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कलक्टर साब! बीकानेर की तर्ज पर श्रीगंगानगर मेंं भी जारी करवाएं आदेश

-अगर ऐसा होगा तो हजारों अभिभावक बचेंगे प्राइवेट स्कूलों की कई तरह की लूट से
-प्राइवेट स्कूलों मेंं बिकती है किताबें, ड्रेस, टाई, जूते, बेल्ट और कॉपियां
श्रीगंगानगर। यह समाचार पाठकों से ज्यादा श्रीगंगानगर के जिला कलक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी के ध्यानार्थ प्रकाशित किया जा रहा है। खबर यह है कि बीकानेर में आगामी शिक्षा सत्र 2020-21 से प्राइवेट स्कूलों की मनमानी नहीं चलेगी। वह न तो बच्चों को किताबें बेच पाएंगे और न ही यूनिफॉर्म को बार-बार बदल सकेंगे। स्कूलों में ड्रेस, टाई, जूते, बेल्ट और कापियां नहीं बेची जा सकेंगी। बीकानेर के जिला कलक्टर की हिदायत पर शिक्षा विभाग ने प्राइवेट स्कूलों की कमाई पर लगाते हुए एक आदेश जारी किया है। अगर ऐसा ही आदेश श्रीगंगानगर के जिला कलक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी भी जारी करें तो हजारों अभिभावकों को राहत मिल सकती है, जिन्हें प्राइवेट स्कूल वाले कई तरह से लूट रहे हैं।
 बीकानेर में जो आदेश जारी हुआ है, उसके मुताबिक प्राइवेट स्कूलों को सत्र शुरू होने से एक माह पहले ही पाठ्य पुस्तकों की सूची सार्वजनिक करनी होगी। पुस्तकों के लेखक, प्रकाशकों के नाम और कीमत सूचना पट्ट और शाला की वेबसाइट पर ऑन लाइन जारी करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
बीकानेर में जिला शिक्षा अधिकारी उमाशंकर किराड़ू, ने आदेश जारी कर नया सत्र शुरू होने से पहले ही प्राइवेट स्कूल संचालकों को पाबंद कर दिया है। इन निर्देशों की पालना नहीं करने वाले स्कूलों की क्रमोन्नति और सीबीएसई से संबद्धता निरस्त कर दी जाएगी। बीकानेर में जिला कलेक्टर से मिली शिकायत के आधार पर यह निर्देश जारी किए गए हैं।
प्राइवेट स्कूल संचालकों को राजस्थान पाठ्य पुस्तक मंडल तथा सीबीएसई से संबद्धता रखने वाले स्कूल एनसीईआरटी की ओर से जारी पुस्तकें खरीदने के निर्देश विद्यार्थियों को देने होंगे। इन पुस्तकों की सूचना उन्हें एक माह पहले स्कूल के सूचना पट्ट पर जारी करनी होगी ताकि अभिभावक खुले बाजार से पाठ्य पुस्तकें खरीद सकें। पुस्तकों के साथ ही ड्रेस, टाई, जूते, बेल्ट और कापियां तक स्कूल में बेचने पर पाबंदी लगा दी गई है। किसी भी शिक्षण सामग्री या ड्रेस पर स्कूल का नाम अंकित नहीं होगा। स्कूल संचालक किसी दुकान विशेष से पुस्तकें व अन्य सामग्री खरीदने का दबाव नहीं बना सकेंगे।
आदेश के अनुसार प्राइवेट स्कूलों की पाठ्य पुस्तकें और ड्रेस कम से कम पांच दुकानों पर उपलब्ध होनी चाहिए। यह शिकायत हर साल आती है कि कुछ नामचीन स्कूलों की पाठ्य पुस्तकें उनके पास वाली बुक शॉप पर ही मिलती हैं। उनकी कीमत भी मनमर्जी की वसूली जाती है।
पांच साल तक वही रहेगी यूनिफॉर्म
आदेश के अनुसार बीकानेर में प्राइवेट स्कूलों में विद्यार्थियों की यूनिफार्म पांच साल तक बदली नहीं जा सकेगी। स्कूल हर साल-दो साल में यूनिफार्म में बदलाव करते हैं, जिससे अभिभावकों पर आर्थिक भार पड़ता है। आम तौर पर साप्ताहिक ड्रेस कोड बदलता रहता है।
बीकानेर में इस कारण पाबंदी, गंगानगर में भी जरूरत
हर साल नए शिक्षा सत्र में प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश के वक्त विद्यार्थियों की पाठ्य पुस्तकें और ड्रेस स्कूल से ही दी जाती हैं। स्कूल संचालक फीस के साथ उसकी राशि भी वसूल करते हैं। कुछ स्कूल ऐसे भी हैं, जिनकी पाठ्य पुस्तकें उन्हीं की ओर से निर्धारित बुक शॉप पर ही मिलती हैं। यह अभिभावकों पर आर्थिक भार है। श्रीगंगानगर में भी ऐसा ही हो रहा है। अगर जिला कलक्टर इसे गंभीरता से लेंगे तो यकीनन लोगों को राहत मिलेगी।


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