फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस जारी का मामला पुलिस तक पहुंचा
- डीटीओ ने मुकदमा दर्ज करने के लिए दिया परिवाद
- सांध्य बॉर्डर टाइम्स ने किया था खुलासा
श्रीगंगानगर। हनुमानगढ़ मार्ग पर स्थित जिला परिवहन अधिकारी कार्यालय के बाहर बैठे एक एजेंट द्वारा फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने का मामला अब सदर पुलिस थाना तक पहुंच गया है। डीटीओ ने एजेंट पर मुकदमा दर्ज करने के लिए पुलिस थाना में परिवाद दिया है, लेकिन पुलिस ने आज दोपहर तक मुकदमा दर्ज करने से इंकार किया है। इस मामले को सांध्य बॉर्डर टाइम्स ने उजागर किया था। इसके बाद विभाग हरकत में आया है।
डीटीओ सुमन डेलू ने बताया कि फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने के गिरोह में कई लोग शामिल हैं, यह लोग ऑफिस के बाहर ही लोगों को फर्जी लाइसेंस जारी कर रहे थे। इस गौरखधंधे में विभाग का कोई वास्ता नहीं है। उन्होंने बताया कि यह मामला सामने आने पर उन्होंने मुकदमा दर्ज करने के लिए सदर पुलिस को परिवाद दे दिया है। उन्होंने बताया कि कुछ लोग जल्दी लाइसेंस जारी करवाने के लिए एजेंटों की शरण में जाकर यह फर्जी काम करवाते हैं, जबकि ड्राइविंग लाइसेंस जारी होने से पूर्व एक माह के लिए लर्निंग लाइसेंस जारी होता है। शीघ्र लाइसेंस प्राप्त करने के लिए लोग एजेंटों को मोटी रकम देते हैं। जो फर्जी लाइसेंस जारी हुआ है, वह कम्प्यूटर से उनके फर्जी हस्ताक्षर लगा कर प्रिंट जारी किया गया है, जबकि विभाग स्मार्ट कार्ड का लाइसेंस जारी करता है। आवेदन के साथ ही मोबाइल पर मैसेज भी आता है। आवेदनकर्ता को ऑफिस में इंस्पेक्टर के सामने वाहन को चला कर दिखाना होता है, कम्प्यूटरराइज्ड परीक्षा होती है, लेकिन एजेंटों द्वारा फर्जी लाइसेेंस के लिए केवल एजेंट को निर्धारित रकम ही देनी पड़ती है। वह अपने स्तर पर भी ऐसे एजेंटों का पता लगाने का प्रयास कर रही हैं।
इधर सदर पुलिस थाना प्रभारी राजेश सिहाग ने बताया कि डीटीओ ने फर्जी लाइसेंस मामले में मुकदमा दर्ज करने के लिए परिवाद दिया है। इसकी जांच करवाई जा रही है, लेकिन अभी तक मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। गौरतलब है कि इस मामले में राजनीतिक हस्तक्षेप होने लगा है, ऐसे में फर्जीवाड़ा करने वाले एजेंट को राहत मिलने की संभावना नजर आ रही है।
- सांध्य बॉर्डर टाइम्स ने किया था खुलासा
श्रीगंगानगर। हनुमानगढ़ मार्ग पर स्थित जिला परिवहन अधिकारी कार्यालय के बाहर बैठे एक एजेंट द्वारा फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने का मामला अब सदर पुलिस थाना तक पहुंच गया है। डीटीओ ने एजेंट पर मुकदमा दर्ज करने के लिए पुलिस थाना में परिवाद दिया है, लेकिन पुलिस ने आज दोपहर तक मुकदमा दर्ज करने से इंकार किया है। इस मामले को सांध्य बॉर्डर टाइम्स ने उजागर किया था। इसके बाद विभाग हरकत में आया है।
डीटीओ सुमन डेलू ने बताया कि फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने के गिरोह में कई लोग शामिल हैं, यह लोग ऑफिस के बाहर ही लोगों को फर्जी लाइसेंस जारी कर रहे थे। इस गौरखधंधे में विभाग का कोई वास्ता नहीं है। उन्होंने बताया कि यह मामला सामने आने पर उन्होंने मुकदमा दर्ज करने के लिए सदर पुलिस को परिवाद दे दिया है। उन्होंने बताया कि कुछ लोग जल्दी लाइसेंस जारी करवाने के लिए एजेंटों की शरण में जाकर यह फर्जी काम करवाते हैं, जबकि ड्राइविंग लाइसेंस जारी होने से पूर्व एक माह के लिए लर्निंग लाइसेंस जारी होता है। शीघ्र लाइसेंस प्राप्त करने के लिए लोग एजेंटों को मोटी रकम देते हैं। जो फर्जी लाइसेंस जारी हुआ है, वह कम्प्यूटर से उनके फर्जी हस्ताक्षर लगा कर प्रिंट जारी किया गया है, जबकि विभाग स्मार्ट कार्ड का लाइसेंस जारी करता है। आवेदन के साथ ही मोबाइल पर मैसेज भी आता है। आवेदनकर्ता को ऑफिस में इंस्पेक्टर के सामने वाहन को चला कर दिखाना होता है, कम्प्यूटरराइज्ड परीक्षा होती है, लेकिन एजेंटों द्वारा फर्जी लाइसेेंस के लिए केवल एजेंट को निर्धारित रकम ही देनी पड़ती है। वह अपने स्तर पर भी ऐसे एजेंटों का पता लगाने का प्रयास कर रही हैं।
इधर सदर पुलिस थाना प्रभारी राजेश सिहाग ने बताया कि डीटीओ ने फर्जी लाइसेंस मामले में मुकदमा दर्ज करने के लिए परिवाद दिया है। इसकी जांच करवाई जा रही है, लेकिन अभी तक मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। गौरतलब है कि इस मामले में राजनीतिक हस्तक्षेप होने लगा है, ऐसे में फर्जीवाड़ा करने वाले एजेंट को राहत मिलने की संभावना नजर आ रही है।
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