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निजी नर्सिंग होम्स ने किया आयुष्मान भारत महात्मा गांधी स्वास्थ्य बीमा योजना का बहिष्कार

- सरकार ने बकाया भुगतान के लिए मांगा सात दिन का समय
श्रीगंगानगर। आयुष्मान भारत महात्मा गांधी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत मरीजों के  इलाज का बकाया भुगतान नहीं मिलने पर निजी नर्सिंग होम्स संचालकों ने योजना का बहिष्कार करते हुए मुफ्त इलाज बंद कर दिया है। वहीं भुगतान के लिए राज्य सरकार ने निजी नर्सींग होम संचालकों से एक सप्ताह का समय मांगा है। निजी नर्सिंग होम एसोसिएशन ने दो दिन पहले जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर पूर्व में बकाया राशि का भुगतान दिलाने की मांग के साथ एक फरवरी से योजना के तहत मरीजों का निशुल्क इलाज नहीं करने की चेतावनी दी थी। इस चेतावनी के बाद सीएमएचओ गिरधारी मेहरड़ा ने आयुष्मान भारत महात्मा गांधी स्वास्थ्य बीमा योजना (भामाशाह) के स्टेट प्रभारी आइएएस अधिकारियों को निजी नर्सिंग होम्स संचालकों की चेतावनी से अवगत करवा, तो उन्होंने बकाया भुगतान के लिए निजी नर्सिंग होम्स से सात दिन का समय मांगा है।
सीएमएचओ ने बताया कि उन्होंने सरकारी स्तर पर हुई वार्ता के बाद निजी नर्सिंग होम्स एसोसिएशन से योजना के तहत काम के लिए सहयोग का आग्रह किया है। सीएमएचओ के अनुसार पूर्व में सभी अस्पतालों को भुगतान की जिम्मेदारी न्यू इंडिया इंश्योरेंस कम्पनी के पास थी। जिसे अब सरकार ने अपने हाथ में ले लिया है। अब डाटा एपडेशन का कार्य चल रहा है। सरकार की ओर से चार वरिष्ठ लेखाधिकारियों की देख रेख में बकाया भुगतान की कार्रवाई शुरू कर दी है। अगामी सप्ताह से भुगतान शुरू कर दिया जाएगा।
दूसरी ओर निजी नर्सिंग होम एसोसिएशन के डॉ. संजीव चौहान ने बताया कि जब तक सरकार पूरे बकाया का भुगतान नहीं करेगी। निजी नर्सिंंग होम्स योजना के तहत काम नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि 13 दिसम्बर 2019 से उपरोक्त योजना लागू की गई थी। अभी तक किसी भी अस्पताल को उक्त योजना में मरीजों का इलाज करने का भुगतान नहीं किया गया है, जबकि भुगतान 21 दिन में होना चाहिए था। सभी अस्पतालों की न्यू इंडिया इंश्योरेंस कम्पनी के पास लाखों रुपए की राशि बकाया है। इंश्योरेंस कम्पनी का ये तर्क है कि सरकार ने 120 करोड़ की राशि अभी तक इंश्योरेंस कम्पनी को नहीं दी है। इस कारण इंश्योरेंस कम्पनी ने निजी अस्पतालों का 120 करोड़ रुपए का भुगतान रोक लिया। इस राशि का भुगतान देने के लिए प्राइवेट अस्पताल की एसोसिएशन की ओर से स्टेट हैल्थ इंश्योरेंस को दिया गया था, लेकिन अभी तक कोई राहत नहीं मिली। उन्होंने बताया कि सरकार ने अभी तक निजी नर्सिंग होम्स के बैंक खातों का वेरीफिकेशन तक नहीं किया है, तो भुगतान कैसे होगा।
एसोसिएशन ने सरकार पर डॉक्टरों में फूट डालकर काम करवाने का आरोप भी लगाया है। एसोसिएशन का कहना है कि सीकर व जयपुर के निजी नर्सिंग होम्स ने आंदोलन किया तो वहां भुगतान कर दिया गया, जबकि श्रीगंगानगर के डॉक्टर्स की मांग को सुना ही नहीं जा रहा।

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