शांत व सुविधाजनक ई रिक्शा यात्रियों की पहली पसंद
- पर्यावरण हितैषी और किराया कम होने से बढऩे लगी संख्या
श्रीगंगानगर। शहर में ई-रिक्शा का चलन तेजी से बढ़ रहा है। यह न तो शोर-शराबा करते हैं और न ही धुआं फैला रहे हैं। पर्यावरण हितैषी और इनका किराया कम होने के कारण लोक परिवहन के रूप में ई-रिक्शा यात्रियों की पहली पसंद बनता जा रहा है। यह बात ऑटो रिक्शा चालकों को रास नहीं आ रही है।
शहर की आबोहवा में जहर घोल रहे ये ऑटो चालक अपने स्टैंड पर ई-रिक्शा को जगह तक नहीं दे रहे। वहीं ई रिक्शा के पास सवारी आने पर भी बैठने नहीं देते हैं। इसके बावजूद 5 से 10 रुपए में ये ई-रिक्शा चालक लोगों को यहां से वहां छोड़ रहे हैं। वर्तमान में शहर में डीजल वाले करीब 4 हजार थ्री व्हीलर चल रहे हैं। इनके मुकाबले मात्र सौ सवा सौ ही ई-रिक्शा सड़क पर नजर आ रहे हैं। फिर भी सवारियां ई रिक्शा को ही प्राथमिकता दे रही हैं।
लोक परिवहन के रूप में ई-रिक्शा को पहचान बनाने में किसी का सहयोग नहीं मिल रहा, जबकि हर लिहाज से ई-रिक्शा शहर के लिए बेहतर व सुविधाजनक यात्री साधन है। अन्य ऑटो चालक मुख्य सड़क से अलग थोड़ी सी दूरी के लिए 50-150 रुपए तक मनमर्जी का किराया वसूल करते हैं, जबकि ई-रिक्शा अधिक दूरी के लिए अधिकतम 15-30 रुपए तक ही लेते हैं। इस कारण दूसरे टेम्पो चालक ई रिक्शा चलाने वालों को परेशान भी करते हैं। उन्हे अलग से यूनियन नहीं बनाने दे रहे।
एक ई रिक्शा चालक ने बताया कि टेम्पो यूनियन के इशारे पर ई रिक्शा वालों को यातायात पुलिस भी परेशान करती है। उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली के भीड़ भाड़ वाले इलाकों में भी ई रिक्शा ले जाने की छूट दे रखी है, लेकिन यहां तो गोल बाजार में प्रवेश पर ही यातायात पुलिस रोक देती है। जबकि डीजल वाले टेम्पों को बाजार व भीड़ भाड़ वाले इलाकों में जाने से नहीं रोका जाता। इतना ही नहीं यूनियन की शह पर ई रिक्शा पर सवारी ले जाने से भी रोकने का प्रयास कुछ टेम्पो चालक करते हैं। यहां तक कि एक साथ कई डीजल टेम्पो आगे-पछे लगा कर ई रिक्शा को घेर लिया जाता है। इसके बावजूद कोई ई रिक्शा पर यात्रा को प्राथमिकता दे, तो अपशब्द बोल कर सवारी को भगाने का प्रयास भी किया जाता है।
सवारियां करती हैं इन्तजार
अभी शहर में ई रिक्शा की संख्या भले ही कम हो, लेकिन इसकी सवारी के लिए लोग सड़क किनारे खड़े रहकर इन्तजार भी करते हैं। महिलाएं, बुजुर्ग, बीमार, बच्चे सभी अब ई रिक्शा की सवारी करना चाहते हैं। सामने खाली टेम्पो के रुकने के बावजूद ई रिक्शा का इन्तजार किया जाता है। इसका एक सबसे बड़ा कारण आरामदायक गाड़ी होना है। जहां दूसरे टेम्पो अधिक सवारी उठाने के चक्कर में तेज गति पर दौड़ाए जाते हंै, वहीं ई रिक्शा आराम से चलता है। यह शोर भी नहीं करता। सवारी के साथ साथ शहर को भी प्रदूषण से राहत दिला रहे हैं। इनमें सवारियां भी सीमित संख्या में ही बिठाई जा सकती हैं। पीछे से कवर होने के कारण बरसात व सर्दी से भी ई रिक्शा में राहत रहती है।
टेम्पो को फिटनेस सर्टिफिनेट कैसे मिल रहे
शहर में चल रही अधिकतर डीजल वाले थ्री व्हीलर की हालत ऐसी है कि अगर नियमानुसार फिटनेस किया जाए तो अधिकतर को फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा। शहर में अधिकतर खटारा हो चुके टेम्पो को दौड़ाया जा रहा है, जो जमकर धुआं छोड़ते रहते हैं।
श्रीगंगानगर। शहर में ई-रिक्शा का चलन तेजी से बढ़ रहा है। यह न तो शोर-शराबा करते हैं और न ही धुआं फैला रहे हैं। पर्यावरण हितैषी और इनका किराया कम होने के कारण लोक परिवहन के रूप में ई-रिक्शा यात्रियों की पहली पसंद बनता जा रहा है। यह बात ऑटो रिक्शा चालकों को रास नहीं आ रही है।
शहर की आबोहवा में जहर घोल रहे ये ऑटो चालक अपने स्टैंड पर ई-रिक्शा को जगह तक नहीं दे रहे। वहीं ई रिक्शा के पास सवारी आने पर भी बैठने नहीं देते हैं। इसके बावजूद 5 से 10 रुपए में ये ई-रिक्शा चालक लोगों को यहां से वहां छोड़ रहे हैं। वर्तमान में शहर में डीजल वाले करीब 4 हजार थ्री व्हीलर चल रहे हैं। इनके मुकाबले मात्र सौ सवा सौ ही ई-रिक्शा सड़क पर नजर आ रहे हैं। फिर भी सवारियां ई रिक्शा को ही प्राथमिकता दे रही हैं।
लोक परिवहन के रूप में ई-रिक्शा को पहचान बनाने में किसी का सहयोग नहीं मिल रहा, जबकि हर लिहाज से ई-रिक्शा शहर के लिए बेहतर व सुविधाजनक यात्री साधन है। अन्य ऑटो चालक मुख्य सड़क से अलग थोड़ी सी दूरी के लिए 50-150 रुपए तक मनमर्जी का किराया वसूल करते हैं, जबकि ई-रिक्शा अधिक दूरी के लिए अधिकतम 15-30 रुपए तक ही लेते हैं। इस कारण दूसरे टेम्पो चालक ई रिक्शा चलाने वालों को परेशान भी करते हैं। उन्हे अलग से यूनियन नहीं बनाने दे रहे।
एक ई रिक्शा चालक ने बताया कि टेम्पो यूनियन के इशारे पर ई रिक्शा वालों को यातायात पुलिस भी परेशान करती है। उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली के भीड़ भाड़ वाले इलाकों में भी ई रिक्शा ले जाने की छूट दे रखी है, लेकिन यहां तो गोल बाजार में प्रवेश पर ही यातायात पुलिस रोक देती है। जबकि डीजल वाले टेम्पों को बाजार व भीड़ भाड़ वाले इलाकों में जाने से नहीं रोका जाता। इतना ही नहीं यूनियन की शह पर ई रिक्शा पर सवारी ले जाने से भी रोकने का प्रयास कुछ टेम्पो चालक करते हैं। यहां तक कि एक साथ कई डीजल टेम्पो आगे-पछे लगा कर ई रिक्शा को घेर लिया जाता है। इसके बावजूद कोई ई रिक्शा पर यात्रा को प्राथमिकता दे, तो अपशब्द बोल कर सवारी को भगाने का प्रयास भी किया जाता है।
सवारियां करती हैं इन्तजार
अभी शहर में ई रिक्शा की संख्या भले ही कम हो, लेकिन इसकी सवारी के लिए लोग सड़क किनारे खड़े रहकर इन्तजार भी करते हैं। महिलाएं, बुजुर्ग, बीमार, बच्चे सभी अब ई रिक्शा की सवारी करना चाहते हैं। सामने खाली टेम्पो के रुकने के बावजूद ई रिक्शा का इन्तजार किया जाता है। इसका एक सबसे बड़ा कारण आरामदायक गाड़ी होना है। जहां दूसरे टेम्पो अधिक सवारी उठाने के चक्कर में तेज गति पर दौड़ाए जाते हंै, वहीं ई रिक्शा आराम से चलता है। यह शोर भी नहीं करता। सवारी के साथ साथ शहर को भी प्रदूषण से राहत दिला रहे हैं। इनमें सवारियां भी सीमित संख्या में ही बिठाई जा सकती हैं। पीछे से कवर होने के कारण बरसात व सर्दी से भी ई रिक्शा में राहत रहती है।
टेम्पो को फिटनेस सर्टिफिनेट कैसे मिल रहे
शहर में चल रही अधिकतर डीजल वाले थ्री व्हीलर की हालत ऐसी है कि अगर नियमानुसार फिटनेस किया जाए तो अधिकतर को फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा। शहर में अधिकतर खटारा हो चुके टेम्पो को दौड़ाया जा रहा है, जो जमकर धुआं छोड़ते रहते हैं।
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