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70 दिन की बंदी की तैयारी लेकिन मरम्मत के लिए टेंडर प्रक्रिया अधूरी

-ठेकेदारों ने पेश कर दीं साठ फीसदी ज्यादा दरें
श्रीगंगानगर। पंजाब के अधीन आने वाली इंदिरा गांधी नहर की 100 किलोमीटर मरम्मत के लिए 70 दिन की नहरबंदी की तैयारियां पूरी हो गई लेकिन मरम्मत के लिए टेंडर प्रक्रिया अभी भी अधूरी है। तकरीबन 1000 करोड़ रुपए से होने वाली मरम्मत के लिए पंजाब ने टेंडर पहले ही मांग लिए थे लेकिन मरम्मत की दरें 60 प्रतिशत ज्यादा आ गई।
ऐसे में पंजाब सरकार ने राजस्थान सरकार से बातचीत की। मरम्मत में केन्द्र और राज्य सरकार मिलकर पैसा दे रही है लेकिन ज्यादा दरें आने के कारण अब टेंडर प्रक्रिया पूरी ना होने से नहरबंदी की तिथि का आर्डर भी जारी नहीं किया जा रहा जबकि अब सिर्फ एक महीना ही शेष है। 27 मार्च को नहरबंदी शुरू होनी प्रस्तावित है। हालांकि पहले साल 30 किलोमीटर के आसपास ही मरम्मत में काम होगा। राजस्थान सरकार ने पूर्व में करीब 55 करोड़ रुपए पंजाब सरकार को दे दिए हैं। पहले वर्ष 100 करोड़ रुपए के आसपास मरम्मत होने के आसार हैं। अगले वर्ष 250 करोड़ रुपए का प्रस्ताव अभी से लिया गया है। कुल खर्च एक हजार रुपए आंका गया है। इसी तरह राजस्थान में भी करीब 150 करोड़ रुपए की लागत से 40 किलोमीटर नहर की मरम्मत भी इसी दौरान होगी।
 पंजाब से सरकार स्तर पर बातचीत का दौर जारी है लेकिन टेंडर को लेकर अभी तक स्पष्ट निर्णय नहीं हुआ। राजस्थान के अभियंता भी कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है क्योंकि मामला दो राज्यों की सरकार के स्तर का है। इस काम के लिए त्रि-स्तरीय एमओयू हुआ था जिसमें राजस्थान, पंजाब और केन्द्र सरकार शामिल है।
पंजाब सरकार को पिछले साल ही 70 दिन की नहरबंदी लेकर नहर की मरम्मत करनी थी लेकिन पिछले साल भी टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं हुई। इस वजह से नहरबंदी शुरू होने से पहले पंजाब ने राजस्थान सरकार को सूचना दी कि मरम्मत कार्य नहीं होंगे। इस साल पहले से राजस्थान ने पंजाब पर दबाव डालना शुरू किया। टेंडर कॉल भी हो गए लेकिन दरें ज्यादा आने के कारण अभी भी निर्णय नहीं हो सका। मरम्मत ना होने से राजस्थान को नुकसान है क्योंकि  पंजाब नहर को जर्जर बताकर राजस्थान को पूरा पानी नहीं देता। जिसका खमियाजा राजस्थान के किसानों को भुगतना पड़ रहा है।
 

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