राजनीतिक चेहरा ही नहीं...सादगी और धार्मिक कार्यों के लिए भी जाने जाते थे रमेश राजपाल
स्मृति शेष : अंतिम यात्रा में राजनीतिक दलों, सामाजिक-धार्मिक संस्थाओं सहित आम लोग भी पहुंचेे
श्रीगंगानगर में रमेश राजपाल भले ही आम लोगों के लिए एक राजनीतिक चेहरा हों, लेकिन इससे भी बढ़कर उनमें एक और खास बात थी। वह था उनका धर्म-आस्था के प्रति लगाव और अटूट विश्वास। जी हां...रमेश राजपाल की दिनचर्या की शुरुआत धार्मिक कार्य से होती थी। यही नहीं वह संतश्री के आशीर्वाद लेने हर साल अलग-अलग धर्म नगरियों मेें भी जाते रहे। सादगीपसंद रमेश राजपाल अक्सर सुधांशुजी महाराज के प्रवचन सुनने चले जाए करते थे। इतना ही नहीं श्रीगंगानगर में संतों के आगमन पर वे उनके स्वागत को भी आतुर रहते थे। जिस भी धार्मिक कार्यक्रम की शोभायात्रा उनके निवास के पास से गुजरती थी, वह परिवार सहित उसका स्वागत करते।
पारिवारिक सदस्यों के मुताबिक वह राजनीतिक कार्यक्रम छोड़ देते थे, लेकिन धार्मिक आयोजन नहीं। एडवोकेट रमेश राजपाल कांग्रेस में भी रहे। बाद में वह भाजपा के जिला उपाध्यक्ष बने। वहीं पंजाबी महासभा के जिलाध्यक्ष के रूप में भी वह दायित्व निभा रहे थे। रमेश राजपाल को पूर्व राज्यमंत्री राधेश्याम गंगानगर का राजनीतिक उत्तराधिकारी माना जाता था, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। जयपुर में ह्रदय संबंधी बीमारी के चलते उनका मंगलवार दोपहर को निधन हो गया। बुधवार सुबह करीब 10.30 बजे रमेश राजपाल का पदमपुर रोड स्थित कल्याण भूमि में गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार किया गया। उनकी अंतिम यात्रा में इलाके व दूर-दराज के अनेक लोग शामिल हुए। कांग्रेस, भाजपा सहित अन्य राजनीतिक पार्टियों के पदाधिकारियों, पार्षदों, सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं से जुड़े लोगों ने अंतिम यात्रा में शामिल होकर राजपाल परिवार का ढांढ़स बंधाया। कल्याण भूमि के बाहर पदमपुर मार्ग पर बुधवार सुबह वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। वहीं प्रदेश के बड़े नेताओं ने भी रमेश राजपाल के निधन पर शोक संवेदनाएं प्रकट कीं। रमेश राजपाल अपने पीछे पत्नी, बेटा, बेटी छोड़ गए हैं।
पूर्व मंत्री राधेश्याम गंगानगर के तीन पुत्रों में वे सबसे बड़े थे। वीरेन्द्र राजपाल एवं भूपेन्द्र राजपाल रमेश राजपाल से छोटे हैं।
श्रीगंगानगर में रमेश राजपाल भले ही आम लोगों के लिए एक राजनीतिक चेहरा हों, लेकिन इससे भी बढ़कर उनमें एक और खास बात थी। वह था उनका धर्म-आस्था के प्रति लगाव और अटूट विश्वास। जी हां...रमेश राजपाल की दिनचर्या की शुरुआत धार्मिक कार्य से होती थी। यही नहीं वह संतश्री के आशीर्वाद लेने हर साल अलग-अलग धर्म नगरियों मेें भी जाते रहे। सादगीपसंद रमेश राजपाल अक्सर सुधांशुजी महाराज के प्रवचन सुनने चले जाए करते थे। इतना ही नहीं श्रीगंगानगर में संतों के आगमन पर वे उनके स्वागत को भी आतुर रहते थे। जिस भी धार्मिक कार्यक्रम की शोभायात्रा उनके निवास के पास से गुजरती थी, वह परिवार सहित उसका स्वागत करते।
पारिवारिक सदस्यों के मुताबिक वह राजनीतिक कार्यक्रम छोड़ देते थे, लेकिन धार्मिक आयोजन नहीं। एडवोकेट रमेश राजपाल कांग्रेस में भी रहे। बाद में वह भाजपा के जिला उपाध्यक्ष बने। वहीं पंजाबी महासभा के जिलाध्यक्ष के रूप में भी वह दायित्व निभा रहे थे। रमेश राजपाल को पूर्व राज्यमंत्री राधेश्याम गंगानगर का राजनीतिक उत्तराधिकारी माना जाता था, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। जयपुर में ह्रदय संबंधी बीमारी के चलते उनका मंगलवार दोपहर को निधन हो गया। बुधवार सुबह करीब 10.30 बजे रमेश राजपाल का पदमपुर रोड स्थित कल्याण भूमि में गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार किया गया। उनकी अंतिम यात्रा में इलाके व दूर-दराज के अनेक लोग शामिल हुए। कांग्रेस, भाजपा सहित अन्य राजनीतिक पार्टियों के पदाधिकारियों, पार्षदों, सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं से जुड़े लोगों ने अंतिम यात्रा में शामिल होकर राजपाल परिवार का ढांढ़स बंधाया। कल्याण भूमि के बाहर पदमपुर मार्ग पर बुधवार सुबह वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। वहीं प्रदेश के बड़े नेताओं ने भी रमेश राजपाल के निधन पर शोक संवेदनाएं प्रकट कीं। रमेश राजपाल अपने पीछे पत्नी, बेटा, बेटी छोड़ गए हैं।
पूर्व मंत्री राधेश्याम गंगानगर के तीन पुत्रों में वे सबसे बड़े थे। वीरेन्द्र राजपाल एवं भूपेन्द्र राजपाल रमेश राजपाल से छोटे हैं।
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