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नगर परिषद में लकड़ी घोटाले की आशंका?

-छंगाई के बाद कल्याण भूमि में नहीं पहुंच रही सारी लकडिय़ां
श्रीगंगानगर। नगर परिषद इन दिनों जिला मुख्यालय की सड़कों, पार्र्कांे और सार्वजनिक स्थानों से पेड़ों की छंगाई करवा रही है। उसका दावा है कि छंगाई के बाद लकडिय़ां शहरी क्षेत्र की दो कल्याण भूमि में भेजी जा रही हैं। हकीकत में ऐसा नहीं है। एक कल्याण भूमि के पदाधिकारी ने दो ट्रॉली ही लकड़ी आने की पुष्टि की है। इससे नगर परिषद में लकड़ी घोटाले की आशंका उपजी है?
नगर परिषद द्वारा कई दिनों से शहरी क्षेत्र में पेड़ों की छंगाई करवा जा रही है। सम्पर्क करने पर नगर परिषद के पैरोकार प्र्रेम चुघ ने बताया था कि ठेकेदार की ओर से छंगाई के बाद लकडिय़ों को पदमपुर और हनुमानगढ़ मार्ग स्थित कल्याण भूमि में भिजवाया जा रहा है। शिवालय और गुरुद्वारे में भी लकडिय़ां भेजते हंै। पदमपुर मार्ग स्थित कल्याण भूमि में ही पांच ट्रॉलियां लकडिय़ां भेजी हैं। पूछने पर इस कल्याण भूमि के पदाधिकारी महेश पेड़ीवाल ने बताया कि उनके यहां सिर्फ दो ट्रॉली लकडिय़ां ही पहुंची हैं। उनमें भी ज्यादातर पत्तियों से युक्त और छोटी-मोटी थीं। बड़े और मोटे तने नहीं थे।
इस बारे में नगर परिषद के संबंधित प्रभारी लीलाधर ने बताया कि कुछ दिन पहले ही उन्हें यह कार्यभार मिला है। ठेकेदार छंगाई करवाता है, फिर लकडिय़ा कल्याण, शिवालय या गुरुद्वारा भेजते हैं। पदमपुर मार्ग स्थित कल्याण भूमि में पांच ट्रॉलियां लकडिय़ां भेजने की बात पर उन्होंने कहा कि वहां के एक कर्मचारी ने इसकी पुष्टि की है। साथ ही उसने जगह की कमी का हवाला देते हुए पीपल, बड़ को छोड़ अन्य पेड़ों की लकडिय़ां लाने के लिए कहा। घोटाले की बात पर उन्होंने कहा कि ऐसा होना संभव नहीं है। ठेकेदार छंगाई के बाद बिल देता है, जिसका सत्यापन किया जाता है। जगह की कमी के चलते छोटी-मोटी लकडिय़ां तो वैसे भी नहीं उठवाते हैं। इनका उपयोग कम लेकिन परिवहन खर्च पूरा लगता है।


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