वापस लौट रहे हैं। वहीं लेडीज पार्लर में मेकअप को लेकर महिलाएं सतर्क हैं। विदेशी प्रॉडक्ट का इस्तेमाल करने से महिलाएं बच रही हैं। हालांकि कोरोना के कारण ग्राहकी पहले की तरह अब नहीं है।
प्राइवेट बसों में 75 फीसदी कम हुए यात्री
प्राइवेट बसों में कोरोना के चलते 75 फीसदी यात्री कम हो चुके हैं। यहां से जयपुर, दिल्ली सहित अन्य इलाकों के लिए प्रतिदिन अनेक बसें निकलती हैं। आमदिनों में सभी सीटें फुल रहती हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं है। जयपुर व झुंझुनू में कुछ लोगों के कोरोना की पुष्टि होने के कारण लोग अब शहर से बाहर निकलने से ही कतराने लगे हैं।
रेस्टोरेंट, मॉल व स्टोर में इंतजाम नाकाफी, काम प्रभावित
शहर के शॉपिंग माल, स्टोर व रेस्टोरेंट में कोरोना से बचाव को लेकर इंतजाम नाकाफी हैं। तीन-चार को छोड़ दें तो बाकी जगह सैनेटाइजर नाम की चीज तक नहीं है। कोई भी आसानी से सभी जगह घूमकर वापस आ सकता है। उसे न तो रोका जाता है और न ही कोई सावधानी संबंधी क्रियाकलाप किए जाते हैं। यही वजह है कि यहां पर अब लोग जाना भी ठीक नहीं समझते। इसलिए इनका काम भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
कल्याण भूमि में लोग खुद ही बरत रहे सावधानी
सरकार का मानना है कि जहां ज्यादा लोग इक_े होंगे, वहां इस वायरस के संक्रमण की आशंका ज्यादा रहती है। ऐसे में स्वाभाविक है कि अंतिम संस्कार के वक्त कल्याण भूमि या घरों में लोग इक_ा होते हैं। इस स्थिति में देखने को मिला है कि लोग खुद ही सावधानी बरत रहे हैं। संस्कार के वक्त लोग झुंड बनाने से बच रहे हैं।
वहीं कल्याण भूमि प्रबंध समिति के अध्यक्ष महेश पेड़ीवाल ने बताया कि सरकार की तरफ से विशेष रूप से कल्याण भूमि के लिए कोई आदेश नहीं आए हैं, लेकिन धारा 144 की स्थिति व कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए सावधानी बरती जा रही है। वहीं लोग स्वयं ही जागरूकता का परिचय दे रहे हैं। झुंड बनाने की बजाय शोक जताकर अलग-अलग बैठ रहे हैं।
- मास्क को अपनाने लगे लोग
श्रीगंगानगर (एसबीटी)। शहर में आप चाहे जहां चले जाएं, वहां कोरोना का असर देखने को मिलेगा। सरकारी दफ्तरों से लेकर बाजार में दुकानों पर कोरोना के कारण हलचल काफी कम हो चुकी है। हालात ये हैं कि कई रेस्टोरेंट ने दुकानदारी का समय तक घटा दिया है। मॉल, बड़े स्टोर व रेस्टोरेंट बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। यहां ग्राहकों की संख्या पहले के मुकाबले महज 10 प्रतिशत ही रह चुकी है। लोग भीड़ वाली जगह पर जाने से कतरा रहे हैं। कोर्ट, कलेक्ट्रेट व एसपी ऑफिस में आम दिनों की तरह माहौल अब नहीं दिखता। यहां फरियादियों की संख्या नाम मात्र की रह चुकी है। जरूरी काम होने पर ही लोग पहुंच रहे हैं। कुल मिलाकर शहर के हर क्षेत्र में कोरोना का असर दिख रहा है। बचाव के लिए सरकारी दफ्तरों व अन्य जगहों पर लोग मास्क को जरूरी समझने लगे हैं। कुछ लोग तो ऐसे हैं, जो निरन्तर मास्क लगाकर रख रहे हैं।
सभी फील्ड के लोग यह स्वीकार करते हैं कि कोरोना से ग्राहकी घटी है, लेकिन वह खुद के संस्थान या अपना नाम देने से कतराते हैं, ताकि उनके काम पर और असर नहीं पड़े।
पूरी तरह नहीं हो रही सरकारी आदेशों की पालना
सरकार ने कोरोना को लेकर जो आदेश जारी किए हैं, विभिन्न संस्थान व दफ्तरों में इन आदेशों की पालना पूरी तरह से नहीं हो पा रही। सुबह आते ही सैनेटाइजर सहित अन्य औपचारिकताएं पूरी की जाती हैं, लेकिन बाद में फिर वही स्थिति बन जाती है। लोग इकट्ठा हो ही जाते हैं। बाजार में खरीदारी चाहे रुकी हो, लेकिन लोगों की आवाजाही नहीं रुकी। हालांकि कोरोना को लेकर हर व्यक्ति खुद का बचाव करता जरूर दिख रहा है।
सैलून-पार्लर में लोग ले जा रहे अपनी ही किट
कोरोना के कारण लोग सैलून-पार्लर जाने में भी सावधानी बरत रहे हैं। मैन्स सैलून में जाने वाले ज्यादातर लोग खुद के साथ अपनी शेविंग किट और टॉवल भी ले जा रहे हैं। शेव-कटिंग सैलून में करवाते वक्त सावधानी बरत रहे हैं। 8-10 लोग इक_े होने पर स्वयं ही वापस लौट रहे हैं। वहीं लेडीज पार्लर में मेकअप को लेकर महिलाएं सतर्क हैं। विदेशी प्रॉडक्ट का इस्तेमाल करने से महिलाएं बच रही हैं। हालांकि कोरोना के कारण ग्राहकी पहले की तरह अब नहीं है।
प्राइवेट बसों में 75 फीसदी कम हुए यात्री
प्राइवेट बसों में कोरोना के चलते 75 फीसदी यात्री कम हो चुके हैं। यहां से जयपुर, दिल्ली सहित अन्य इलाकों के लिए प्रतिदिन अनेक बसें निकलती हैं। आमदिनों में सभी सीटें फुल रहती हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं है। जयपुर व झुंझुनू में कुछ लोगों के कोरोना की पुष्टि होने के कारण लोग अब शहर से बाहर निकलने से ही कतराने लगे हैं।
रेस्टोरेंट, मॉल व स्टोर में इंतजाम नाकाफी, काम प्रभावित
शहर के शॉपिंग माल, स्टोर व रेस्टोरेंट में कोरोना से बचाव को लेकर इंतजाम नाकाफी हैं। तीन-चार को छोड़ दें तो बाकी जगह सैनेटाइजर नाम की चीज तक नहीं है। कोई भी आसानी से सभी जगह घूमकर वापस आ सकता है। उसे न तो रोका जाता है और न ही कोई सावधानी संबंधी क्रियाकलाप किए जाते हैं। यही वजह है कि यहां पर अब लोग जाना भी ठीक नहीं समझते। इसलिए इनका काम भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
कल्याण भूमि में लोग खुद ही बरत रहे सावधानी
सरकार का मानना है कि जहां ज्यादा लोग इक_े होंगे, वहां इस वायरस के संक्रमण की आशंका ज्यादा रहती है। ऐसे में स्वाभाविक है कि अंतिम संस्कार के वक्त कल्याण भूमि या घरों में लोग इक_ा होते हैं। इस स्थिति में देखने को मिला है कि लोग खुद ही सावधानी बरत रहे हैं। संस्कार के वक्त लोग झुंड बनाने से बच रहे हैं।
वहीं कल्याण भूमि प्रबंध समिति के अध्यक्ष महेश पेड़ीवाल ने बताया कि सरकार की तरफ से विशेष रूप से कल्याण भूमि के लिए कोई आदेश नहीं आए हैं, लेकिन धारा 144 की स्थिति व कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए सावधानी बरती जा रही है। वहीं लोग स्वयं ही जागरूकता का परिचय दे रहे हैं। झुंड बनाने की बजाय शोक जताकर अलग-अलग बैठ रहे हैं।
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